शिमला।उतराखंड की तर्ज पर मोदी सरकार ने चुनावों से ऐन पहले हिमाचल में भी केंद्रीय एजेंसियों के दम पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के मनी लॉंड्रिग केस को उछाल कर चुनावी खेल खेलना शुरू कर दिया हैं। अन्यथा इस मामले में आरोपी लोगों को कभी का जेल में डाल दिया गया होता। मुंशी को बेवजह करीब डेढ साल से जेल में डाला हुआ हैं। ऐसा कारनामा दुनिया में शायद मोदी सरकार ही कर सकती हैं कि एजेंट जेल में प्रिंसिपल बेल पर
गौरतलब हो कि दिल्ली में डेरा बाड़ी में स्थित 5.6 करोड़ की संपति को अटैच कर दिया हैं। इस संपति की ये कीमत इडी के मुताबिक हैं।
चूंकि हिमाचल में विधानसभा चुनाव हैं और कांग्रेस पार्टी की कमान वीरभद्र सिंह के पास हैं। ऐसे में वीरभद्र सिंह को निशाना बनाने की रणनीति पर भाजपा ने काम करना शुरूकर दिया हैं। भाजपा ने इसी तरह की रणनीति उतराखंड में भी अपनाई थी । वहां पर भी चुनावों से पहले हरीश रावत को निशाना बनाया गया व सीबीआई के जरिए उन पर मामले बनाए गए। दूसरी ओर कांग्रेस में खलबली मचाने के लिए कई कांग्रेसियों को भाजपा में शामिल कर दिया था । यही कारण है कि उतराखंड की भाजपा सरकार में आज भी कांग्रेसी नेता मंत्री बने हुए हैं।
पर बड़ा सवाल ये है कि अगर कांग्रेस ने पलटवार कर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की अस्सी करोड़ की संपति का मसला चुनावों में सही तरीके से उछाल दिया तो भाजपा को लेने के देने पड़ सकते हैं। जय शाह कांड पर भाजपा अध्यक्ष व प्रधानमंत्री दोनों खामोश हैं।लेकिन हिमाचल कांगेस की स्थिति ये है कि पार्टी में कोई पलटवार करने वाला ही नहीं हैं। न शिंदे न रंजीता रंजन और न ही आनंद शर्मा
इसके अलावा मोदी व अमित शाह की जोड़ी ने हिमाचल में भी कांग्रेस में सेंध लगाने की कवायद एक अरसा पहले तेज की थी लेकिन उसे बीच में फिर छोड़ दिया।
धूमल–शांता-नडडा जैसे कई धड़ों में बंटी प्रदेश भाजपा ने अभी मुख्यमंत्री का अपना चेहरा घोषित नहीं किया हैं।ऐसे में पार्टी को बुलडोज करने वाला कोई नहीं हैं। भाजपा के पास वीरभद्र सिंह के भ्रष्टाचार के अलावा कोई और बड़ा चुनावी मुददा भी नहीं हैं।इसलिए हिमाचल मांगे हिसाब अभियान के दौरान भी
भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ने वीरभद्र सिंह को निशाने पर रखा । सीबीआई ने पहले ही आय से अधिक संपति मामले में दिल्ली की अदालत में वीरभद्र सिंह व उनकी पूर्व सांसद पत्नी ,पुत्र विक्रमादित्य सिंह के खिलाफ चालान पेश किया हुआ हैं। लेकिन मनी लांड्रिंग केस में इडी ने चालान पेश नही किया हैं।
समझा जा रहा है कि इस मामले में मोदी सरकार ने वीरभद्र सिंह, उनकी बीवी ,पुत्र व बाकियों को जानबूझ कर अरेस्ट नहीं किया। इडी ने फर्जी मुलजिम वीरभद्र सिंह के एलआइसी एजेंट आनंद चौहान को करीब डेढ साल से जेल में डाला हुआ हैं। कहा जा रहा है कि मोदी सरकार दुनिया की पहली ऐसी सरकार है जिसने मनी लाड्रिंग के केस में एजेंट को जेल में डाला हैं जबकि असली कारनामा करने वाले बाहर हैं।
अब समझ में आ रहा है कि ये चुनावों को ध्यान में रख कर ही किया होगा। मनी लांड्रिंग केस में ये पांच करोड़ से ज्यादा की संपति की अटैच मेंट इसी खेल का हिस्सा माना जा रहा हैं। अन्यथा अब तक मुख्यमंत्री समेत पूरे परिवार को जेल में डाल दिया गया होता। मुंशी को जेल में डालने का तो कोई औचित्य ही नहीं हैं। इस अटैचमेंट का वीरभद्र सिंह किस तरह जवाब देते हैं ये देखना हैं।
(2)