शिमला। बेशक पदेश की कांग्रेस सरकार दो साल का कार्याकाल पूरा करने का जश्न मनाने की तैयारी में है लेकिन दूसरी ओर हिमाचल भवन को अटैच कर उसकी नीलामी के आदेश को हिमाचल हाईकोर्ट से स्टे नहीं मिला । बीते रोज सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की ओर से दायर अर्जी पर जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने अपने पहले के आदेश में कोई बदलाव नहीं किया।
सरकार की अर्जी में पहले के आदेश में बदलाव करने की फरियाद लगाई गई थी ।
ये है मामला
मोजर बीयर की कंपनी सेली हाइडल पावर कंपनी को आंवटित 400 मेगावाट का सेली हाइडल पावर प्रोजेक्ट को लेकर ने अपफ्रंट मनी के 64 करोड़ रुपए जमा कराए थे। लेकिन बाद में ये प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं हो पाया और कंपनी ने हाईकोर्ट में अप फ्रंट मनी की रकम लौटाने के लिए याचिका दायर कर दी। 21 नवंबर 2022 में जस्टिस् संदीप शर्मा की एकल बेंच ने इस मामले में फैसला सुरक्षित लिया और 13 जनवरी 2023 को सुनाए अपने फैसले में इस रकम को लौटाने के आदेश सरकार को दे दिए।
इस फैसले के खिलाफ सरकार ने डब्बल बेंच में चुनौती दे दी । डब्बल बेंच ने जस्टिस संदीप शर्मा के फैसले पर रोक लगा दी लेकिन शर्त लगा दी कि ये रोक तभी लागू रहेगी जब सरकार अप फ्रंट मनी की रकम को ब्याज समेत हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करा देगी । ऐसा इसलिए किया गया ताकि ब्याज की रकम जो लगातार बढ़ रही थी वो सरकारी खजाने से न जाए।
लेकिन बार-बार समय मांगनें के बाद भी सरकार ने ये रकम जमा नहीं कराई।ऐसे में डब्बल बेंच ने ये स्टे हटा दिया और सरकार को ये रकम जमा कराने का एक और मौका दे दिया।
इस बीच कंपनी ने हाईकोर्ट की एकल पीठ के सामने जस्टिस संदीप शर्मा के फैसले को लागू करने को लेकर याचिका दायर की दी। जस्टिस अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने रकम जमा न कराने पर हिमाचल भवन को अटैच कर के का आदेश दे दिया और कंपनी को कहा कि वो नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर अपनी रकम वसूल सकतीहै।
इसके बाद सरकार ने आनन फानन में 64 करोड़ रुपए भी जमा कराए और बाद में 30 करोड़ रुपए के करीब की रकम ब्याज की भी जमा करा दी।
इसलिए नहीं रुकी नीलामी
सरकार ने 94 करोड़ रुपए की रकम तो जमा करा दी लेकिन अदालत में जो अर्जी दी उसमें फारियाद की गई कि डब्बल बेंच ने जो पहले स्टे दिया था व उसे बाद में हटा दिया था उस आदेश में बदलाव कर दोबारा से स्टे से बहाल कर दिया जाए। डब्बल बेंच ने कहा कि उस अर्जी का तो उसी समय निपटान हो चुका था। ऐसे में उस आदेश में बदलाव कैसे हो सकता है।
इस मामले की सुनवाई में महाधिवक्ता अनूप रतन दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़े।
अब सरकार की ओर से अदालत में अटैचमेंट रिमूव करने के लिए अलग से अर्जी दाखिल की जा रही है। अब इस बात का इंतजार है कि सरकार कब हिमाचल भवन के नीलामी के आदेश को रुकवा पाती है।
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