शिमला। राजनीति में चेहरों पर मुस्कान और बगल में छुरी होना पुरानी कहावत है और ये कहावत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और केंद्रीय वितमंत्री अरुण जेटली के चेहरों से साफ झलकती है।जेटली ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर वीबीएस रिश्वत कांड को लेकर लोकसभा चुनावों से पहले गंभीर आरोप लगाए थे।
दिल्ली में जेटली और प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके सांसद बेटे अनुराग ठाकुर ने वीरभद्र सिंह के खिलाफ जबरदस्त मोर्चा खोला था। जेटली व धूमल परिवार किसी भी कीमत पर वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री के पद से हटाने पर आमदा थे।लेकिन केंद्र में मोदी सरकार के सतासीन होने व जेटली के वित मंत्री बनने के बावजूद वीरभद्र सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन है।
वीरभद्र सिंह आज केंद्रीय मंत्रीअरुण जेटली से मिले और उन दोनों के प्रदेश के लोकसंपर्क विभाग ने फोटू भी जारी किए है। इन फोटुओं को देख कर नहीं लगता कि जेटली असल में वीरभद्र सिंह को भ्रष्टाचारी मानते हो। दोनों खिलाखिला कर हंस रहे है। इन फोटुओं को देखकर धूमल व अनुराग के जिगर पर क्या गुजर रही होगी वही जानते होंगे।
वीरभद्र सिंह इसी हंसी खेल के बीच ने जेटली से आपदा राहत कोष के लिए 144 करोड़ रुपए जारी करने की मांग भी कर दी। वीरभद्र सिंह ने अपने टिवटर पर ये जानकारी दुनिया को दे भी दी।
गौरतलब हो कि जेटली ने वीरभद्र सिंह के केंद्रीय स्टील मंत्री रहते वीबीएस रिश्वत कांड से मशहूर हुए मामले के उठाया था।वीरभद्र सिंह की ओर से अपनी आयकर रिटर्न में अपनी आय को रिवाइज्ड रिटर्न में पहले की अपेक्षा 20-30गुना दिखाने का मामला वित विभाग के तहत आयकर विभाग के पास लंबित है और इस विभाग के मंत्री अरुण जेटली है।लेकिन प्रदेश के भाजपाइयों का मानना है कि इसके बावजूद कार्रवाई न होना कई सवाल खड़े करता है।
उधर, सचिवालय के आला अफसरों की माने तो चाहे जेटली हो या मोदी इस मामले में वो एफआईआर दर्ज करने की स्थिति में नहीं है। जबकि वीबीएस मामले में अगर वीरभद्र सिंह के खिलाफ एफआईआ दर्ज होती है तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करनी पड़ेगी। प्रशांत भूषण की याचिका पर सीबीआई को वीबीएस मामले में अगस्त के पहले सप्ताह में दल्ली हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश करनी है।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी और वीरभद्र सिंह विरोधी कांग्रेसी इसी दिन का इंतजार कर रहे है कि सीबीआई एफआईआर दर्ज करे और वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री की कर्सी छोड़े। अगर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज नहीं की तो वीरभद्र विरोधी कांग्रेसी और धूमल कैंप के भाजपाई दोनों मिलकर वीरभद्र सिंह के खिलाफ मोर्चा खेलने जा रहे है।ऐसे में माना जा रहा है कि वीरभद्र सिंह पहले ही मोदी और जेटली को आइने में उतारने की कोशिशों में जुटे है ताकि आगे होने वाले नुकसान से बचा जा सके।
अगर सीबीआई ने वीरभद्र सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की तो एचपीसीए मामले में धूमल व अनुराग ठाकुर दोनों को सजा कराने पूरा प्रयास होगा । ताकि ये दोनों 2018 के बाद सता में न रहसके। पार्टी सूत्रों के मुताबिक ऐसा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव जे पी नडडा,पूर्व सांसद सुरेश चंदेल और शांता कुमार भी चाहते है।
याद रहे कि जेटली वही शख्स है जिन्होंने वीरभद्र सिंह के वीबीएस मामले को संसद में उठाया था और यूपीए सरकार को सुरक्षा की मुद्रा में आना पड़ा था। वीरभद्र सिंह को अपना मंत्री पद भी गवांना पड़ा था। लेकिन आज जेटली व वीरभद्र सिंह का खिलखिलाकर हंसते हुए फोटुओं में जनता के बीच जाना कई संदेश देता है। राजनीतिक पंडित कहते है या तो याराना हो रहा है या डराना हो रहा है।
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