शिमला। सुक्खू सरकार के छह मुख्य संसदीय सचिवों की मंत्रियों वाली सुविधाओं और मंत्री का काम काज देखने पर प्रदेश हाईकोर्ट ने पाबंदी लगा दी हैं। इस मामले में प्रदेश हाईकोर्ट में पिछले दो दिनों से सुनवाई चल रही थी। आज सुनवाई के बाद प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन नेगी और न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि सीपीएस जो मंत्रियों वाली सुविधा ले रहे उस पर तत्काल प्रभाव से पांबदी लगा दी जाती हैं। इसके अलावा अगर वह कोई मंत्रियों वाला काम भी कर रहे हैं तो वह उस पर पांबदी रहेगी।
खंडपीठ अब अगली सुनवाई 12 मार्च को करेगी।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने छह मुख्य संसदीय सचिवों की तैनाती की थे। इनमें अर्की से विधायक संजय अवस्थी इन्हें मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और लोक निर्माण मंत्री के साथ संबंद्ध किया गया था, पालमुर से विधायक आशीष बुटेल को मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के साथ, रोहड़ू से विधायक मोहन लाल ब्राक्टा को मुख्यमंत्री के अलावा उदयोगव राजस्व मंत्रियों, कुल्लू से विधायक सुंदर सिंह ठाकुर को मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री ,दून से विधायक राम कुमार को मुख्यमंत्री के अलावा उदयोग मंत्री और राजस्व मंत्री जबकि किशोरी लाल को पशुपालन और पंचायती राज मंत्री के साथ संबद्ध किया गया था।
इन सबकी की मंत्रियों वाली सुविधाओं पर रोक लगा दी गई हैं। याद रहे भाजपा ने इन नियुक्तियों के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा रखा हैं।
आज सुनवाई के बाद भाजपा की ओर से मामले में पैरवी कर रहे भाजपा के पूर्व सांसद व वकील सतपाल जैन ने मीडिया से रूबरू होकर कहा कि इन नियुक्तियों को भाजपा विधायक सतपाल सती व 11 विधयकों ने चुनौती दी थी। इन्होंने कहा कि इनका संविधान में कोई प्रावधान नहीं हैं। हिमाचल में केवल 12 मंत्री हो सकते है लेकिन सीपीएस को मिलाकर ये संख्या 17 -18 हो गई हैं।
जैन ने कहा कि उन्होंने एक स्टे अर्जी भी दायर की थी कि इन्हें मंत्रियों के काम करने से रेाका है। हाईकोर्ट ने स्टे अर्जी पर आज फैसला दे दिया व आदेश पास किया सीपीएस मंत्रियों वाली कोई भी सुविधा नहीं ले पाएग। इसके अलावा उन्हें मंत्रियों के नाते कोई भी काम करने से रोक दिया हैं।
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