शिमलाा।सीबीआई व इडी की ओर से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सेब के आढ़ती चुन्नी लाल व एलआईसी एजेंट आनंद चौहान की गिरफ्ताारी के बाद अपनी कुर्सी पर छाए खतरे को देखते हुए बुलाई गई केबिनेट की आपात बैैठक से सीनियर मंत्री कौल सिंह गैर हाजिर रहे।आनंद चौहान व चुन्नी लाल जैसे वफादारों के गिरफ्तार होने के बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर भी गिरफ्ताारी की तलवार लटकी हुईं हैं।हालांकि सीबीआई को उन्हें अरेस्ट करने से पहले अदालत से इजाजत लेनी होगी लेकिन इडी पर ऐसी कोई बंदिश नहीं हैं। ऐसे में इडी कब क्या कदम उठा दें,इसे लेकर क्यास लगाए जा रहे हैं।सीबीआई व इडी की ओर से ये कार्रवाई होने के बाद अब कौल सिंह ने संकट की इस घड़ी में केबिनेट से गैरहाजिर रह कर वीरभद्र सिंह की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
मुख्यमंत्री के साथ एका दिखाने के लिए बुलाई गई इस आपात बैठक में दूसरे मंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी हाजिर नहीं हो पाए। लेकिन उनकी गैरहाजिरी इतनी महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि वो इन दिनों रशिया के दौरे पर है और अभी तक वीरभद्र सिंह के पाले के मंत्री माने हैं। लेकिन कौल सिंह ,जी एस बाली व वरिष्ठ मंत्री विद्या स्टोक्स वीरभद्र विरोधी खेमे के मंत्री माने जाते हैव ये तीनों ही वीरभद्र सिंह से मुख्यमंत्री की कुर्सी झटकने के लिए हर दम तैयार रहते हैं।
ऐसे में कौलसिंह गैरहाजिरी को लेकर कई क्यास लगने शुरू हो गए हैं। कौल सिंह चंडीगढ़ में ही थे।वो इस आपात स्थिति में वापस आ सकते थे लेकिन वो नहीं आए।इसे कौल सिंह की ओर से वीरभद्र सिंह के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने का संकेत समझा जा रहा है।
केबिनेट की इस आपात बैठक के बाद मीडिया से रूबरू हुईं वरिष्ठ मंत्री विद्या स्टोक्स ने बेशक दावा किया कि पूरी केबिनेट सीएम वीरभद्र सिंह के साथ चटटान की तरह खड़ी हैं। लेकिन कौल सिंह के केबिनेट सेगैरहाजिर रहने उनका दावा गलत सााबित हो जाता है।स्टोक्स ने कौल सिंह की बगावत को दरकिनार कर दावा किया कि कौल सिंह ने फोन पर वीरभद्र सिंह के साथ खड़े होने का भरोसा दिया है। उन्हें कुछ काम था इसलिए वो नहीं आ रहे हैं।इसके अलावा उन्होंने कौल सिंह को लेकर कोई खुलासा नहीं किया।
बीते रोज सचिवालय में ये हल्ला मच गया था कि कौल सिंह ने इस आपात केबिनेट में शामिल होने से इंकार कर दिया था। उन्हें तभी से काबू करने की कोशिशशें की जा रही थी। लेकिन उन्हें केबिनेट की बैठक में हाजिर रहने को नहीं मनाया जा सका। येे घटनाक्रम बेहद महत्वपूर्ण है।
उधर, स्टोक्स ने कहा कि केबिनेट ने वीरभद्र सिंह का साथ देने को लेकर प्रस्ताव पास किया और केबिनेट में क्या-क्या हुआ इसका खुलासा उन्होंने नहीं किया। इसके बाद मुख्यमंत्री तुरंत सरकारी अमले के साथ बिलासपुर के लिए रवाना हो गए।
सुबह साढ़े नौ बजे समाप्त हो गई इस केबिनेट की बैठक को लेकर आधिकारिक तौर पर तीन बजे तक भी मीडिया को कोई जानकारी नहीं दी गई। ये कहा गया कि सचिव जीएडी मीडिया के लिए मसौदा तैयार कर रहे हैं। आखिर में सवा पांच बजे के करीब सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया कि मंत्रिमंडल के सदस्यों ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में पूर्ण आस्था व्यक्त की। प्रस्ताव में कहा गया कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के त्यागपत्र को लेकर भाजपा के सदस्यों की ओर से किया जा रहा शोर-शराबा निर्थक हैै, जो पूरी तरह कानून के प्रति निरादर दर्शाता है। प्रदेश की कानून और न्याय के प्रति आस्था दिखाने के बजाय कुछ भाजपा नेता, जिनका कोई आधार नहीं है, लोकतांत्रित ढंग से चुने गए मुख्यमंत्री को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं। यह पूर्णतः स्पष्ट है कि उन्हें यह अहसास हो गया है कि वे लोकतांत्रिक और चुनावी प्रक्रिया के माध्यम से सत्ता प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
