शिमला। केंद्र से मंजूर 45 करोड़ से इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल में बनने वाले टर्शरी कैंसर सेंटर के मामले को मुख्यंमंत्री जयराम ठाकुर और स्वास्थ्यश मंत्रीविपिन परमार ने पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया हैं। आलम यह है कि शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में भी इस महत्वरपूर्ण सेंटर का नोटिस तक नहीं लिया गया।
यह मामला शुक्रवार की एनजीटी आदेशों पर गठित इंप्लीमेंटेशन कमेटी में मंजूरी के लिए जाना था लेकिन नगर निगम ने अड़ंगा डाल दिया कि स्पॉ ट विजीट करना है। इसलिए इसे इंप्लीामेंटेशन कमेटी में मंजूरी के लिए ले जाया ही नहीं जा सका।
नगर निगम के पास यह मामला पिछल्ले एक महीने से पड़ा हैं और अब निगम के अधिकारियों को मौके पर जा कर निर्माण स्थल की का मुआयना करके रिपोर्ट देने का ख्यायल आया हैं। हालांकि निगम के अधिकारियों का दावा है कि यह मामला आज की इंप्लीमेंटेशन कमेटी की बैठक में अनाधिकारिक तौर पर चर्चा में आया व फैसला लिया गया कि इस मामले को 13 नवंबर को होने वाली सुपरवाइजरी कमेटी की बैठक में ले जाया जाएगा। इससे पहले नगर निगम बाकी की सारी प्रक्रियाएं पूरी कर लेगा। यहां यह गौरतलब है कि यह सब प्रक्रियाएं पहले भी पूरी हो चुकी है। लेकिन कहा जा रहा है कि इनकी वैधता छह महीने तक ही होती हैं।निगम अधिकारियों का कहना है कि आइजीएमसी से विभिन्न विभागों की एनओसी गुरुवार शाम को ही मिली। स्पॉलट विजीट उसी के बाद होना हैं।बस इस एक वजह से यह मामला लटक गया हैं।अगर मुख्यीमंत्री व स्वाटस्य् ज मंत्री इस मामले को अपने हाथ में लेते तो शायद यह इंप्ली मेंटेशन समिति में मंजूरी के लिए चला जाता।
लेकिन यहां पर बड़ा सवाल यह है कि जब यह इंप्लीमेंटशन कमेटी में गया ही नहीं तो सुपरवाइजरी कमेटी में सीधे कैसे ले जाया जा सकता हैं। निगम के अधिकारियों का कहना है कि पूरे मामले को इंप्लीमेंटेशन कमटी के सदस्यों को 13 नवंबर से पहले मेल के जरिए सर्कुलेट कर दिया जाएगा। सदस्यों की कोई आपति होगी तो वह सुपरवाइजरी कमेटी की बैठक में उठा सकते हैं।कमेटी के सदस्य इसे मानेंगे या नहीं यह बड़ा मसला हैं।एनजीटी के आदेशों के मुताबिक सुपरवाइजरी कमेटी के अध्यक्ष प्रधान सचिव शहरी विकास व नगर नियोजन को बनाया गया हैं।लेकिन समिति के दो सदस्य प्रदेश के बाहर से हैं । 11 सदस्यीय सुपरवाइजरी कमेटी में राष्टीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण व वाडिया इंस्टीटयूट आफ हिमालयन ज्योलाजी देहरादून के सदस्य भी शामिल हैं। आज की बैठक में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से संयुक्त सलाहकर पुष्कर सहाय और वाडिया इंस्टीटयूट से पर्यावरण वैज्ञानिक अजय कौल ने शिरकत की।
अब इस बात का इंतजार है कि नगर निगम इस मामले को सुपरवाइजरी कमेटी में कैसे ले जाता है व सुपरवाइजरी कमेटी इस पर क्या फैसला लेती हैं।13 नवंबर को होने वाली सुपरवाइजरी कमेटी की अगली बैठक तीन महीने बाद फरवरी में होगी। और इस अस्पताल के लिए मंजूर 45 करोड़ रुपए 30 मार्च 2019 को लैप्स हो जाने है। ऐसे में इस मामले का आज की इंप्लीमेंटेशन कमेटी में लान जरूरी था। कोर एरिया में बनने वाले इस अस्पताल की पांच मंजिलें बननी प्रस्तावित है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण दो बंकर है जहां पर रेडिएशन की मशीनें लगनी हैं। डाक्टरों का कहना है कि मंजिलें तो कम भी की जा सकती हैं। लेकिन बंकरों का बनना बेहद महत्वपूर्ण हैं। कोर एरिया में एनजीटी ने निर्माण पर पाबंदी लगा रखी है ।
इसी बावत इंप्लीमेंटेशन कमेटी के अध्यक्ष व टीसीपी अध्यक्ष राजेश्वर गोयल ने कहा कि इस मसले पर कमेटी की बैठक में सदस्यों से चर्चा हुई ।
सैंद्वातिक तौर पर सभी सदस्य अस्पताल निर्माण को लेकर सहमत हैं। लेकिन 13 नवंबर की बैठक तक यह मामला निगम की ओर से आ जाना चाहिए।
उधर , शनिवार को स्वाचस्य् विभाग की समीक्षा बैठक में यह मसला उठा ही नहीं। इस बैठक में निर्माणाधीन अस्पकतालों की स्थित की ही समीक्षा की गई। अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वाइस्य् आर डी धीमान ने कहा कि एजेंडे पर ही बात हुइ्र।इस अस्पताल को लेकर उन्होुने कहा कि शुक्रवार इंप्लीमेंटेशन कमेटी में जाना था। यह बताने पर कि यह नहीं गया तो उन्होंकने कहा उनके ध्याकन में मामलेलाने के लिए शुक्रिया। इसको सिरे चढ़ाया जाएगा।उन्होंने कहा कि अस्पताल को हाथ से नहीं निकलने दिया जाएगा।
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