शिमला।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल पांच अक्तूबर को होने वाली रैली से एक दिन पहले जिला बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक की ओर से रैली को कवर करने वाले पत्रकारों से चरित्र प्रमाण पत्र मांगने पर राजधानी शिमला से लेकर दिल्ली तक बवाल मच गया है।
बिलासपुर के एसपी ने जिला लोक संपर्क अधिकारी बिलासपुर को एक चिटठी लिखी गई जिनमें रैली को कवर करने वाले पत्रकारों से उनके चरित्र प्रमाणपत्र मांगे गए। इसकी भनक प्रदेश के पत्रकारों को लगने पर इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई और आनन फानन में पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने पुलिस मुख्यालय से एसपी बिलासपुर के इस आदेश को वापस लेने के आदेश निकाल दिए।इसके बाद टिवटर से लेकर तमाम मीडिया वाटसएप समूहों पर भी कुंडू पत्रकारों को संदेश देते रहे कि पुलिस की ओर ये एसपी बिलासपुर का आदेश वापस ले लिया गया है। पुलिस तमाम पत्रकारों को हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराएंगी। इसलिए सबका स्वागत हैं।
प्रदेश ही नहीं द दिल्ली यूनियन आफ जर्नालिस्ट ने भी इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। यूनियन के अध्यक्ष एस के पांडे और महासचिव सुजाता मधोक ने साझे बयान में कहा कि प्रधानमंत्री की रैली को कवर करने वाले पत्रकारों को सीआईडी को चरित्र प्रमाण पत्र मुहैया कराने वाले आदेश चकित कराने वाले हैं। हालांकि उन्हों ने पुलिस महानिदेशक की ओर से इस आदेश को वापस लेने के कदम का स्वागत किया।
उन्हों ने कहा कि सरकार की ओर से पत्रकारों की बहुत ज्यादा निगरानी ने पत्रकारों का काम करना मुश्किल कर दिया है।उन्हों ने इसे प्रशासन की प्रेस की आजादी को दबोचने का कदम करार दिया।
कांग्रेस ने कटघरे में किया खडा
इसके बाद विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार को इस कदम के लिए कटघरे में खडा कर दिया।अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता अलका लांबा ने इस मुददे को तुरंत लपक लिया और टवीट किया कि चरित्रहीन भाजपा नेता हिमाचल के चरित्रवान पत्रकारों से कैरेक्टर सर्टिफिकेट मांग रहे हैं।वाह मोदी जी वाह।
कांग्रेस प्रवक्ता नरेश चौहान ने इस कदम को शर्मसार करार दिया व कहा कि पत्रकारों को पास लेने के अलावा एसपी से चरित्र प्रमाणपत्र लेने के आदेश जारी किए जा रहे हैं। चौहान ने कहा कि इतिहास में यह पहली बार हो रहा है।
पहले भी मुख्यमंत्री की पत्रकार वार्ता में खोजी कुतों और मेटल डिटेक्टेर से हो चुकी है जांच
याद रहे पिछले दिनों सचिवालय में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की पत्रकार वार्ता से पहले भी सम्मेलन कक्ष में पुलिस खोजी कुतों को लेकर पहुंच गई थी। इसके बाद तमाम पत्रकारों के झोलों को मेटल डिटेक्टर से जांचा गया। तब इसे किसी ने गंभीरता से नहीं लिया था। हालांकि तब पत्रकारों ने मुख्य्मंत्री से इस मसले पर आपति भी जताई थी तब मुख्यामंत्री ने कहा कि वह इस मामले को देखेंगे। इसके बाद यह दूसरी मर्तबा है कि पत्रकारों को लेकर इस तरह की घटना हो गई हैं।
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