शिमला।हिमाचल प्रदेश पंचायती राज महासंघ ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से बड़ी मांग कर दी हैं। महासंघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज महासंघ के अध्यक्ष विजेंद्र सिंह चंदेल की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री सुक्खू से मुलाकात की और उनसे मांग की कि कोविड की वजह से पंचायत राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों यानी प्रधानों, वार्ड सदस्यों, जिला परिषद व बीडीसी सदस्यों को दो साल तक काम करने का मौका नहीं मिला,इसलिए पंचायती राज संस्थओं के प्रतिनिधियों को दो साल का समय दिया जाए।
चंदेल ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव दिसंबर 2025 में होने है ।अगर सरकार दो साल की समयावधि बढ़ा दे तो इन चुनावों को विधानसभा चुनावों के साथ ही दिसंबर 2027 में कराया जाए।
चंदेल ने सुक्खू को दिए अपने मांग पत्र में कहा है कि पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव दिसंबर 2020 में हुए थे और चुनावों के तुरंत बाद ही कोरोना महामारी ने अपने पांव पसार लिए थे। दिलचस्प तौर पर महासंघ ने अगस्त 2023 में भारी बारिश से मची तबाही का हवाला भी दिया हैं।
पत्र में लिखा है कि इसके बाद अगस्त 2023 में भारी बारिश से प्रदेश में तबाही मची और पंचायत प्रतिनिधियों का बहुत सा समय खराब हुआ। ऐसे में ये चुनाव 2027 में कराने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया गया है।
पंचायती राज महासंघ की ये मांग कितनी संवैधानिक है ये दीगर है लेकिन राजनीतिक तौर पर इस तरह की मांग करना हंगामा खड़ा करने जैसी ही हैं।
महासंघ का कहना है उतराखंड में इसी तरह पंचायती राज प्रतिनिधियों की समयावधि बढ़ाई जा चुकी हैं। इसके अलावा महासंघ ने अपनी बाकी मांगे भी मुख्यमंत्री के समक्ष रखी जिनमें वेंडर व टेंडर की प्रक्रिया पहले जैसे रखने की मांग प्रमुख हैं।इसी तरह मनरेगा के तहत होने वाले 20 कामों को भी पहले की तरह ही रखने की मांग हैं।
चंदेल ने दावा किया मुख्यमंत्री ने भरोसा दिया कि वेंडर व टेंडर की प्रक्रिया पहले जैसे ही रखी जाएगी। इसी तरह मनरेगा का काम भी पहले जैसे ही होता रहेगा।
चंदेल ने दावा किया कि पंचायती राज चुनावों की समयावधि को दो सालों तक बढ़ाने के मामले में मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर किसी दूसरे राज्य में ऐसा हुआ है तो उसकी अधिसूचना सरकार को मुहैया कराए ताकि इस मांग पर गौर किया जा सके। चंदेल ने कहा कि उतराखंड में ऐसा हो चुका है व महासंघ ने वो अधिसूचना हासिल कर ली है व इसे जल्द ही मुख्यमंत्री को मुहैया करा दिया जाएगा।
याद रहे इससे पहले महासंघ अपनी बाकी की मांगों को लेकर पंचायती राज मंत्री अनिरूद्ध सिंह और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री से मिल चुके थे।
पंचायती राज विभाग ने बीते दिनों प्रधानों से कई तरह के काम व शक्तियां छीन ली थी जिसके विरोध में पूरा पंचायती राज महासंघ मैदान में उतर गया था। महांसघ का इल्जाम था कि पंचायती राज विभाग की ओर से इस तरह से काम व शक्तियां छीनना पंचायती राज एक्ट का उल्लंघन हैं और अगर सरकार ने इसे बहाल नहीं किया तो वो अदालत का दरवाजा खटखटा देंगे।
याद रहे पंचायती राज मंत्री अनिरूद्ध सिंह मुख्यमंत्री सुक्खू के सखाओं में शुमार हैं ऐसे में अब मुख्यमंत्री की ओर से महासंघ को दिए आश्वासनों को अमली जामा पहनाया जाता है या नहीं इसका इंतजार रहेगा।
याद रहे इस बावत सरकार की ओर से मीडिया को भेजी विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री सुक्खू की ओर से महासंघ को दिए ऐसे किसी भरोसे का जिक्र नहीं हैं। इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने महासंघ की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का जिक्र किया है।इस दौरान प्रतिनिधिमंडल के साथ पंचायती राज मंत्री अनिरूद्ध सिंह भी शामिल थे।
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