शिमला। ऊना की विशेष अदालत ने बीते रोज परवाणु में 35 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी टीबी सिंह को पांच दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। टी बी सिंह के कार्यालय व परवाणु स्थित मकान में विजीलेंस की ओर से ली गई तलाशी में तीन लाख रुपए की रकम व अन्य दस्तावेज भी मिले है।
विजीलेंस ऊना की टीम आरोपी टीबी सिंह को परवाणु से ऊना लाई और आज ऊना की भूपेश शर्मा की विशेष अदालत के सामने उसे पेश किया। विजीलेंस ने अदालत में दलील दी कि आरोपी से बहुत कुछ उगलवाना है और इसके पास अकूत संपति हो सकती है। इसके अलावा इसके कब्जे से बाकी दस्तावेज बरामद करने है।
विजीलेंस की दलीलों के बाद विशेष जज भूपेश शर्मा ने टीबी सिंह को पांच दिन के रिमांड पर भेज दिया। अब विजीलेंस उसे दोबारा पांच अप्रैल को पेश करेगी। समझा जा रहा है कि अगर ऊपर से दबाव नहीं पड़ा तो पूछताछ के दौरान टीबी सिंह से विजीलेंस कई राज उगलवाने में कामयाब रह सकती है।
याद रहे कि टीबी सिंह को लेकर बहुत सी चिटिठयां प्रधनमंत्री मोदी और बाकी एजेंसियों को एक अरसे से लिखी जा रही थी। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही थी।
एक चिटठी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन हिमाचल की ओर से लिखी हुई भी प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंची थी लेकिन जब एसोसिशन के हिमाचल से सदस्य से चिटठी लेकर एजेंसियों की ओर से पूछा गया था कि क्या उन्होंने यह चिटठी लिखी है।
इस बावत उन्होंने कहा कि चिटठी में उनके दस्तख्त नहीं है व चिटठी उन्होंने नहीं लिखी है। यह सदस्य प्रदेश के एक नेता के भाई बताए जा रहे है। एजेंसियों की तभी से टीबी सिंह पर नजर थी।
लेकिन जब ऊना के एक निजी अस्पताल के कर्ताधर्ताओं से टीबी सिंह ने सीवरेज संयत्र लगाने की एवज में अनापति प्रमाणपत्र की मंजूरी मांगी तो तो उसने रिश्वत की मांग कर दी। जबकि अस्पताल ने तमाम औपचारिकताएं पूरी की थी। असप्ताल प्रबंधन इस बावत विजीलेंस से संपर्क किया व उसे रंगे हाथ पकड़ लिया ।
उधर प्रदेश सीआइडी की ओर से उद्योगपतियों से एक अरसे से उगाही करने वाले कथित फर्जी आइजी विनय अग्रवाल की अंतरिम जमानत आज एकल जज ज्योत्सना रेवाल दुआ ने पांच अप्रैल तक बढ़ा दी है। आज भी अंतरिम जमानत पर सुनवाई हुई है व अब पांच अप्रैल को सुनवाई जारी रहेंगी।
पिछली सुनवाई 29 मार्च को सरकार ने अदालत से इसकी अंतरिम जमानत को रदद करने का आग्रह किया था।
पुलिस की ओर से अदालत में पेश हुए महाधिक्ता अशोक शर्मा ने अदालत से आग्रह किया कि पुलिस जांच में आरोपी सहयोग नहीं कर रहा है जिससे जांच में बाधा आ रही है। इसलिए पुलिस को आरोपी से हिरासत में लेकर पूछताछ करनी है ताकि उगाही के इस धंधे की तमाम परतों को सामने लाया जा सके।
उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच के लिए गठित की गई एसआइटी ने बहुत सी सामाग्री एकत्रित कर ली है लेकिन अभी इस मामले में बहुत कुछ सामने आना है जो कि आरोपी की हिरासत में पूछताछ से ही संभव है।
याद रहे विनय अग्रवाल व अन्यों के खिलाफ पुलिस ने जनवरी महीने में सीआइडी पुलिस थाना भराड़ी में एक मामला दर्ज किया था।
पुलिस का पक्ष सुनने के बाद प्रदेश हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने अमामले की सुनवाई एक अप्रैल यानी आज को निर्धारित कर दी थी व अंतरिम जमानत भी बढ़ा दी थी ।
पिछली सुनवाई के दौरान एसआइटी के प्रमुख एसपी साइबर क्राइम रोहित नागपाल, एसपी आर्थिक अपराध विंग गौरव सिंह, एसपी क्राइम वीरेंद्र कालिया,एएसपी साइबर क्राइम नरवीर सिंह राठौर और डीएसपी अपराध मुकेश आज अदालत में हाजिर रहे थे ।
याद रहे कि दस फरवरी को पुलिस ने करोड़ों रुपए के उगाही के धंधे का भंडाफोड़ करने का दावा किया था और आगामी जांच के लिए पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने एसआइटी का गठन किया था। इसके बाद इस मामले में प्रदेश पुलिस ने हरियाणा पुलिस के दो पुलिस कर्मचारियों को गिरुतार सिकार था। जिसमें सिपाही रविंदर और जेल वार्डन जसवीर कसे गिरफतार कर लिया था।लेकिन फर्जी आइजी विनय अग्रवाल अंतरिम जमानत हासिल करने में कामयाब रहा था।
प्रदेश सीआइडी ने छह जनवरी को अग्रवाल व अन्ययों के खिलाफ मामला दर्ज किया था कि अग्रवाल फर्जी आइजी बनकर प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों कालाअंब, बददी, नालागढ़ व अन्य स्थानों पर जाकर उद्योगपतियों से अवैध उगाही करता आ रहा है। इसके साथ हरियाणा पुलिस के हथयार बंद पुलिस कर्मी और बाकायदा पायलट जीप भी साथ रहती है। जांच में पाया गया था कि यह खुद को हरियाणा पुलिस का आइजी बताता थ।
एसआइटी ने जांच में दावा किया था कि गिरफतार किए गए आरोपी तो महज एक कड़ी है असली खिलाडी कोई और है। यह भी आंशका जाहिर की गई है कि हरियाणा पुलिस के कई अधिकारी उगाही के इस धंधे में शामिल हो सकते है व ये कई सालों से उगाही का यह धंघा बेरोकटोक चला रहे है।
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