शिमला।जिला के रोहड़ू के तहसील टिक्कर के 52 साल के एचआइवी पाजीटिव पवन कुमार( बदला नाम) को डायलासिस के लिए आइजीएमसी से रोहड़ू और रोहड़ू से रिपन और रिपन से दोबारा रोहड़ू भटकना पड़ रहा हैं। अफसरों के मुताबिक ये प्रदेश में पहला एचआइवी पाजीटिव रोगी है जो अस्पताल में डायलासिस के लिए आ रहा हैं।ऐसे में दिक्कत आ रही हैं।
आलम ये है कि प्रदेश में एचआइवी पाजीटिव रोगियों के डायलासिस के लिए कोई इंतजाम ही नहीं हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के उप प्रबंध निदेशक ने कहा कि प्रदेश में ये अपनी तरह का पहला मामला सामने आए हैं। ऐसे में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से इस तरह के रोगियों के लिए इंतजाम करने के लिए वर्क आउट करना शुरू कर दिया हैं।
टिक्कर तहसील के पवन कुमार( बदला नाम)दस जून को अपनी किसी बीमारी की वजह से आईजीएमसी में दाखिल हुआ था। वहां पर पता चला कि उसकी किडनियां खराब हो चुकी हैं। ऐसे में वहां पर उसका डायलासिस किया गया। उसके बाद आइजीएमसी से कहा गया कि वो रोहड़ू में अपना अगला डायलासिस कराए।
उन्होंने रोहड़ू से https://reporterseye.com/ से मोबइल फोन पर कहा कि उसकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं हैं। जब वो रोहड़ू अस्पताल में डायलासिस कराने गया तो वहां उसका डायलासिस कराने के लिए इंकार कर दिया । उसे कहा गया कि एचआइवी पाजीटिव के लिए जो मशीन चाहिए उसे लेकर कोई दिक्कत हैं। ऐसे में वो यहां डायलासिस नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह उसे वहां से रिपन भेज दिया। लेकिन रिपन में भी उसका डायलासिस नहीं हुआ । यहां भी एचआइवी पाजीटिव रोगी के डायलासिस के लिए अलग से मशीन नहीं हैं। तब वो दोबारा आइजीएमसी गया । वहां पर सामान नहीं था तो पैसे देकर उसने डायलासिस कराया। लेकिन आइजीएमसी से कहा जा रहा है कि वो रोहड़ू में ही अपना डायलासिस कराए। जब रोहड़ू में इंतजाम ही नहीं है तो वो कैसे अपना डायलासिस कराएं।
उन्होंने कहा कि इसके बाद वो दोबारा अब रोहड़ू चला गया हैं। अब उसकी हालात खराब है। उसका 28 साल का बेटा पहले की ब्लड कैंसर से जूझ रहा है जबकि 72 साल की मां को घर पर ऑक्सीजन मशीन पर रखा गया हैं। ऐसे में उसका पूरा परिवार मुश्किलों से जूझ रहा हैं।
उधर इस बावत रोहड़ू अस्पताल के वरिष्ठ मेडिकल अफसर का प्रभार संभाल रहे डाक्टर रविंद्र शर्मा ने https://reporterseye.com/ से कहा कि ये मामला उनके ध्यान में आया हैं। उनके अस्पताल में हंस फाउंडेशन को डायलाासिस करने के लिए एनएचएम ने अधिकृत किया हुआ हैं। इस फाउंडेशन को अस्पताल ने स्पेस दे रखा हैं यहां पर छह मशीनें लगी हुई हैं। लेकिन उन पर पहले से ही कैंसर रोगी डायलासिस करवा रहे हैं।
उन्होंने इस बावत फाउंडेशन से बात की थी । उनका कहना है कि एचआइवी पाजीटिव रोगी के लिए अलग से उनके पास मशीन नहीं हैं। अगर पहले वाली मशीनों में इस रोगी का डायलासिस भी कराया जाता है दूसरे रोगी को एचआइवी की चपेट में आने की संभावना हैं।
उन्होंने कहा कि अगर फाउंडेशन अलग से मशीन लगा दे तो वो अस्पताल में स्पेस मुहैया कराने को तैयार हैं। लेकिन इसमें कुछ समय लग जाएगा तब तक रोगी को आइजीएमसी में जाना चाहिए।
स्वास्थ्य विभाग का जो भी पक्ष हो लेकिन इस मामले ने साफ कर दिया है कि सरकार के पास एचआइवी रोगियों के इस तरह के रोगों के इलाज के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। चूंकि ये रोहड़ू में पहला मामला सामने आया है। ऐसे में प्रदेश के बाकी अस्पतालों में एचआइवी पॉजीटिव रोगियों के डायलासिस को लेकर क्या इंतजाम है इस बावत सरकारी मशीनरी ही कुछ बता सकती है लेकिन पवन का डायलासिस कैसे होगा ये अब बड़ा सवाल खड़ा हो गया हैं। वो भी तब जब इस मरीज के पास पैसे नहीं है और बेटा ब्लड कैंसर से जूझ रहा है और मां ऑक्सीजन मशीन पर हैं।
डॉक्टर रविंद्र शर्मा ने कहा कि उन्होंने आज हंस फाउंडेशन को लिखा है कि वो इस रोगी का डायलासिस कराए। लेकिन अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं आया हैं।
उधर,एचआइवी रोगियों के लिए कानून में अलग से विशेष प्रावधान हैं। लेकिन पवन कुमार( बदला नाम) के मामले में ये प्रावधान काम नहीं आ रहे हैं।एनएचएम के उप प्रबंध निदेशक डाक्टर गोपाल बेरी ने https://reporterseye.com/ से कहा कि प्रदेश में ये अपनी तरह का पहला मामला सामने आया हैं। कई जगहों पर हेपेटाइटस रोगियों के डायलासिस के लिए तो अलग मशीनें है लेकिन एचआइवी पाजीटिव रोगियों के लिए अलग इंतजाम हो इसके लिए वर्कआउट शुरू कर दिया गया हैं।
उधर, एचआइवी पाजीटिव रोगियों के लिए काम करने वाले सरकारी विभाग राज्य एडस कंट्रोल सोसायटी के निदेशक राजीव कुमार ने https://reporterseye.com/ से कहा कि एचआइवी रोगियों की देखभाल करना सोसायटी की डयूटी हैं।
बहरहाल,https://reporterseye.com/ ने ये संजीदा मामला उनके नोटिस में ला दिया है। अब सोसायटी अपने डयूटी किस हद तक निभा पाती है,इसका इंतजार रहेगा। उन्हें वाटसएप संदेश भेजा गया कि इस मामले में रोगी का डायलासिस हो इसके लिए एडस कट्रोल सोसायटी किस तरह से दखल दे सकती है,इस बावत निदेशक राजीव कुमार की ओर से खबर लिखे जाने तक तो कोई जवाब नहीं आया था।
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