शिमला।प्रदेश की जनता के खजाने के दम पर पीजी कर चुके रहे 45 डॉक्टरों को सुक्खू सरकार बॉंड की शर्तों के मुताबिक प्रदेश में तैनाती नहीं दे पाई और प्रदेश की जनता को इन डाक्टरों की सेवा से महरूम कर दिया।
यही नहीं जब सरकार की ओर से तय समय में इन डाक्टरों को तैनाती नहीं मिली तो इन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया और अदालत से दो साल तक ग्रामीण इलाकों में सेवा देने की बॉड की शर्तों को खारिज कर देने की मांग कर दी। अदालत ने इन डाक्टरों की मांग को मंजूर कर लिया व प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के खिलाफ कार्यवाही करने के आदेश दे दिए।
प्रदेश सरकार की फरवरी 2019 की स्वास्थ्य नीति के मुताबिक सरकारी खर्च या रियायती फीस के आधार पर पीजी करने वाले डॉक्टरों से पीजी में दाखिला होने पर बॉंड भरवाया जाता है कि पीजी की पढ़ाई पूरी करने के बाद दो सालों तक वो प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में अपनी सेवाएं देंगे ताकि ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में डाक्टरों की कमी को पूरा किया जा सके।
नीति में सरकार को ये तैनाती पीजी का परिणाम निकलने के एक महीने के भीतर कर देने का प्रावधान हैं। लेकिन सुक्खू सरकार इन 45 डाक्टरों की तैनाती तय समय के भीतर नहीं कर पाई। इन डाक्टरों का पीजी का परिणाम सात मार्च को घोषित हो गया था लेकिन जब 9 अप्रैल तक तैनाती भी इनको तैनाती नहीं मिली ता इन डाक्टरों ने अफसरों को एक ज्ञापन भी दिया ।
इस ज्ञापन के बाद सरकार ने 10 अप्रैल को इन डाक्टरों की तैनाती के आदेश जारी कर दिए लेकिन 11 अप्रैल को इन डाक्टरों ने कहा कि ये तैनाती तय सीमा के भीतर नहीं दी गई है इसलिए बॉंड की शर्तों को खारिज किया जाए।
2021 बैच के इन डॉक्टरों ने ज्ञापन में ये भी कहा कि उनकी एमबीबीएस की डिग्री उन्हें दे दी जाए और बॉंड का चेक जो उन्होंने सरकार के पास जमा कराया है उसे उन्हें लौटा दिया जाए। इसके अलावा इन डाक्टररों ने एनओसी भी मांगी ताकि ये बॉंड की शर्तों से मुकत हो सके।
अदालत में बताया गया कि पीजी होने के दो महीने पहले ही स्वास्थ्य विभाग के अफसर मेडिकल कॉलेजों में जाकर वॉक-इन-इंटरव्यू करते है लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया।
इस पर इन डाक्टरों ने अदालत का दरवाजा खटखटा दिया और दो सालों तक ग्रामीण इलाकों में सेवा देने की बॉंड की शर्तों को खारिज करने की मांग की।
न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की एकल पीठ ने इन डाक्टरों की याचिका को मंजूर करते हुए अपने आदेश में कहा कि तैनाती न देने के पीछे स्वास्थ्य विभाग की अफसरों की लापरवाही साफ झलकती हैं। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्यवाही करे और अनुपालना रपट अदालत में पेश करे।
इसी के साथ अदालत ने इन तमाम डाक्टरों को बॉंड की शर्तों से मुक्त कर दिया यानी अब इन 45 डॉक्टरों की सेवाएं प्रदेश की ग्रामीण इलाकों की जनता को नहीं मिलेंगी।
प्रदेश हाईकोर्ट ने सुक्खू सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की लापरवाही को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा कर उनके खिलाफ कार्यवाहही करने के निर्देश जारी किए हैं।
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