शिमला। मोदी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नडडा के हिमाचल के सीएम केंडिडेट प्रोजेक्ट होने के आलाकमान से मिल रहे संकेतों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के राजनीतिक दुश्मन व हिमाचल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व सांसद महेश्वर सिंह अपने घर लौट चले है। उन्होंने भाजपा में लौटने की इच्छा प्रदेश भाजपा को बता दी है व प्रदेश भाजपा ने आलाकमान को महेश्वर सिंह की इच्छा भेज दी है। आखिरी फैसला आलाकमान को करना है। समझा जा रहा है कि आलाकमान वही करेगा जो नडडा को मंजूर होगा।
नडडा सारे बागियों की घर वापसी की मुहिम छेड़े हुए है। चूंकि सारे बागी धूमल के खिलाफ झंडा उठा कर पार्टी से बाहर हुए थे।धूमल ने तो नडडा को भी प्रदेश की राजनीति से बाहर कर संगठन में भिजवा दिया था। लेकिन अब नडडा ने हिमाचल का सीएम बनने की ठान ली है व अंदरखाते मुहिम भी छेड़ दी है। इसी मुहिम में नडडा ने हिमाचल के दौरों में तेजी ला दी है।शनिवार को वो नूरपूर पहुंचे इसके बाद अगस्त के पहले सप्ताह में में वो शिमला आ रहे है।
भाजपा प्रवक्ता व धूमल विरोधी खेमे के नेता जयराम ठाकुर की माने तो महेश्वर सिंह का मामला आलाकमान को भेज दिया है।उन्होंने भाजपा में लौटने की मंशा जाहिर की है।
महेश्वर सिंह ने भाजपा से टूट कर अलग संगठन हिमाचल लोकतांत्रिक पार्टी का गठन कर लिया था। पार्टी से वो एक मात्र विधायक है। विधानसभा में उन्होंने कांग्रेस पार्टी को मुददों के आधार पर समर्थन दिया हालांकि कांग्रेस को इसकी जरूरत नहीं थी। चूंकि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के रिश्तेदार हैं सो उन्होंने रिश्तेदारी निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
भाजपा से वो ये कह कर अलग हुए थे कि धूमल ने भ्रष्टाचार के रिकार्ड तोड़ दिए है व आलाकमान से कार्रवाई की मांग की थी। उस समय उनके साथ शांता कुमार भी थे। लेकिन शांताकुमार भाजपा से बाहर नहीं हुए। उन्होंने खुशीराम बालनाहटा समेत कई समर्थक हिलोपा भेज दिए।शांता कुमार ने इन सभी नेताओं को भरोसा दिलाया था कि वो बाद में आ जाएंगे लेकिन वो कभी नहीं है। बाद खुशीराम बालनाहटा आदि भी महेश्वर सिंह का साथ छोड़ भाजपा में लौट आए थे। वो तब से लेकर अब तक भाजपा में चुप दुबके हुए है।उनकी भाजपा में कोई पूछ है भी नहीं है। महेश्वर सिंह की पूछ होगी या नहीं ये देखना होगा।समझा जा रहा है कि नडडा उन्हें तरजीह देंगे। महेश्वर सिंह का भाजपा की ओर लौटने का दूसरा बड़ा कारण कुल्लू के रघुनाथ मंदिर का सरकारी करण करना भी है।वीरभद्र सिंह सरकार ने इस मंदिर को सरकार के अधीन लाने का फैसला किया है।महेश्वर सिंह इस बात से वीरभद्र सिंह से खफा है।
जिस तरह महेश्वर सिंह ने हिलोपा को प्रदेश में खड़े नहीं होने दिया उसी तरह भाजपा के एक और बागी राजन सुशांत ने आम आदमी पार्टी को खड़े नहीं होने दिया। महेश्वर सिंह की घर वापसी होने वाली जबकि इसके बाद राजन सुशांत का नंबर माना जा रहा हैं हालांकि सुशांत इस बावत इंकार कर चुके है।
बागियों के भाजपा में लौटने पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व उनके लाडलों का राजनीतिक कैरियर क्या होगा इसे लेकर क्यास लगाए जाने लगे है। नडडा ने धूमल के सारे विरोधियों को लामबंद करना शुरू कर दिया है।या यूं कहे के सारे बागियों ने नडडा को धूमल के आगे कर दिया है।
प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के पहले बुरे हाल है। अपनी सरकार होते हुए मुख्यमंत्री व उनका परिवार ही भ्रष्टाचार के मामलों में इडी व सीबीआई की जांच का सामना कर रहा है। नौकरशाह किसी को भी जवाबदेह नहीं है। ऐसे में अगर कांग्रेस व भाजपा की रणनीतिक घुसपैठ से आम आदमी पार्टी सजग रह कर आगे बढ़ी तो उसके हाथ में एक बड़ा मौका है। इसके अलावा वामपंथियों के पास भी आगे बढ़ने का बड़ा मौका है। चूंकि भाजपा व कांग्रेस से प्रदेश की जनता तंग आ चुकी है । वामपंथियों ने इस बार काफी काम किया है।ऐसे में आगामी विधानसभा में एक – आध वामपंथी पहुंच जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
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