शिमला। हिमाचल विधानसभा के स्पेशल सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की ओर से सदन में पेश किए गए जीएसटी बिल को कांग्रेस व भाजपा विधायकों ओर से क्रेडिट लूटने की होड़ के बीच पारित कर दिया गया। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जहां कर सुधारों की पृष्ठभूमि 80 के दशक तक लेगए और पूर्व वित मंत्री पी चिंदंबरम और प्रणव मुखर्जी का जिक्र कर गए वहीं भाजपा विधायकों ने मोदी सरकार के अलावा वाजपेयी सरकार को भी श्रेय देने का प्रयास की।
आबकारी मंत्री प्रकाश चौधरी के बजाय खुद बिल पेश करते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कर सुधारों का श्रेय कांग्रेसनीत सरकारों को देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी वहीं नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने इस कानून पर सहमति बनाने व इसे पास कराने का श्रेय मोदी सरकार को दिया। लेकिन दोनों ही नेताओं ने कांग्रेस व भाजपा सरकारों की मुखालफत नहीं की। मुख्यमंत्री ने जहां मोदी सरकार की सराहना की वहीं धूमल ने इस बिल को विधानसभा में पेश करने के लिए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का आभार जताया।
बहरहाल,प्रदेश में इस जीएसटी बिल पारित होने से कर सुधारों में नया आयाम जुड़ गया हैं लेकिन उद्योगों पर इसका क्या असर पड़ेगा इस पर न वीरभद्र सिंह और न ही धूमल ने किसी तरह की रोशनी डाली।इस बावत कोई विधायक भी नहीं बोला।
गौरतलब हो कि इस बिल से प्रदेश से उद्योगों के पलायन का खतरा बढ़ गया हैं।
बिल को पेश करते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र ने कहा कि इससे सभी कर एकल दायरे में आ जाएंगे और देश की जीडीपी डेढ़ सेबढ़कर दो फीसदी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस जीएसटी से उपभोक्ता राज्य हिमाचल को लाभ होगा कर प्रणाली में पारदर्शिता आएगी और कई वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी।
कांग्रेस सरकारों को श्रेय देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कर सुधार की पृष्ठभूमि 80 के दशक के मध्य में रख दी गई थी, जब चयनित उत्पादों पर मोडिफाइड वैल्यू एडिड टैक्स मोडवैट पेश किया गया था। उसके बाद वर्ष 1991 में कर सुधार समिति का गठन हुआ था। वर्ष 1993 में समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की। कर सुधार की कवायद में वर्ष 1999 में प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की कमेटी बनी और वर्ष 2003 में हरियाणा को छोड़कर इस कमेटी की रिपोर्ट स्वीकृत हो गई।
वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस सरकारों को श्रेय देने का सिलसिला जारी रखते हुए का पूर्व वित मंत्री पी चिंदबरम ने वर्ष 2006-7 में बजट भाषण में राष्ट्रीय स्तर पर जीएसटी का उल्लेख किया था। वर्ष 2010-11 में तत्कालीन वित मंत्री प्रणव मुखर्जी ने जीएसटी बिल को संसद में पेश कर दिया । लेकिन संसद में सहमति नहीं बनी तो इसे यूपीए शासन में लोकसभा की स्थायी समिति के पास भेज दिया ।
नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने इस कानून को पारित कराने का श्रेय कांग्रेस के अलावा मोदी सरकार को दिया। धूमल ने कहा कि 12 सौ मदों पर जीएसटी की दरें तय हो गई हैं। धूमल ने कहा कि जीएसटी की दरें कौन तय करेगा व लगाएगा ये काम जीएसटी परिषद करेगी।परिषद के मुखिया केंद्रीय वित मंत्री व उपाध्यक्ष किसी भी राज्य का वित मंत्री होगा।
धूमल ने कहा कि दस लाख रुपए के टर्नओवर वाले कारोबारियों के अलावा रोजमर्रा की सात फीसद मदों को जीएसटी से बाहर रखा गया हैं। जिन मदों जीएसटी लगाया गया हें उनमें से 14 फीसद मदों को 5 फीसद जीएसटी के दायरे में रखा गया हैं । 17 फीसद मदों पर 14 फीसद जीएसटी व43 मदों पर 18 फीसद जीएसटी लगेगा। जिन 19 मदों का उपभोग अमीर लोग ही करते हैं उन पर 28 फीसद जीएसटी लगेगा।
धूमल ने कहा कि जीएसटी को ऑनलाइन भरा जाएगा जिससे पारदर्शिता बढ़गी व भ्रष्टाचार कम होगा। मोदी सरकार का वाह वाही करने की मंशा से धूमल ने कहा कि जिन राज्यों को जीएसटी लगने से नुकसान होगा पांच सालों तक उस नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार करेगी।
उन्होंने कहा कि जीएसटी को लगाने की दो तिहाई शक्तियां राज्य सरकारेां के पास है जबकि एक तिहाई पावर केंद्र के पास हैं। इस और स्पष्ट करते हुए सहायक कर आयुक्त राकेश शर्मा ने रिपोटर्स आइ से कहा कि जीएसटी को जीएसटी परिषद लगाएंगी। इसमें दो तिहाई वोटिंग अधिकार राज्यों के पास है जबकि एक तिहाई वोटिंग अधिकार केंद्र के पास हैं।
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