शिमला। करोड़ों रुपए के छात्रवृति घोटाले में पिछले छह महीने में एक भी आरोप पत्र दाखिल न करने पर प्रदेश हाईको र्ट ने रोष जताते हुए सीबीआइ को फटकार लगाई है व सीबीआइ को एक और मौका देते हुए 20 अप्रैल से पहले ताजा स्टेटस रिपोर्ट अदालत में दायर करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा कि छह महीने की अवधि में सीबीआइ ने एक भी आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है ।
इस मामले में सीबीआइ ने आज हाईकोर्ट में सातवीं स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की । रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआइ इस घोटाले में 1176 शिक्षण संस्थानों मिलीभगत की जांच कर रही है। जांच के दायरे में आए 226 संस्थानों में से 28 छात्र वृति घोटाला करने में शामिल पाए जा चुके है। सीबीआइ की ओर से अदालत में कहा गया इनमें से 11 मामलों की जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके है। 17 संस्थानेां के खिलाफ जांच अभी भी चल रही है।
अदालत ने पाया कि 20 अक्तूबर 2021 जब इस मामले की सुनवाई हुई थी तो भी अदालत को बिलकुल यही स्थिति बताई गई थी। अदालत ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पिछले छह महीने में एक भी आरोप पत्र दाखिल नहीं हुआ है।
हालांकि सीबीआइ के वकील की ओर से सीबीआइ की स्थिति को न्यायोचित ठहराने की कोशिश की व कहा कि जांच एजेंसी ने 142 गवाहों के बयान दर्ज किए है। लेकिन अदालत ने संतुष्ट नहीं हुई और कहा कि छह महीने का समय जांच पूरी करने के लिए बहुत ज्यादा होता है।
प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रफीक मोहम्मद और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ ने जिला बिलासपुर के श्याम लाल की ओर से दायर याचिका के बाद इस तरह के आदेश जारी किए।
याचिकाकर्ता ने कहा कि शिक्षा विभाग के ततकालीन राज्य परियोजना अधिकारी शक्ति भूषण ने इस मामले की जांच की थी और 2018 में शिक्षा सचिव के निर्देशों के बाद एफआइआर दर्ज की थी। इस जांच में पाया गया था कि प्रदेश में करोड़ों रुपयों का छात्रवृति घोटाला हो गया है। इसमें प्रदेश ही नहीं प्रदेश के बाहर के निजी शिक्षण संस्थान भी शामिल है।
बाद में इस मामले को सीबीआइ को सौंप दिया गया । याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मामले में सीबीआइ का रवैया चौंकाने वाला व चिंतित करने वाला है । सीबीआइ सभी घोटाले बाज शिक्षणसंस्थानों की जांच नहीं कर रही है। वह 2772 शिक्षण संसथानें में से केवल 22 के खिलाफ जांच कर रही है। शक्तिभूषण की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में 2772 निजी शिक्षण संस्थानों का उल्लेख किया गया था।
याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया वह राज्य सरकार निर्देश दे कि उसकी सरकार की ओर से इस मामले में की गई पूरी जांच रिपोर्ट को सीबीआइ के हवाले कर दें। इसके अलावा सीबीआइ को निर्देश दिए जांए कि वह शक्ति भूषण जांच रिपोर्ट में शमिल तमाम शिक्षण संस्थानों की जांच कर उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज करे और दोषियों को सलाखों के पीछे भेजें।
इस पर खंडपीठ ने सीबीआाई को एक और मौका देते हुए 20 अप्रैल से पहले जांच पूरा कर स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए है।
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