शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने रेणुकाजी बांध परियोजना के लिए एक व्यक्ति की जमीन अधिग्रहित करने पर हिमाचल प्रदेश पावर निगम की ओर से उसे 48 लाख रुपए की रकम अदा ने करने पर निगम को कड़ी फटकार लगाते हुए इस रकम को तुरंत जारी करने के निर्देश दिए है।
अदालत ने साथ ही निगम पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जिसमें से 50 हजार रुपए याचिकाकर्ता को और बाकी 50 हजार रुपए रेड क्रास सोसायटी को 31 अगस्त से पहले जमा करने के निर्देश दिए है। अदालत ने कहा कि निगम को जुर्माने की ये ाकम पहले अपने खाते से अदा करनी होगी व बाद में उन कर्मचारियों व अधिकारियो ंसे वसूली जाएंगी जो इस मुकदमे को इतने सालों तक लटकाते रहे है। अगर ये कर्मचारी व अधिकारी सेवानिवृत हो गए हैं तो भी ये रकम इन्हीं से वसूली जाएगी।
अदालत ने कोताही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ निगम के अध्यक्ष की ओर से जासंच करने के निर्देश दिए व 31 अक्तूबर तक अदालत के अनुपालाना की रिपोर्ट अदालत में तलब कर ली है।
ये आदेश के प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायामूर्ति तिरलोक चौहान ने दिए है।
अदालत ने निगम के खिलाफ तीखी टिप्पणियां करते हुए कहा कि निगम बचकाना मुकदमें बाजी में संलिप्त रहा है और अदालत का समय भी खराब किया है।
अदालत ने कहा कि यह दुर्भाग्य पूर्ण है कि सरकारी उपक्रम होने के बावजूद निगम ने याचिकाकर्ता के पचास लाख रुपए के करीब की रकम को गैरकानूनी तरीक से हड़पने की कोशिश की। और अदालत की प्रक्रिया का बुरी तरह से दुरुपयोग किया।
मामला एचपीपीसीएल और याचिकाकर्ता सत देव सिंह के बीच का । रेणुकाजी बांध परियोजना के निगम ने सतदेव सिंह से आपसी सौदे बाजी में जमीन ले ली । इसके बाद सत देव ने 16 लाख 27 हजार 500 रुपए की सेल डीड निगम के नाम बना दी। साथ ही भरोसा दिया कि अगर अवार्ड में ज्यादा रकम बनी तो उसे इस रकम को बाद में अदा कर दिया जाएगा।
23 अगस्त 2012 को जो अवार्उ यहां की जमीनों का घोषित हुआ उसके तहत याचिकाकर्ता की जमीनकी कीमत 51 लाख 19 हजार 432 रुपए बना। पहले ले ली गई रकम को घटा दे तो भी याचिकाकर्ता की जमीन की कीमत 34 लाख 91 हजार 932 बनती है। इसमें बाकी लाभों को जोड़ देने के बाद यह रकम 47 लाख 50 हजार 175 रुपए बनते है।
अदालत ने कहा कि निगम को यह रकम याचिकाकर्ता को अदा कर देनी चाहिए थी। लेकिन निगम सरकारी उपक्रम होते हुए याचिकाकर्ता को परेशान करता रहा। वह इस तरह कानूनी लड़ाई लड़ता रहा है जैसे दुश्मन के खिलाफ जंग लड़ रहा हो। जबकि कानूनन ये रकम याचिकाकर्ता को मिलनी ही थी।
अदालत ने अनुपालना रिपोर्ट के लिए अगली सुनवाई 31 अक्तूबर को निर्धारित की है।
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