शिमला।छह जुलाई जिस दिन कोटखाई की दसवीं की छात्रा गुडिया की लाश मिली थी उस दिन से लेकर 10 जुलाई तक जब वीरभद्र सरकार ने एसआईटी बनाई तब तक इस मामले की जांच में अहम रोल अदा करने वाले शिमला के तत्कालीन एसपी डी डब्ल्यू नेगी सीबीआई के जाल में आ गए हैं। उन्हें सीबीआई ने पूछताछ के दिल्ली बुलाकर पूछताछ शुरू कर दी हैं।
छह जुलाई से 10 जुलाई तक पुलिस जांच में बतौर जिला पुलिस कप्तान अहम भूमिका निभाई थी वो खुद कोटखाई गए थे। उन्हीं की कमान में एएसआई दीप चंद,एसएचओ राजेंद्र सिंह और डीएसपी ठियोग मनोज जोशी ने चार दिनों तक जांच की थी ।सीबीआई का मानना हैं कि इन्हीं चार दिनों में बहुत कुछ हुआ था। गुडिया गैंगरेप व मर्डर कांड का सारा लेखा जोखा इन्हीं चार दिनों में जुटाया गया। सारी इबारत इन्हीं चार दिनों में लिखी गई ।सीबीआई की ओर से अरेस्ट की गई एसआईटी तो पुलिस कस्टडी में आरोपी सूरज के हुए कत्ल को लेकर पूछताछ का सामना कर रहे हैं।
सीबीआई का मानना है कि इन्हीं लोगों को गुडिया गैंगरेप व मर्डर के राज का भी पूरा पता हैं। इसी लिए पहले कोटखाई थाने के एएसआई जिसको शुरू में इस मामले की जांच दी गई थी से लेकर बाकी लोगों को अरेस्ट कर पूछताछ कर दिल्ली ले जाया गया। जबकि किसी और को पूछताछ में किसने क्या खुलासा किया, इसकी भनक न लगे। उसके बाद एसआईटी के दो अफसरों एएसपी भजन देव नेगी एक साल की एक्सटेंशन पर हैं, को व डीएसपी ट्रैफिक रतन चंद नेगी को सीबीआई ने दिल्ली बुलाया। चूंकि डीडब्ल्यू नेगी एसआईटी में नहीं थे, इसलिए उन्हें पहले नहीं बुलाया गया। समझा जा रहा हैं कि उन्हें भी अरेस्ट किया जा सकता हैं। उनका मोबाइल पहले ही सीबीआई कब्जे में हैं व कॉल डिटेल भी खंगाली जा चुकी हैं।समझा जा रहा है कि सीबीआई ने अब अपनी जांच का दायरा समेटना शुरू कर दिया और वो असल अपराधियों के बेहद करीब पहुंच चुकी हैं।
डीडब्ल्यू नेगी मुख्यमंत्री के बेहद करीबी पुलिस अफसर रहे हैं व पुलिस विभाग व सरकार में आज भी ऐसा कोई अफसर नहीं हैं जो उन्हें निर्देश दे पाए।वो सीधे वीरभद्र सिंह से निर्देश लेते हैं व उन्हें रिपोर्ट करते हैं।लेकिन अब वो सीबीआई के जाल में उलझ गए हैं।उन्हें लेकर पुलिस व विजीलेंस मुख्यालयों में कई किस्से हैं।
यहीं नहीं सीबीआई ने एसआईटी सदस्यों की ओर से हाईकोर्ट में जमा कराए शपथपत्रों को अदालत से उन्हें मुहैया कराने का आग्रह किया हैं।
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