शिमला। प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंडी के विजय राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला की इमारत, खेल के मैदान को सरकार की ओर से तबाह करने और राजनेताओं और रसूखदार लोगों को फायदा पहुंचाने की मंशा से मॉल बनाने के मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव , प्रधान सचिव शिक्षा , जिला उपायुक्त मंडी और उप निदेशक शिक्षा मंडी से दो सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमठऔर न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ ने यह आदेश इस स्कूल के एक छात्र की ओर से मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र को जनहित याचिका मानकर इसकी सुनवाई करते हुए दिए।इस छात्र ने अपनी चिटठी में लिखा था कि जयराम सरकार ने इस स्कूल की इमारत को ढहा दिया है। खेल के मैदान और मंच को भी ढहा दिया है।
इसके अलावा यहां खाली पड़े जगह को भी कब्जे में ले लिया है व अब यहां पर जगह ही नहीं बची है। इस छात्र ने लिख की यहां पर एक बड़े शापिंग मॉल का निर्माण प्रस्तावित है जो यहां के नेताओं और चंद अमीर लोगों को फायदा पहुंचाएगा । इस छात्र ने लिखा की सराकर यूं तो निजी स्कूल खोलने के लिए भी खेल का मैदान होने की पूर्व शर्त जोड़ती है लेकिन यहां पर बने -बनाए स्कूल के खेल के मैदान को तबाह कर दिया है।
उसने लिखा की सरकार के डर से न तो स्थानीय लोग, न मीडिया और न ही सामाजिक संस्थाएं अपनी आवाज उठा रही है। इस इमारत में पहले प्राथमिक स्कूल था जो कुछ साल पहले बंद हो गया था और सरकार गैर कानूनी तरीके से इस स्कूल को भी इसी तरह बंद करने की साजिश रच रही है ताकि चंद रईसजादों और राजनीतिक नेताओं को फायदा पहुंचाया जा सके।
इस छात्र ने लिखा कि इस सरकारी स्कूल में गरीब, अनाथ व प्रवासी छात्र पढ़ते हैं और अधिकारियों की ओर से छात्रों को मानसिक तौर पर धमकाया जा रहा है कि अगर उन्होंने आवाज उठाई तो उनके परिणाम को खराब कर दिया जाएगा। इसके अलावा इन छात्रों को तरह -तरह के लालच भी दिए जा रहे है। इस छात्र ने अपनी चिटठी में लिखा कि अगर इस मामले में जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया तो कुछ छात्र इस स्कूल को बचाने के लिए आत्मदाह तक कर सकते है।
छात्र ने कहा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार भी इसी स्कूल में पढ़े थे। खंडपीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई से पहले जवाब दायर करने के निर्देश दिए है और दो सप्ताह के बाद मामले की सुनवाई निर्धारित कर दी है।
(99)