शिमला। 960 मेगावाट के छह हजार करोड़ के बिजली प्रोजेक्ट को हासिल करने के बाद नीदरलैंड की कपंनी ब्रेकल कारपोरेशन एनवी की ओर से अदाणी पावर लिमिटेड द्वारा बतौर अप फ्रंट मनी जमा किए गए 280 करोड़ रुपए को लौटाने के मामले पर अदाणी पावर की ओर से अदालत में जयराम सरकार की ओर से जवाब देने के लिए और समय मांगने का विरोध किया। अदाणी पावर की ओर से अदालत में कहा गया कि सरकार अदालत के आदेशों का पालन तक नहीं कर रही है।
सरकार की ओर से इस मामले में आज भी जवाब दायर करने के लिए आठ सप्ताह का समय मांगा गया व कहा कि आचार संहिता के बाद मंत्रिमंडल की एक ही बैठक हुई है। इसके अलावा मुख्यमंत्री विदेश दौरे पर चले गए थे।
अदाणी पावर की ओर से पैरवी कर रहे वकील नीरज गुप्ता ने दलील दी 22 फरवरी को याचिका दायर की गई थी और सरकार को एडवांस में याचिका की प्रति मुहैया कराई गई थी। इसके बाद 19 मार्च को अदालत ने सरकार को आदेश दिए थे कि वह अदालत को बताएं कि इस परियोजना को आवंटित करने के लिए क्या कदम उठाए हैं ताकि सरकार की ओर से अप फ्रंट मनी लौटाने का जो वादा किया गया है उसके मुताबिक इस रकम को लौटाया जा सके।
उन्होंने कहा कि इसके बाद 24 अप्रैल को अदालत ने दोबारा इस मामले पर पुनर्विचार करने के लिए इसे मंत्रिमंडल में ले जाने के आदेश दिए थे। याद रहे ये दोनों आदेश प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की अदालत ने दिए थे। इस बीच न्यायमूर्ति सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट के जज बन गए।
लेकिन सरकार ने आज तक कुछ नहीं किया व अब तक मंत्रिमंडल की बैठकें हो चुकी है। सरकार को और समय देने की कोई तार्किक वजह नहीं है। सरकार को समयावधि में बांधा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले को मंत्रिमंडल में ले जाना तो दूर सरकर ने जो हलफनामे पर जवाब देना था वह तक नहीं दिया है।
इस पर सरकार की ओर से महाधिवक्ता अशोक शर्मा ने कहा कि याचिका में कुछ तथ्य छिपाए गए है। ऐसे में अदालत की ओर से ऐसे आदेश हो गए। अमूमन पहली सुनवाई पर इस तरह के आदेश नहीं होते है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले पर अपना पक्ष रखने के लिए तैयार है । मुख्यमंत्री जिनके पास बिजली महकमा भी है,वह विदेश दौरे पर रहे । ऐसे में इस मामले को पुनर्विचार के लिए मंत्रिमंडल में नहीं ले जाया सका। याद रहे बीते रोज ही जयराम मंत्रिमंडल की बैठक हुई थी।
प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी और न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना दुआ रेवाल की अदालत में आज इस मामले की सुनवाई हुई व अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई के लिए निर्धारित की है। खंडपीठ ने कहा कि वह 11 जुलाई व इससे पहले जवाब दायर कर दे।
इस मामले में महाधिवक्ता की ओर से 26 अप्रैल की सुनवाई पर अदालत में यह बयान देने पर कि सरकार इस मामले को पुनर्विचार करने के लिए मंत्रिमंडल में ले जा रही है, पर विवाद खड़ा हो गा था। 27 अप्रैल को ही प्रधान सचिव पावर प्रबोध सक्सेना ने मुख्यमंत्री को फाइल पर लिख कर भेज दिया था कि उन्होंने महाधिवक्ता को इस तरह का ब्यान अदालत में देने के निर्देश नहीं दिए थे। अगर बतौर बिजली मंत्री उन्होंने दिए है तो वह इस बावत अवगत करांए व आगे क्या करना है ये भी बताएं। यह फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय से कहां गई है इस बावत किसी को कुछ पता नहीं है।
अदाणी पावर लिमिटेड ने अपनी याचिका में दावा किया है कि 2008 में ब्रेकल की ओर से उसने अप फ्रंट मनी जमा कराया है व यह रकम उसे 18 फीसद ब्याज समेत लौटाई जाए। पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार ने 2006 के आखिर में जिला किन्नौर के जंगी थोपन में 960 मेगावाट की इस परियोजना को ब्रेकल को आवंटित किया था। वह अपफ्रंट मनी जमा नहीं करा पाई तो उसकी ओर से अदाणी पावर ने अपफ्रंट मनी जमा कराया। बाद में इस आवंटन को ब्रेकल की कारगुजारियों के सामने आने पर प्रदेश हाईकोर्ट ने बोली में दूसरे नंबर पर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की याचिका पर रदद कर दिया था। यह अपफ्रंट मनी बोली के उपनियमों के मुताबिक जब्त हो गया। सरकार पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कह चुकी है कि यह पैसा ब्रकल ने जमा कराया था व अदाणी का सरकार से कोई लेना देना नहीं है।
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