शिमला। राहुल गांधी के हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू भी गजब के नेता है।कर्नाटक मसले पर देश भर मं कांग्रेस पार्टी उबली हुई है। प्रदेश कांग्रेस ने भी विरोध प्रदर्शन किया । लेकिन प्रदेश कांग्रेस ने यह विरोध प्रदर्शन अपनी पार्टी के मुख्यालय के बाहर ही कर दिया।
ऐसे में देश के राजनीतिक इतिहास में पहली बार हुआ है। लोगबाग मजाक भी कर रहे है कि सुक्खू की कांग्रेस का यह विरोध प्रदर्शन आखिर किसके खिलाफ था। क्या यह कांगेस पार्टी के खिलाफ या राहुल गांधी के खिलाफ । अपनी ही पार्टी के कार्यालय के बाहर भला कौन प्रदर्शन करता है। पार्टी मुख्यालय के बाहर तो तब पार्टी के कार्यकर्ता या नेता प्रदर्शन या धरना देते है जब उनकी नाराजगी पार्टी से हो। यहां तो कांग्रेस पार्टी राज्यपाल और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध में उतरी थी।
ऐसे में कायदे से उसे या तो राजभवन के बाहर या फिर सचिवालय क बाहर धरना देना चाहिए था। अगर वहां नहीं देना था तो माल रोड़ पर शेरे पंजाब के पास नाज पर या डभ्सी कार्यालय के बाहर सभी विरोध प्रदर्शन करते ही है। लेकिन सुक्खू की कांग्रेस ने ऐसा नहं किया । ये दिलचस्प है।
बताते है कि धरना प्रदर्शन के लिए कांग्रेस मुख्यालय से डीसी आफिस तक आने में सुक्खू की कांग्रेस की पांव दुखते है। ऐसे में साहब लोगों ने तय किया कांग्रेस मुख्यालय के बाहर ही औपचारिकता निभा दी जाए। फोटो तो ही खिंचवा कर राहुल बाबा को भिजवाना है। सो टवीटर व फेसबुक पर फोटो शेयर भी कर दिए।
Ñलेकिन ये कांग्रेस की लोकतंत्र व संविधान के प्रति प्रतिबद्वता और गंभीरता को दर्शाता है। साथ ही ये अपने नेता के प्रति बेईमानी की कहानी भी बयां करता है। राहुल गांधी को की समझ में इस तरह की चीजें न ाने कब समझ में आएंग्ीी।
कांग्रेस पार्टी के ही अग्रणी संगठन युवा कांग्रेस ने भी पिछल्ली वीरभद्र सिंह सरकार की शासनकाल में एक विवादति प्रदर्शन चक्कर स्थित भाजपा के मुख्यालय के बाहर किया था। प्रदर्शन का नेत1त्व वीरभद्र सिंह के पुत्र व तब युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने किया था। लेकिन बाद में भंडा फूटा कि ये तो मैच फिक्सिंग थी। विक्रमादित्य ने जब उनका कारवां बालूगंज पहुंचा तो तब विपक्ष के नेता व भाजपा के तब एकछत्र नेता प्रेम कुमार धूमल को फोन कर दिया । उनसे कहा कि वह भाजपा कार्यालय के बाहर धरना देने जा रहे है तो ध्यान रखा जाए। यह भंडा खुद धूमल ने विधानसभा में फोड़ा था।
राहुल गांधी ने तब भी संज्ञान नहीं लिया था और वह अब भी संज्ञान नहीं लेंगे। वैसे भी सुशील कुमार शिंदे और रंजीता रंजन हिमाचल में सैलानियों की मानिंद रहना ज्यादा पसंद करते है। विधानसभा चुनावों में उन्होंने क्या क्या किया ये सबको मालूम है। उन्हें वीरभद्र सिंह व उनके कुनबे ने ही काबू कर लिया था। जब कांग्रेस इस लाइन पर चल रही हो तो एक के बाद एक करके राज्य तो हारेंगी ही। हारने भी चाहिए।
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