शिमला। साइबर अपराधी देश की जनता के साइबर फ्राड के जरिए 23 हजार करोड़ रुपए लूट चुके है और साइबर अपराध और आनलाइन वितीय धोखाधड़ी देश ही नहीं दुनिया भर के देशों के लिए चुनौती बनी हुई है।
ये खुलासा राजधानी से करीब 15 किलोमीटर दूर क्यारीघाट में हिमाचल दूरसंचार विभाग की ओर से आयोजित संचार सुरक्षा पर सालाना उतरी अंचल सम्मेलन हुआ। ये सम्मेलन डीजी टेलिकाम मुख्यालय के निर्देशों पर आयोजिक हुआ।
सम्मेलन में महानिदेशक दूरसंचार सुनीता चंद्रा ने कहा कि पिछले दो सालों में चार करोड़ से ज्यादा संदेहास्पद मोबाइल कनेक्शंस को बंद किया गया है जबकि 6 लाख 75 हजार के करीब चोरी हुए मोबाइल फोंन्स विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित राज्यों की पुलिस की ओर से ढूंढ निकाला गया।
उन्होंने कहा कि देश के समक्ष अवैध संचार आपरेशन और अवैध संचार सेटअप सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरे है। इस मौके पर सरकारी एजेंसियों की ओर से देश भर में तबाह किए गए 45 अवैध संचार सेटअप्स का भंडा फोड़ने और उन्हें तबाह कर अपराधियों को गिरफतार करने के मामलों का खुलासा भी किया गया । इस बावत एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया जिसमें इन 45 मामलों का पूरा लेखा जोखा सामने रखा गया ।
सम्मेलन को भारत सरकार के सचिव दूरसंचार नीरज मितल ने भी दिल्ली से आनलाइन संबोधित किया। मितल ने इस बावत पेश आ रही चुनौतियों से कैसे निपटना है इस पर प्रकाश डाला।
सम्मेलन में दिल्ली,हरियाणा,हिमाचल,जम्मू-कश्मीर,लददाख,पंजाब,उतरप्रदेश के दूरसंचार विभाग के अफसरों के अलावा केंद्रीय व इन राज्यों की जांच व प्रवर्तन एजेंसियों के अफसरों ने भी शिरक्त की। जब भारतीय सेना की ओर से कर्नल गुरप्रीत सिंह तुर ने शिरकत की। इसके अलावा रिजर्व बैंक आफ इंडिया,एसबीआइ, पेटीएम,रिलायंस,जिओ,बीएसएनएल,वोडाफोन,आइडिया के सौ से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भी सम्मेलन में शिरकत की।
इस मौके पर डीसीसी सदस्य (सेवाएं) देब कुमार चक्रबर्ती ने कहा कि आनलाइन लेनदेन का पैटर्न बदल रहा है। डिजिटल प्लेटफार्म पर लेनदेन 12 फीसद से 40 फीसद तक पहुंच रहा है।
उन्होंने कहा कि पहले की तरह देश में सेना व आर्थिकी का महत्व होता था लेकिन अब डिजिटल प्रौद्योगिकी ने एक नया आयाम जोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध और आनलाइन वितीय धोखाधड़ी के मामले पूरी दुनिया के चुनौती बने हुए है।
सम्मेलन में विशेषज्ञों ने ड्रोन और सेटेलाइट के जरिए किसी भी देश के भीतर बम वर्षा करने जैसी चुनौतियों से कैसे निपटना है, इसे गंभीर चुनौती बताया। विशेषज्ञों ने कहा कि जिस तरह से यूक्रेन में ड्रोन के जरिए सीमा पार से नहीं बल्कि भीतर से बम वर्षा की गई उसने युद्ध के आयामों को बदल दिया है। वहां पर दूसरे देश से ड्रोन बनाने की सामामग्री को अलग -अलग तरीके से यूक्रेन में लाया गया और देश के भीतर उन्हें एसेंबल किया गया व वहीं से हमले किए गए। अगर ये ड्रोन सीमा पार से आते तो इन्हें सीमा पर लगे राडार व अन्य उपकरणों के जरिए तबाहर किया जा सकता था लेकिन इन्हें देश के भीतरी हिस्सों में ही इन्हें असेंबल किया गया था। अगर भारत में ऐसा हो तो दूरसंचार विभाग के लाइसेंसड सर्विस एरिया की टीम व सुरक्षा एजेंसियों को इससे कैसे निपटना है, इस बावत गौर करने की जरूरत है।
इसी तरह आकाश में उपग्रहों को जाल बिछ गया है और ये 160 किलोमीटर से लेकर 1 हजार किलोमीटर की ऊंचाई तक विचरण कर रहे है। इन उपग्रहों के जरिए अगर बम वर्षा हो तो इससे कैसे निपटना है इस पर विचार किया जाना चाहिए। सम्मेलन में कहा गया कि पूरा देश सेटेलाइटों की निगरानी की ज़द में हैं। ऐसे में आगामी युद्धदों की चुनौतियों से पार पाने के लिए आज ही सोचना होगा।
इस मौके पर साइबर फ्राड से बचने के लिए संचार साथी पोर्टल,संचार साथी मोबाइल एप,और गुम हो गए मोबाइल हैंडसेटस को रिपोर्ट करने जैसी सरकारी सुविधाओं का जिक्र भी किया गया।विशेषज्ञों ने जनता से आग्रह किया कि वो हर तरह के साइबर व आनलाइन वितीय फ्राड को दूरसंचार विभाग के पोर्टल पर रिपोर्ट करे।
विशेषज्ञों ने कहा कि विभिन्न राज्यों के जांच एजेंसियों ने सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटि रजिस्टर यानी सीइआइआर के जरिए गुम हो गए मोबाइल हैंडसेटस का पता लगा कर इन्हें अपराधियों से रिकवर किया जा रहा है।
बाद में आयोजित संवाददाता सम्मेलन महानिदेशक दूरसंचार सुनीता चंद्रा ने कम रिकवरी को लेकर पूछे सवाल के जवाब में कहा कि इस बावत तो राज्यों की जांच एजेंसियों को काम करने होगा।
ये पूछे जाने पर कि देश भर में कितने अवैध टेलिकाम सेटअप है कितने आपरेशंस चल रहे हैं तो चंद्रा ने कहा कि कितने चल रहे है इस बावत तो जानकारी नहीं है अगर पता होता तो अब तक तबाह कर दिए होते लेकिन अब तक 45 ऐसे सेटअप और आप्रेशंस को तबाह किया जा चुका है।
इस मौके पर सम्मेलन में शामिल हुए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के उन जिलों पुलिस अधिकारियों को सम्मानित किया गया जिन्होंने गुम या चोरीहुए मोबाइल फोनों तलाशनें व उन्हें उनके मालिकों को दिलाने में महत्वूपर्ण भूमिका निभाई थी। इस बावत शिमला के एसपी संजीव गांधी को सम्मानित किया गया।
साइब व वितीय अपराधों को रोकने के लिए सरकार के स्तर पर क्या-क्या किया जा रहा है इस बावत भी विभिन्न अफसरों ने सम्मेलन में ब्योरा रखा।
इस मौके पर कहा गया कि पिछले दो सालों में 400 करोड़ रुपए की साइबर अपराधियों की ओर से चोरी को बचाया जा सका है। ये पूछे जाने पर कि वितीय धोखाधड़ी कैसे की जा रही है यहां आए विशेषज्ञों ने कहा कि अरब देशों में वीपीएन नंबर अवैध नहीं है। इन्हीं का इस्तेमाल कर साइबर अपराधी अपने काम को देश में अंजाम दे रहे है।
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