शिमला। बीते रोज भाजपा के वरिष्ठ विधायक रमेश ध्वाला की ओर से जयराम सरकार व बिना अध्यक्ष की प्रदेश भाजपा के कारगुजारियों के कच्चे चिटठे खोलने के बाद आज सरकार व संगठन के पक्ष में पार्टी ने पूर्व अध्यक्ष राजीव बिंदल ए भाजपा प्रवक्ता रणधीर शर्मा और कांगड़ा जिला से पहली बार बने दो विधायकों विशाल नेहरिया और रीता धीमान को मैदान में उतार दिया है।
आज दोपहर को पहले रीता धीमान को उतारा गया। लेकिन उसका ज्यादा असर नहीं हुआ तो दोपहर बाद विशाल नेहरिया को मैदान में उतरा गया । आखिर में शाम को राजीव बिंदल को मैदान में उतारा गया।
बिंदल व भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा के बीच राजनीतिक व रणनीतिक तौर पर दोस्ती है।बिंदल ने पवन राणा की प्रशंसा में खूब कसीदे पढ़े व कहा कि प्रदेश्या में संगठन आज उन्हीं की बदौलत इन ऊंचाइयों पर है।
उन्होंने ध्वाला की ओर से बीते रोज सार्वजनिक किए गए कच्चे चिटठों को लेकर कहा गया कि किसी नेता को लेकर सर्वाजिनक तौर पर आना अनुचित है।
उन्होंने कहा कि पवन राणा के खिलाफ गलत शब्दों को इस्तेमाल करना पार्टी का अनादर है व पार्टी में जो भी नियुक्तियां व फैसलें होते हैं वह सामूहिक होते है ,इनके लिए केवल एक व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराना गलत है। वह यहां तक कह गए कि पवन राणा के प्रति अनादर पार्टी के प्रति गंभीर अवज्ञा है।
बिंदल ने मैदान में उतर कर ध्वाला को अब अपना पक्ष रखने के लिए उकसा दिया है। रीता धीमान व विशाल नेहरिया को लेकर तो संभवतरू कुछ बोलते भी नहीं लेकिन बिंदल की राजनीति से तो ध्वाला अच्छे से परिचित है
भाजपा प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने कहा कि ध्वाला को संयम से काम लेना चाहिए ।पवन राणा के खिलाफ खोला गया उनका मोर्चा दुर्भाग्यपूर्ण है।रणधीर शर्मा ने कहा कि राणा एक प्रचारक है व उनकी राजनीति में कतई भी स्वार्थ नहीं है।रणधीर शर्मा ने कहा कि पार्टी इसका कड़ा संज्ञान लेंगी।ये धमकी अब क्या गुल खिलाएगी यह आने वाले दिनों में ही पता चल पाएगा।
इंदौरा से विधायक रीता धीमान और विशाल नेहरिया ने कहा कि मुख्यमंत्री आवास पर जो कांगड़ा के विधयकों की बैठक हुई थी उसमें पवन राणा को लेकर कोई बात नहीं हुई। यह ठीक हो सकता है। लेकिन ध्वाला ने संभवतरू िवधायक दल की बैठक में जो हुआ था मीडिया में उसका जिक्र किया था। इस बावत ने किसी ने कुछ नहीं कहा है। इस बार विधयक दल की बैठक में क्या हुआ इस बावत न पार्टी ने और न ही सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ सार्वजनिक किया गया। यह पहली बार है।
साफ है कि सरकार व संगठन में जिस तरह की जंग चल पड़ी है वह मुख्यमंत्री जयराम के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है।
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