शिमला। जिला सोलन के बददी-बरोटीवाल-नालागढ़़ इलाकों में स्टोन क्रशरों और अफसरों के मायाजाल को लेकर प्रदेश हाईकोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सुक्खू सरकार के अफसरों से जवाब तलब किया है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधेवालिया और न्यायमूर्ति जिया लाल भारदवाज की खंडपीठ ने सुक्खू सरकार के अफसरों से एक सप्ताह के भीतर इस बावत कदम उठाने के निर्देश दिए है जबकि बाकियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
बददी-बरोटीवाला और नालागढ़ में स्टोन क्रशरों की ओर से फैलाए जा रहे प्रदूषण और अवैध खनन को लेकर बददी के गांव मालपुर के कृष्ण कुमार ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी लेकिन हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई को याचिकाकर्ता बोनाफाइड है या नहीं, इस बावत अदालत में एक लाख रुपए जमा कराने के आदेश दिए थे। कृष्ण कुमार ने 24 सितंबर को एक लाख रुपए का डिमांड ड्राफट रजिस्ट्रार हाईकोर्ट के नाम से जमा कर दिया।
इस जनहित याचिका में कृष्ण कुमार ने कहा है कि सरकार ने 29 जून 2021 और 18 अगस्त 2022 को प्रदेश में अवैध खनन, अनाधिकृत स्टोन क्रशरों और पर्यावरण काननों के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाई करने के लिए अधिसूचनाएं जारी की थी लेकिन बददी-बरोटीवाला -नालागढ़ में इन अधिसूचनाओं को आज तक लागू नहीं किया है।
इससे न केवल पर्यावरण तबाह हो रहा है बल्कि सरकारी खजाने को भी भारी नुकसान हो रहा है और ये सब सरकारी अफसरों की मिलीभगत से हो रहा है। जंगलों व नदियों के किनारों से बेहताशा और अवैज्ञानिक तौर पर किए जा रहे खनन नदियों का सहज बहाव बिगड़ गया है जिसकी वजह से आपदाओं का कहर बरप रहा है।
याचिका में कहा गया है कि बददी-बरोटीवाला और नालागढ़ में 1993 में 43 स्टोन क्रशर लगाने की इजाजत दी गई थी । लेकिन इनको 10 से 20 ट्रक प्रति दिन बजरी -पत्थर निकालने की इजाजत दी गई है। इसके अलावा खनन के लिए केवल एक हलकी मशीन लगाने की इलालज है लेकिन चंद क्रशरों से मौके पर सैंकड़ों ट्रक बजरी -पत्थर के निकाले जा रहे है। अरसे से एक -एक स्टोन क्रशर में 8-8,10-10 क्रशिंग मशनें लगाई हुई है।
याचिका में कहा गया है कि तय सीमा से कहीं अधिक बजरी -पत्थर निकाले जा रहे है और इनकी बाहरी राज्यों के लिए दिन तस्करी की जा रही है। याचिका में ‘एम’ फार्म के दुरुपयोग कर भी खुलासा किया गया है। याचिका में कहा गया है दिन दहाड़े लूट मचाने का कारोबार चला हुआ हैं।
इस लूट की वजह से जो करोड़ों रुपया सरकारी खजाने में आना चाहिए था वो निजी जेंबों में जा रहा है और ये सब सरकार के अफसरों की मिलीभगत से हो रहा है।
इस याचिका में और भी कई मसले उठाए गए और अफसरों की कारगुजारियों का भंडाफोड़ किया गया है। याचिका में उठाए गए मसलों की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को तय की है।
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