शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में हो रहे अवैध खनन पर गहरी चिंता जताते हुए जिला मंडी के जिला उपायुक्त, एसपी और जिला खनन अधिकारी को लोहारा,कान्सा और सुकेती खडडों का उनके मूल से लेकर मंडी शहर में उनके ब्यास नदी में मिलन स्थल तक तीन सप्ताह के भीतर निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए है।
अदालत ने निरीक्षण के दौरान डीसी,एसपीऔर जिला खनन अधिकारी के अलावा खनन,उ़द्योग,आइपीएच,राजस्व,और वन विभाग के अधिकारियों को साथ रखने के आदेश दिए है। यहीं नहीं अदालत ने ग्राम पंचायत लोहरा व ढाबन और नगर परिषद नेरचौक के प्रधान को भी जब निरीक्षण टीमें उनके पंचायतों में पड़ने वाले हिस्से में पहुंचेंगी ,मौक पर मौजूद रहने के आदेश जारी किए है।
हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति धर्म चंद चौधरी और न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की खंडपीठ ने मंडी के सुभाष चंद की याचिका की सुनवाई करते हुए आज ये आदेश जारी किए।
खंडपीठ ने निरीक्षण दल को यह पता लगाने निर्देशभी दिए है कि वह यह पता लगाएं कि कितना अवैध खनन हुआ व खनिज निकाले गए है,इनसे पानी के स्त्रोतो,जलस्तर,वनभूमि और सरकारी जमीन को कितना नुकसान हुआ है, इसका भी ब्योरा अदालत को दें। इस अवैध खनन से पर्यावरण,पारिस्थितकी और कान्सा चौक पर लोहारा खडड से पुल तक और तावन के नजदीक बाकी गांवों को लोहरा खडड से जोड़ने वाले पुल तक पर्यावरणका हुए नुकसान का आकलन कर भी अदालत को ब्योरा दें।
अदालत ने डीसी व एसपी को निर्देश दिए कि अगर इस क्षेत्र में अवैध खनन चल रहा है तो इसे रोकने के लिए तमाम जरूरी कदम उठाएं।
सुभाष चंद ने याचिका में संगीन इल्जाम लगाते हुए कहा था कि बल्ह के तावन में पिछले पांच सालों से खनन माफिया राजस्व, पुलिस,उद्योग और स्थानीय प्रशासन से मिलीभगत कर सरेआम अवैध खनन कर सरकार के खजाने को करोड़ों का चूना लगा रहा है।
याचिका कर्ता ने ये भी इल्जाम लगाया कि जब किसी शिकायत पर आला अधिकारियों की ओर से छापेमारी की जाती है तो माफियाओं को पहले ही जानकारी पहुंचा दी जाती है। ऐसे में वह छापेमारी से पहले ही या तो मौके पर भाग जाते है या फिर अपने वाहन मौके पर ही छोड़ जाते है, जिन्हें अधिकारी मामले को दबाने के लिए केवल चालान कर छोड़ देते है। जब कोई व्हीसलब्लोअर की ओर से मामले को लेकर आरटीआइ मांगी जाती है तो रटारटाया जवाब दे दिया जाता है कि छापेमारी के दौरान मौके पर कुछ भी नहीं पाया गया। याचिकाकर्ता ने अदालत से इलाके में अवैध खनन रोकने और खनन माफिया के खिलाफ मामले दर्ज करने, उनके वाहन जब्त करने का आग्रह किया था।
खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि इन खडडों समेत प्रदेश में अवैध खनन को रोकने के दिए विभिन्न आदेशों के बावजूद सरकार प्रदेश में अवैध खनन रोकने में नाकाम रही है।सरकार ने इन खडडोंकी प्राकृतिक सुंदरता को बहाल रखने में नाकाम रही है।
याचिका के साथ लगाई गई तस्वीरें व दस्तावेजों को देखकर अदालतने कहा कि ये बदहाल स्थिति को ब्यां कर रहे है वइनसे साफ है कि इन खडडों के पाटों को गहरे गढढों में बदल दिया गया जिससे पानी के सहज बहाव को रोक रहे है।इसके अलावाइन तस्वीरें में मलबे के बड़े –बड़े ढेर नजर आ रहे है।
याद रहे पिछली वीरभद्र सिंह सरकार के समय पर भाजपा की ओर से प्रदेश में खनन माफिया के सक्रियहोनेके इल्जाम लगाए जाते रहें थे और सरकार पर माफिया से मिलीभगत के लगातर आरोप लगाएजाते रहे। लेकिन अब अपनी खुद की सरकार में खनन माफिया पर अंकुश नहीं लगाया जा रहा है।
(2)






