शिमला। राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को चिटठी लिखकर 155 साल पुराने सैन्य संस्थान सेना प्रशिक्षण कमांड आरट्रेक को शिमला से मेरठ को बदलने के प्रस्ताव को रदद करने की मांग की है।
आनंद शर्मा की ओर से राजनाथ सिंह को लिखी चिटठी में कहा गया है कि इसके यहां से बदलने से अनावश्यक वितीय बोझ पड़ेगा। सेना ने इस पर अब तक अरबों रुपया खर्च कर दिया है। इसके अलावा स्थानीय लोगों के रोजगार के साथ शिमला व राज्य की आर्थिकी पर भी असर पड़ेगा। शिमला सालों तक ग्रीष्मकालीन राजधानी रही है, ऐसे में इस संस्थान के यहां से बदलने से यहां के गौरव को भी ठेस लगेगी।
पूर्व कंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता ने लिखा कि सेना के लिए डेढ सौ सालों से भी ज्यादा की अवधि से शिमला रणनीति जगह रही है। ब्रिटिश काल में 1884 से लेकर 1939 तक यहां पर सेना का मुख्यालय रहा और दोनों विश्वयुद्वों का संचालन यहीं से हुआ है। आजादी के बाद भारत पाक के बीच की 1948,1965 और 1971 की जंगों के अलावा भातर -चीन युद्व के दौरान सेना की पश्चिमी कमांड का मुख्यालय यहां रहा। 1985 में पश्चिमी कमांड को चंडी मंदिर के लिए बदल दिया गया ।
सेना प्रशिक्षण के मुख्यालय के मउ में बन जाने के बाद सेना के नेतृत्व ने शिमला को आरट्रेक के लिए सबसे बेहतर जगह माना और पश्चिमी कमांड के ढांचें को भी बेहतर इस्तेमाल समझा। सेना के सभी पूर्व सेनाध्यक्षों ने शिमला को आरट्रेक के मुख्यालय के चयन को क्षेत्रीय कमांड से सबसे अच्छा जगह माना ।1993 से लेकर अब तक सेना ने यहां पर अरबों रुपए खर्च कर दिए है ।
आनंद शर्मा ने कहा कि उन्हें यह बताया गया है कि आरट्रेक और सेना प्रशिक्षण के महानिदेशालय के विलय के बाद यहां जगह कम पड़ने की वजह से इसे मेरठ भेजा जा रहा है। उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से आग्रह किया कि जतोग छावनी में पर्याप्त ढांचागत सुविधाएं है ।
इसके अलावा शिमला व चंडीगढ़ के बीच कुल 120 किलोमीटर की दूरी है और वायु संपर्क भी है।
इसके अलावा इसका अपना टेबल टॉप एयरपोर्ट है और फोरलने भी बन रहा है। जबकि मेरठ जहां नया मुख्यालय प्रस्तावित है वहां पर अपना को एयरपोर्ट नहीं है और यह पूरी तरह से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्टÑीय एयरपोर्ट पर निर्भर है जहां पर पहले से ही यात्रियों व मालवाहक उड़ानों की वजह से बहुत ज्यादा दबाव है। याद रहे यह मामला विधानसभा में भ उठा था व मुख्यमत्री जयराम ठाकुर ने इस मामले को केंद्र सरकारके समक्ष उठाने का भरोसा दिया था।
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