समाक्षी धीमान
धर्मशाला, 6 मार्च: बैठने के लिए ना उचित जगह, ना ही नए संस्करण की पुस्तकें, ना पीने के लिए पानी और ना ही अच्छे शौचालय। ये परिचय है धर्मशाला के पास कचहरी में स्थित जिला पुस्तकालय भवन का। आप को बता दें की इस पुस्तकालय से चंद ही कदमों की दूरी पर जिले के आला बाबू , जिला उपायुक्त का दफ्तर है, जो इसके भी निदेशक हैं। लेकिन प्रशासनिक अनदेखी की वजह से यह संस्थान युवाओं के लिए परेशानी का केन्द्र बनता जा रहा है।
पुस्तकालय में केवल दो ही छोटे-छोटे कमरे हैं जिनमें रखी कुछ कुर्सियों पर बैठने की पाठकों में होड़ मची रहती है। प्रत्येक बेंच पर जहाँ छह छात्रों को बैठना चाहिए वहां 10 छात्र बैठते हैं। कहने को तो सरकार ने दो मंजिला ईमारत बनाई हुई है लेकिन दूसरी मंजिल पर EVM की मशीनें रखी होने की वजह से भी बैठने की जगह कम हो गई है। यही वजह है कि यहां पर पाठकों को झुंड बनाकर बैठना पड़ता है और जिसकी वजह से एकाग्रता भी नहीं बन पाती है।
इस पुस्तकालय की अनदेखी की दास्तां यहां पर खत्म नहीं होती है। यहाँ के शौचालयों की हालत बद-से-बदतर है। शौचायल की बदबू के कारण भी छात्र पढ़ नहीं पाते हैं। पानी-पीने के लिए नल तो हैं लेकिन उनमें पानी नहीं आता।
जिला स्तरीय यह पुस्तकालय, जिला उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक के कार्यालय से लगभग सौ कदमों की दूरी पर है। लेकिन सरकार के इन आला बाबुओं के इतने नज़दीक होने का भी इसकी सूरत-ए-हाल पर कोई असर नहीं पड़ा है।
कचहरी स्थित इस लाइबरेरी में धर्मशाला और आस-पास के गांवों से युवक और युवतियां पढ़ाई करने के लिए आते हैं। यही नहीं यहां पर बने इस पुस्तकालय में पढ़ाई करने के लिए कांगड़ा जिले के दूर-दराज के क्षेत्रों से परीक्षा की तैयारी में जुटे युवा किराए के मकानों में भी रह रहे हैं।
साथ ही यहाँ पर पार्किंग की भी बहुत समस्या है। मजबूरी में यहां पर आने वाले पाठकों को गाड़ियां सड़क में ही खड़ी करनी पड़ती हैं जिसकी वजह से यहां पर कई बार ट्रैफिक जाम हो जाता है।
पुस्तकाघ्यक्ष कांति सूद ने कहा कि पाठकों को अच्छी से अच्छी सुविधा मिलें इसके लिए वह प्रयासरत रहतीं हैं। “मैंने डायरेक्टर से छात्रों के लिए प्रतियोगिताओं की किताबों की मांग थी जो की उन्होंने हमें दिलाई हैं,” उन्होंने कहा।
जबकि यहां पर पढ़ाई कर रहे युवाओं का कहना है कि उन्हें नए संस्करण की किताबें नहीं मिलतीं हैं जिसका खामियाजा उन्हें परीक्षाओं में भुगतना पड़ता है। पुस्तकाघ्यक्ष ने कहा कि सरकार की तरफ से पुस्तकालय को कोई फण्ड नहीं आता है। छात्रों के बैठने की समस्या को लेकर उन्होंने कहा कि यहां पर उपलब्ध सभी कमरों का सही से प्रयोग किया जा रहा है ताकि यहां पर आने वाले पाठकों को परेशानियां ना हों। कांति सूद ने कहा कि इस भवन की दूसरी मंजिल में EVM मशीनें को हटाने के बारे में जिला प्रशासन प्रमुख ‘लिखत में गुहार लगाई है’ ताकि जगह के अभाव को दूर किया जा सके।
कांति सूद ने कहा कि “मैं तो सिर्फ आला अधिकारियों से अनुरोध ही कर सकती हूं उन्हें ऑर्डर नहीं दे सकतीं हूं।” लाइबरेरी के खुलने और बंद करने के वक्त में इजाफा करने का निर्णय भी डायरेक्टर ही ले सकते हैं, उन्होंने कहा।
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