शिमला।हिमाचल प्रदेश पंचायती राज महासंघ ने प्रदेश की सुक्खविंदर सिंह सुक्खू सरकार की ओर से पंचायती राज एक्ट के खिलाफ जाकर ऊल-जुलूल फैसले लेकर प्रधानों व वार्ड सदस्यों को जलील करने के कारनामों को लेकर चेता दिया हैं।
हिमाचल पंचायती राज महासंघ के अध्यक्ष विजेंद्र सिंह चंदेल की अध्यक्षता में महासंघ का एक प्रतिनिधिमंडल आज पंचायती राज मंत्री अनिरूद्ध सिंह से राजधानी शिमला में मिला व उन्हें पंचायत प्रधानों व वार्ड सदस्यों की मांगों से अवगत कराया। चंदेल ने मीडिया से कहा कि अगर सुक्खू सरकार ने अपनी करतूतें नहीं सुधारी तो महसंघ आने वाले दिनों में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा देगा और सरकार को पंचायती राज एक्ट का उल्लंघन नहीं करने देगा।
महासंघ के अध्यक्ष विजेंद्र सिंह चंदेल आगाह किया कि सक्खू सरकार व पंचायती राज विभाग की ओर से पंचायत प्रतिनिधियों के उपर जो-जो इलजाम थोपे जा रहे हैं, उन पर सरकार तत्काल प्रभाव से प्रतिबन्ध लगाए। महासंघ ने मंत्री से आग्रह किया है कि वो व्यक्तिगत रूप से पंचायत प्रतिनिधियों का सहयोग करें क्योंकि विधानसभा चुनाव व उप चुनाव में पंचायत प्रतिनिधि सरकार के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर इस आशा से खड़े हुये थे कि सरकार संकट मोचन के रूप में हमें संजीवनी देकर हमरा उत्थान करेंगें। लेकिन अब सब उल्टा पुल्टा हो रहा हैं।
महासंघ ने सुक्खू के मंत्री से कहा कि अब सरकार के फरमान आ रहे है कि बीपीएल सूची तैयार करने में पंचायत प्रतिनिधियों का कोई भी हस्ताक्षेप नहीं रहेगा। लेकिन यह तो पहले से ही होता आया है कि इसका चयन ग्राम सभा की ओर से किया जाता है न कि पंचायत प्रतिनिधियो की ओर से । यह आरोप पंचायत प्रतिनिधियों पर ये गलत आरोप लगाया जा रहा है।
हाल ही में सरकार की ओर से खण्ड विकास अधिकारियों को पंचायती राज निदेशक की ओर से पत्र जारी किया गया है कि जिसमें कहा गया है कि पंचायतों में विकास कार्यों को करवाने के लिए जो सामग्री निविदा (टेंडर) प्रक्रिया के माध्यम से पंचायतों द्वारा की जाती थी वह अब विकास खण्ड के द्वारा की जा रही है।
चंदेल ने कहा कि ये पूरी तरह से गलत है, क्योंकि हिमाचल प्रदेश में हजारों पंचायतें हैं, प्रत्येक पंचायतों में अखबारों के माध्यम से टेंडर नोटिस का विज्ञापन दिया जाता है उसके बाद पंजीकृत विक्रेता (ठेकेदार) जी०एस०टी० सहित अपनी-अपनी निविदा पंचायतों में नियमानुसार जमा करवाते हैं।
उसके बाद पंचायत कमेटी उन निविदाओं को सबके सामने खोलती है तथा नियमानुसार सबसे कम रेट वाली निविदा को मान्य किया जाता है और प्रत्येक पंचायतों में अलग-अलग ठेकेदारों के टेंडर लगते हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा ठेकेदारों को भी गाड़ियों सहित रोजगार मिलता है और पंचायतों को भी अलग-अलग ठेकेदारों से विकास कार्य करवाने के लिए समय अनुसार सामग्री उपलब्ध होती है। सरकार इसमें छोटे ठेकेदारों के अधिकारों को न छिनने दें।
महासंघ ने पंचायतों में विकास कार्यों की सामग्री विक्रेताओं यानी ठेकेदारों से लिए जा रहे एम फार्म को लेने की प्रथा को भी बन्द करवाने की मांग की हैं। चंदेल ने कहा कि एम फार्म की जगह रॉयल्टी जमा करवाने के आदेश विभाग को देने की मांग की है रायल्टी लेने से भी सरकार का राजस्व बढ़े ।इससे सरकार की आय के साधन भी बढेगें।
इसके साथ जो मनरेगा में चार महीने से मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी तथा सामग्री की अदायगी नहीं हो रही है उसे भी जल्द से जल्द करवाने की मांग की गई है।
महासंघ ने कहा कि एक तरफ तो सरकार मनरेगा में रोजगार देने की बात कहती है तथा दूसरी तरफ 20 कामों से उपर न करने की पाबंदी की शर्त थोप रही है।
चंदेल ने कहा कि जब 2023 में हिमाचल में इतनी बड़ी आपदा आई और कई जगहों पर तो पूरे पूरे क्षेत्र क्षतिग्रस्त हो गये। क्षतिग्रस्त क्षेत्रों में विकास कार्य करवाने के लिए सरकार के पास इतना बड़ा बजट उपलब्ध नहीं हो पाया, जबकि उस समय 90फीसद कार्य मनरेगा के तहत करवाये गये।
उस बुरे वक्त में भी सरकार के साथ यही पंचायत प्रतिनिधि कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े रहे। लेकिन आज इन जनप्रतिनिधियों को सरकार व विभाग की ओर से जलील किया जा रहा है व अब इतना सब सहन करने की क्षमता नहीं बची हैं।
चंदेल ने आगाह किया कि कहीं ऐसा न हो कि हमें सरकार व विभाग के खिलाफ अन्दोलन शुरू करना पड़े। जिसमें विकास कार्यों में बाधा आने में सरकार व विभाग जिम्मेवार रहेगा।
महांसघ ने पंचायती राज के सभी प्रतिनिधियों को पेंशन लगाने की व आनलाइन हाजिरी लगाने से छूट की मांग की हैं।यही नहीं महासंघ ने एचआरटीसी की बसों में मुफत यात्रा की मांग भी की हैं
महासंघ ने साथ ही कहा कि पंचायती राज के तहत पंचायतों के अधीन जो राजस्व सरकारी भूमि खाली पड़ी है, जिस भूमि पर पेड़ पौधे न हो उस भूमि को पंचायतों के अधीन करने या पंचायतों को लीज़ पर प्रदान करने स्वीकृति दी जाये जिससे पंचायतें उस भूमि पर दुकानों का निर्माण कर सकें। जिससे पंचायतों की ओर से ग्रामीण बेरोजगार नौजवानों को स्वयं रोजगार चलाने के लिए किराये पर दी जा सके। जिससे पंचायतों को आय का साधन भी प्राप्त होगा और बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध होगा।
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