शिमला। विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की सरकार को सतता में लाने के लिए जिन बिजली बोर्ड कर्मचारियों ने रात दिन एक कर दिया था अब उन्होंने ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर खुलकर उनका यानी बिजली बोर्ड के कर्मचारियों गला काटने का इल्जाम लगा दिया है।
हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड एम्प्लाइज एवं इंजीनियर के संयुक्त मोर्चे की वीरवार को बोर्ड़ मुख्यालय, में हुई बैठक में मोर्चे के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने मुख्यमंत्री को सीधे-सीधे टारगेट कर दिया व कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद बिजली बोर्ड कर्मचारियों का गला काटने पर आमदा है।
उन्होंने कहा कि बोर्ड के कर्मचारियों का गला काट कर बिजली बोर्ड की लागत को कम नहीं किया जा सकता। लागत कम करने का सरकार का ये धंधा छोटी सोच को दर्शाता है। उनहोंने कहा कि जब 2007 में वो कर्मचारी यूनियन में आए थे तो बिजली बोर्ड में 25 हजार कर्मचारी थे लेकिन अब सुक्खू सरकार का इसे सात आठ हजार कर देने की मंशा पाले हैं।
उन्होंने कहा कि वो कई बार मुख्यमंत्री से मिले व तमाम तरह के आश्वासन दिए लेकिन बोर्ड में कर्मचारियों की कटौती करने को लेकर जो कसरत अंदर ही अंदर हो रही है उस पर कोई रोक नहीं लग रही है। न ही इस कसरत में कर्मचारियों का कोई प्रतिनिधित्व हैं।
मोर्चे की ओर से बोर्ड के अध्यक्ष को संजय गुप्ता बाकी निदेशकों को भी एक चिटठी लिखकर इस कसरत पर रोक लगाने की मांग की गई है।
इस मौके पर वर्मा ने पूर्व आइएएस ऋषिकेश मीणा का जिक्र भी किया व कहा कि उन्होंने कर्मचारी व बोर्ड विरोधी जो मुहिम चलाई थी उसका कर्मचारियों ने जमकर विरोध किया गया तो वो मुहिम रुकी।
संयुक्त मोर्चा के संयोजक लोकेश ठाकुर व सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि रात को दस-दस बजे तक व छुट्टी के दिन भी कार्यालय लगाकर बिजली बोर्ड में कार्यन्वित पदों को समाप्त करने की प्रक्रिया को युद्धस्तर पर किया जा रहा है ।
मोर्चा ने अब तंबू गाड़ने का एलान कर दिया है।
उन्होंने कहा अगर बिजली बोर्ड प्रबंधन वर्ग इतनी तत्परता बिजली बोर्ड के उत्थान से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर दिखाता तो बिजली बोर्ड की आज यह दयनीय स्थिति न होती। जबकि युक्तिकरण से कर्मचारियों के पदों को खत्म कर सरप्लस किया जा रहा है जिससे एक ओर कर्मचारियों की सेवाशर्ते बुरी तरह से प्रभावित होगी वहीँ विद्युत उपभोक्ताओं को दी जा रही सेवायों में भी विपरीत असर पड़ेगा।
बिजली बोर्ड पिछले दो दशकों से कर्मचारियों के अभाव से जूझ रहा है और बिजली बोर्ड की संख्या मात्र 13800 रह गई है जबकि नवें के दशक में बोर्ड में 43000 कर्मचारी हुआ करते थे। आज बोर्ड़ लाइन, सबस्टेशन व अन्य ढांचे में कई गुना वृद्धि हुई है वहीं उपभोक्ताओं की संख्या 6 लाख से 30 लाख हो गई है लेकिन यह हैरानी की बात है बोर्ड प्रवंधन बिजली व प्रदेश सरकार बोर्ड में भर्ती के बजाए कर्मचारियों की संख्या नीचे लाने में युद्धस्तर पर कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा बोर्ड़ प्रबंधन की इस कार्यप्रणाली से आज बिजली बोर्ड के कर्मचारियों में जहां अनिश्चितता का माहौल बना है वहीं सब भारी तनाव में कार्य कर रहे है। बिजली बोर्ड में जिन 1030 टीमेट के पदों के लिए नई भर्तियों की प्रक्रिया चल रही थी उसको प्रदेश सरकार की ओर से रोक दिया गया है वहीं चयन आयोग से बिजली बोर्ड के लिए चयनित हो कर आये लगभग 140 जे0ओ0ए0 (आई0टी0) की नियुक्तियां पर रोक तक लगा दी गई है।
वहीं बोर्ड में पिछले 6 माह से पदोन्नतियां नहीं की जा रही है जिससे कर्मचारी बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो रहे है। वहीं कर्मचारियों के सेवानिवृत्त पर मिलने वाले लाभों को रोक दिया गया है। इतना ही नहीं बिजली कर्मचारियों को पुरानी पेंशन से वंचित रखा गया है।
उन्होंने कहा सरकार की ओर से बिजली बोर्ड में पिछले दो वर्षों से नये -नये प्रयोग ,किये जा रहे है जिससे आज बिजली बोर्ड़ को एक गम्भीर स्थिति में धकेल दिया गया है यह रास्ता बोर्ड़ को सीधा निजीकरण की ओर ले जाएगा ।
उन्होंने कहा कि आज बिजली बोर्ड से जुड़े कर्मचारियों व पेंशनर्ज के पच्चास हज़ार परिवारों में जहां संशय का माहौल बना हुआ है वहीं भारी आक्रोश भी है।
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