शिमला। धूमल को बड़ी राहत देते हुए प्रदेश हाईकोर्ट ने पूर्व आईपीएस अफसर अमरनाथ शर्मा को दोबारा नौकरी देने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ दर्ज एफआईआर और निचली अदालत में चल रही कार्यवाही को निरस्त कर दिया है।इस मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने जजमेंट रिजर्व किया था।
जस्टिस राजीव शर्मा की एकल पीठ ने ये फैसला सुनाते हुए कहा कि विजीलेंस की ओर से धूमल,पूर्व मुख्य सचिव रवि ढींगरा,पूर्व गृह सचिव पी सी कपूर व पूर्व आईपीएस अफसर एएन शर्मा के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त कर दिया जाना चाहिए।
अपने आदेश में उन्होंने कहा कि एफआईआर 6/2014और17जून2014 को तैयार आखिरी रिपोर्ट में 420और 120बी के तहत अपराध नहीं बनता है।
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने स्पेशल कोर्ट वन के धूमल को इस मामले में सम्मन जारी करने पर उनके आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
धूमल ने अदालत में दायर अपनी याचिका में कहा था कि विजीलेंस ने स्पेशल कोर्टवन को गुमराह किया व राज्यपाल की ओर से दी गई राय को अदालत के सामने नहीं लाया गया। इस मामले में पहले पूर्व राज्यपाल उर्मिल सिंह ने अपना आदेश दिया था कि धूमल व बाकियों के खिलाफ बनाए गए मामले में राज्यपाल की मंजूरीलेने की जरूरत नहीं है।इसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह को हिमाचल के राज्यपाल का प्रभार दिया गया।धूमल ने उनको ज्ञापन सौंपा । कल्याण सिंह ने अपने आदेश में कहा कि धूमल के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है।
हाईकोर्ट ने आब्जर्व किया कि धूमल ने एएन शर्मा को नौकरी देने का फैसला कानूनी राय व गृह सचिव व मुख्य सचिव की सिफारिश पर बिना बुरी मंशा व बिना पक्षपात के किया था।इसके अलावा नोटिंग पर मुख्य सचिव व गृह सचिव ने कहीं भी नहीं लिखा है कि वो ये सिफारिश धूमल के कहने पर कर रहे है।इस पर कल्याण सिंह ने अभियोजन की मंजूरी नहीं दी।
लेकिन कल्याण सिंह के आदेश आने से पहले विजीलेंस ने स्पेशल कोर्ट वन में चालान दायर कर दिया था।स्पेशल कोर्ट ने आगे कार्यवाही करते हुए धूमल व बाकी आरोपियों को सम्मन जारी कर दिए। जिसे धूमल ने चुनौती दी थी।
सता में आने पर वीरभद्र सिंह सरकार ने इस मामले में की जांच शुरू कराई थी। जांच वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी अफसर सोलन के एस पी रमेश छाजटा ने की थी।
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