मंत्रिमंडल के सदस्यों ने यह भी अनुभव किया है कि यह सारा मामला पूर्णतः वित्तीय रिटर्न से सम्बन्धित रहा है तथा आयकर विभाग इस मामले को बंद कर चुका हैं। परन्तु वीरभद्र सिंह को परेशान करने के एक मात्र उद्देश्य से तीन केन्द्रीय एजेंसियों आयकर, सीबीआई और प्रर्वतन विभाग द्वारा इसकी जांच की जा रही हैं, जो बेहद निंदाजनक है।
इस प्रकार के गैर कानूनी तरीके को राज्य की जनता द्वारा पूरी तरह खारिज किया जाएगा। यह अत्यंत खेदजनक है कि इस प्रकार के अलोकतांत्रित तरीके को केन्द्र में सत्तासीन राष्ट्रीय पार्टी के कुछ नेता बढ़ावा दे रहे हैं। कानून को अपने ढंग से इस मुद्दे को हल करने देना ही केवल परिपक्व प्रतिक्रिया है। कानूनी प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास कर लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने का प्रयास करना अत्यंत निंदाजनक है और प्रदेश के लोगों द्वारा इसका पूरजोर विरोध किया जाएगा।
दिलचस्प ये रहा कि इस विज्ञप्ति में ये जिक्र नहीं किया गया कि केबिनेट में कौन -कौन मंत्री आए थे व किस- किस ने क्या कहा इसका कतईजिक्र नहीं किया गया। कौल सिंह केबिनेट में नहीं आए थे, उनकी ओर से भी विज्ञप्ति में कुछ नहीं कहा गया।जिससेसमझा जा रहा हैं कौल सिंह इस मामले वीरभद्र सिंह के साथ नहीं हैं व केबिनेट का वीरभद्र सिंह के पक्ष में एका टूटा गया हे।
इस मसले पर सबसे ज्यादा हैरान करने वाली प्रतिक्रिया भाजपा प्रवक्ता राजीव बिंदल की रही। उन्होंने न तो इस्तीफा मांगा और न कोई धरने -प्रदर्शन की बात की।बोले,भाजपा कानूनी प्रक्रिया में दखल नहीं देंगी। सरकार में हलचल मची हुई है।
उधर, बिलासपुर में मुख्यमंत्री से मीडिया से कहा कि प्रदेश सरकार भाजपा के दुष्प्रचार का मुंहतोड़ जबाव देगी, क्योंकि राज्य भाजपा के कुछ नेता केन्द्र सरकार के एक मंत्री के साथ मिलकर उन्हें झूठे मामलों में फंसाने की साजिश रच रहे हैं। संभवत: उनका इशारा केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की ओर था।
सिंह ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केन्द्र की तीन.तीन जांच एजेंसियां उनके विरूद्ध आयकर मामले की जांच कर रही हैं। भाजपा ने उनके शक्ति परीक्षण के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी हैं, लेकिन वे भूल रहे हैं कि भाजपा नेता जितना अधिक उन्हें दबाने का प्रयास करेंगे वह और मजबूत होकर उभरेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रेम कुमार धूमल ने अपने मुख्यमंत्रीत्व काल में उनके खिलाफ झूठे मामले बनाए, झूठे मामलों में फंसाया गया, लेकिन न्यायालय से हर बार दोषमुक्त साबित हुए। उन्होंने कहा कि इस सब के बावजूद वह धूमल परिवार के भले की कामना करते हैं और कभी भी उस रणनीति को नहीं अपनाएंगेए जिसे धूमल सरकार ने अपनाया था।
भाजपा व मुख्यमंत्री की ये बयानबाजियां दिलचस्प हैं व इशारा कर रहीहै कि अंदरखाते कई कुछ चल रहा हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैकि मिलीभगत हो चुकी हैं व केंद्रीय एजेंसियां कानूनी प्रक्रिया पूरी कर रही है।ये सही है या गलत ये इस बात से साबित हो जाएगा कि इडी व सीबीआई मुख्यमंत्री व उनके परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार करती हैं या नहीं ।
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