शिमला। 1200 मेगावाट के कड़छम वांगतु पन बिजली परियोजना से ठेके के उपबंधों के मुताबिक प्रदेश को 18 फीसद रायल्टी देने से मुकरने के मामले में निजी बिजली कंपनी JSW को सुप्रीम कोर्ट में हार का सामना करना पड़ा हैं। नामी कंपनी JSW ने सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदम्बरम और अभिषेक मनु सिंघवी इस कानूनी जंग में उतारे थे जबकि सुक्खू सरकार की ओर से कपिल सिब्बल व बाकियों ने मोर्चा संभाला।
JSW और सुक्खू सरकार की ओर से दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पी श्री नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जोयमलय बागची की खंडपीठ ने JSW की पक्ष में हिमाचल हाईकोर्ट की ओर से दिए गए फैसले को खारिज कर दिया व कहा कि प्रदेश हाईकोर्ट को ये मामला सुनना ही नहीं चाहिए था।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू चहक गए और अपनी पीठ थपथपाने में आ गए।
JSW ने इसलिए किया 18 फीसद फ्री बिजली देने से इंकार
कंडछम वांगतू पन बिजली परियोजना के शुरू होने के 12 साल के बाद 18 फीसद फ्री बिजली न देने के पीछे जेएसडब्ल्यू ने जो दलीलें दी है उसके मुताबिक सेंट्रल इलेक्ट्रसिटी रेगूलेटरी कमीशन ने नेशनल टेरिफ पॉलिसी के तहत ये प्रावधान कर दिया कि 17 मार्च 2022 के बाद कोई भी पावर कंपनी किसी भी राज्य को 13 फीसद से ज्यादा एक यूनिट भी फ्री बिजली नहीं देंगी।
इस आधार बनाकर JSW ने प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी कि वो 12 साल के बाद हिमाचल सरकार को ठेके के उपबंधों के मुताबिक 18 फीसद फ्री बिजली नहीं देगी। हाईकोर्ट नेJSW की दलीलें मंजूर कर दी प्रदेश सरकार को बड़ा झटका दे दिया था।
हालांकि सुक्खू सरकार ने JSW को नेाटिस दिया कि अगर उसने ठेके के उपबंधों के मुताबिक 12 साल बाद 18 फीसद फ्री बिजली नहीं दी तो सरकार इस प्रोजेक्ट को टेकओवर की लेगी।
निदेशक एनर्जी की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा कि सेंट्रल इलेक्ट्रसिटी रेगूलेटरी कमीशन के ये प्रावधान 2022 के बाद के प्रोजक्ट पर लागू होंगे। कंपनी और सरकार के बीच तो 1999 में समझौता हो गया था। ऐसे में अब इस समझौते पीछे हटना 1999 के समझौता शर्तों का खुला उल्लंघन है और इससे प्रदेश सरकार को बहुत बड़ा वितीय नुकसान होगा।
जेएसडब्ल्यू ने 29 सितंबर 2023 को 18 फीसद फ्री बिजली देने की एनओसी अंडर प्रोटेस्ट दे भी दी थी।लेकिन कंपनी एकतरफा कार्यवाही करते हुए 31 मई 2024 से राज्य सरकार को फ्री बिजली देने से इंकार कर दिया।
निदेशक एनर्जी ने अपने नोटिस में कहा था कि कंपनी 1999 में हुए ठेके के अनुबंधों के मुताबिक 18 फीसद फ्री बिजली प्रदेश को देना शुरू कर दे अन्यथा सरकार व कंपनी के बीच अविश्वास खत्म हो गया है और सरकार इस समझौते को रदद करने और12 सौ मेगावाट के कड़छम वांगतू प्रोजेक्ट को टेक ओवर करने की प्रक्रिया शुरू कर देगी।
