दिल्ली। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के मनी लांड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अरेस्ट किए गए वीरभद्र सिंह के एलआईसी एजेंट आनंद चौहान को दिल्ली की पटियाला हाउस की अदालत ने 25 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। आनंद चौहान ने अदालत में इल्जाम लगाया कि इडी के अफसरों ने उन्हें शारीरिक व मानसिक तौर टॉर्चर किया। उन्होंने अदालत में कहा ये अफसर पिछले चार दिनों से टॉर्चर कर रहे हैं।इडी ने उन्हें आज पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया व अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।अदालत ने कहा कि उन्हें जस्टिस मिलेगा।इडी ने आठ जुलाई को आनंद चौहान को अरेस्ट किया था व 9 जुलाई को अदालत ने उन्हें चार दिन के इडी रिमांड पर भेजा था।
इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने आनंद चौहान की ओर से बीते रोज दायर की गई जमानत अर्जी पर फैसला सुनाते हुए उनकी अर्जी को खारिज कर दिया। इस अर्जी पर बीते रोज बीच बहस हुई थी व आज फैसला सुनाया गया।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली हाईकोर्ट ने आब्जर्व किया कि इस समय आनंद चौहान को जमानत नहींं दी जा सकती। आनंद चौहान ने आज और जमानत अर्जी दायर की है जिस पर19 जुलाई को सुनवाई होनी है।
जब से इडी ने आनंद चौहान को अरेस्ट किया है तब से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं।ये आनंद चौहान ही थे जिन्होंने जब वीरभद्र सिंह केंद्र में स्टील मंत्री थे तब उनकी पांच करोड़ की एलाआईसी की थी।बाद में आनंद चौहान ने एजेंसियोंं को बताया था कि ये पांच करोड़ वीरभद्र सिंह केे हैं।
आनंद चौहान वीरभद्र सिंह के बगीचे के केयर टेकर भी थे और वीरभद्र सिंह ने आयकर विभाग को कहा है कि था कि येपांच करोड़ की आय उनके सेब के बगीचों से हुई हैं। तब से लेकर आयकर, विभाग, सीबीआइ्र और इडी उनकी 6.03 करोउ़की संपति का हिसाब किताब मांग रही हैं। जांच एजेंसियों को अंदेशा है कि ये पैसा वीरभद्र सिंह ने स्टील मंत्री रहते रिश्वत के तौर पर बटौरा।जबकि वीरभद्र सिंह इसे सेब के बगीचों से हुई आय बता रहे है।आनंद चौहान को इसी कड़ी में अरेस्ट किया गया था। चौहान की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुुर्ह हैं। उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी तलवार लटकी हुुई है। आलाकमान पर दबाव बनााने की रणनीति के तहत उन्होंने बीते रोज केबिनेट की आपात बैठक बुलाई थी जिसमें प्रस्ताव पारित करवाया थाकि पूरी केबिनेट उनके साथ है। इस बैठक में मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर शामिल नहीं हुए थे। आए तो उद्योग मंत्री भी नहीं थे लेकिन वो इन दिनों रशिया के दौरे पर है।हालांकि वहां पर वामपंथियोंं का किला1989 में ही ढह गया है।
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