नई दिल्ली, 30 जनवरी: केन्द्र सरकार ने साल 2018 के लिए आर्थिक सर्वे संसद में पेश किया। इस सर्वे के मुताबिक देश के विकास की दर 7 से 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई है। आर्थिक सर्वे इसलिए भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसमें सरकार यह अनुमान लगाती है कि देश की अर्थव्यवस्था किस मुकाम पर है और आने वाले दिने में इसकी क्या स्थिति हो सकती है।
सरकार ने दावा किया है मौजूदा स्थिति में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बदती अर्थव्यवस्था है, चाहे देश के विभिन्न इलाकों में किसान आत्महत्या कर रहें हों या फिर बेरोजगारों की तदाद बढ़ती जा रही हो। सर्वे के मुताबिक पिछले साल लाए गए GST की वजह से देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है, इससे सरकार के खजाने में मुनाफा होने की उम्मीद है।
आर्थिक सर्वे में सरकार यह भी पता करवाती है की पिछले बजट सत्र में सरकार ने जो घोषणाएं की थी क्या उसे किस हद तक पूरा किया जा चूका है और पिछले साल की अनुमानित विकास दर के लक्ष्य को क्या सरकार हासिल कर पाई है |
इस बार आर्थिक सर्वे में ख़ास बात यही है की बाज़ार में नोटबंदी और उसके बाद वस्तु एवं सेवा कर से बाज़ार में आई अस्थिरता के कारण जो नुक्सान की बात कही जा रही थी उसका सकल घरेलु उत्पाद पर क्या असर पड़ता कितना असर पड़ा है। GST लागु होने के बाद सरकार का दावा था की देश में अनौपचारिक सेक्टर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है।
सर्वे में बताया गया की मौजूदा वित्तीय वर्ष में चालू खाते का घटा डेढ़ से दो फीसदी तक होगा। राजकोषीय घटा 3.2 फीसदी रहने का अनुमान है। आर्थिक सर्वे की सबसे चौकाने वाली बात यह रही की इसमें न तो कृषि पैदावार का वाजिब दाम ना मिल पाने से किसानों के बढ़ते कर्ज़ पर कुछ नहीं कहा। अंतररास्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दामों से आने वाले दिनों में महंगाई दर बढ़ने का अनुमान जताया गया है। माना जा रह है की बढ़ती महंगाई से आने वाले दिनों में आम आदमी के जीवन पर इस प्रभाव पढ़ सकता है।
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