इस नोटिस के खिलाफ जेएसडब्ल्यू ने सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दे दी व सुप्रीम कोर्ट ने सुक्खू सरकार को इस प्रोजेक्ट को टेक ओवर करने की प्रक्रिया शुरू करने पर रोक लगा दी थी और मामले की सुनवाई जारी रही थी।
ये है मामला
हिमाचल सरकार ने 900 मेगावाट के कड़छम वांगतू पन बिजली परियोजना को मैसर्स जय प्रकाश इंडस्ट्री को आंवटित किया था व इसके साथ 1993 में एक एमओयू साइन किया था। इसके बाद डीपीआर तैयार करने के बाद कंपनी ने इस प्रोजेक्ट की क्षमता एक हजार मेगावाट करने की मंजूरी मांगी । सरकार ने 31 मार्च 2003 को जेपी इंडस्ट्री को प्रोजेक्ट में 250-250 मेगावाट की चार यूनिटों को लगाने की मंजूरी दे दी।
इसके बाद जेपी इंडस्ट्री ने जेपी कड़छम हाइड्रो कारपोरेशन लिमिटेड का गठन किया और दिसंबर 2007 में जेपी वेंचर लिमिटेड में इसका विलय कर दिया। याद रहे 2011 में इस प्रोजेक्ट ने बिजली पैदा करनी शुरू कर दी थी।यानी ये कमीशन हो गया था।
ये थी आवंटन की शर्तें
1999,2002 और 2007 में हुए समझौतों की शर्तों के मुताबिक जेपी कड़छम हाइड्रो कारपोरेशन लिमिटेड को प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद शुरू के 12 सालों तक यानी 2011 से 2023 तक प्रदेश सरकार को 12 फीसद फ्री बिजली देनी थी। उसके बाद अगले 28 सालों तक यानी सितंबर 2023 से लेकर 2051 तक 18 फीसद फ्री बिजली देनी थी। इस पर हिमाचल सरकार और कंपनी दोनों में सहमति बनी।
लेकिन सेंट्रल इलेक्ट्रसिटी रेगूलेटरी कमीशन ने नेशनल टेरिफ पॉलिसी के तहत ये प्रावधान कर दिया कि 17 मार्च 2022 के बाद कोई भी पावर कंपनी किसी भी राज्य को 13 फीसद से ज्यादा एक यूनिट भी फ्री बिजली नहीं देंगी।JSW ने इसी को आधार बनाया व हिमाचल को 18 फीसद फ्री बिजली देने से इंकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 16 जुलाई को सुनाए अपन्र फैसले में कहा कि सेंट्रल इलेक्ट्रसिटी रेगूलेटरी कमीशन का 13 फीसद फ्री बिजली देने का प्रावधान किसी भी कंपनी के ठेके के उपबंधों को मानने से इंकार करने का अधिकार नहीं देता। सेंट्रल इलेक्ट्रसिटी रेगूलेटरी कमीशन के प्रावधान बिजली की ट्रेडिंग से जुड़े हैं। ठेके की शर्तों से नहीं। ऐसे में ये प्रावधान हिमाचल सरकार और कंपनी के बीच हुए इंप्लीमिंटेशन एग्रीमेंट को लागू होने से नहीं रोक सकते।
आर्थिक , प्रशासनिक और राजनीतिक मोर्चों पर जूझ रहे मुख्यमंत्री सुक्खू के लिए ये फैसला बड़ी राहत वाला हैं।
जेपी कंपनी ने 2015 में जेएसडब्ल्यू को बेच दिया प्रोजेक्ट
इस बीच जेपी ने इस प्रोजेक्ट को हिमाचल बास्पा पावर कंपनी को बेच दिया। ये जेएसडब्ल्यू समूह की कंपनी थी । सौदे के मुताबिक कंपनी ने इसे खरीदने से पहले पहले की तमाम शर्तो , देनदारियों को मानने को मंजूरी दे दी थी। लेकिन 21 दिसंबर 2019 को जेएसडब्ल्यू ने इस बास्पा पावर का नाम बदल कर जेएसडब्ल्यू हाइड्रो एनर्जी रखने को सरकार को अर्जी दी व इसे मंजूर कर लिया। लेकिन शेहयरहोल्डिंग, प्रबंधन और बाकी पैटर्न में कोई बदलाव नहीं किया।
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