शिमला। वामपंथी पार्टी माकपा ने कांग्रेस की सुक्खू सरकार की ओर से बसों के न्यूनतम किराए को 5 रुपए से बढ़ाकर 12 रुपए करने और परिवहन निगम की स्कूल बसों के किराए में 50फीसद की प्रस्तावित बढ़ोतरी करने के फैसलें के खिलाफ मोर्चा खालने का एलान किया हैं।
नगर निगम शिमला के पूर्व महापौर व माकपा के जिला महासचिव संजय चौहान ने दावा किया हैं कि सरकार न्यूनतम किराए में रेकार्ड 145 फीसद बढ़ोतरी करने जा रही हैं जबकि स्कूलों बसों के किराए में तो पचास फीसद बढ़ोतरी कर दी हैं। इसके अलावा रियायती येलो कार्ड,स्मार्ट कार्ड और सम्मान कार्ड की दरों में भी बढ़ोतरी कर दी हैं।
उन्होंने इन तमाम बढ़ोतियों को तुरंत वापस लेने की मांग की हैं।
चौहान ने कहा कि सरकार की ओर से एचआरटीसी को घाटे से उबारने के नाम पर बस किराए में वृद्धि का तर्क दिया जा रहा है जबकि हकीकत इससे अलग है । इसके लिए प्रदेश सरकार की परिवहन क्षेत्र में निजीकरण की नीति जिम्मेवार है। इसके कारण आज सार्वजनिक क्षेत्र के एचआरटीसी में बसों की संख्या व रूटों में निरंतर कटौती की जा रही है । नतीजतन अधिकांश जो मुनाफे के रूट है उन पर निजी बस ऑपरेटरों को बस सेवा प्रदान करने के लिए परमिट जारी किए जा रहे हैं। जिसके चलते आज एचआरटीसी के पास मात्र 2573 रूट और 3150 बसे रह गई है। जबकि निजी ऑपरेटरों के पास अधिकांश बस रूट है तथा इनकी 8300 के करीब बसे चल रही है। इसके साथ ही मुनाफे के रूट निजी ऑपरेटरों को दिए जा रहे हैं और एचआरटीसी को घाटा उठाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
चौहान ने कहा कि इस भारी बस किराए वृद्धि से लोग स्कूल, कार्यालय व अन्य कार्यों के लिए निजी वाहनों को प्राथमिकता देंगे जिससे शहर में ट्रैफिक तथा प्रदूषण की समस्या और अधिक विकराल होगी।इसके अलावा खास तौर पर किसान,मज़दूर, छात्र, कर्मचारी, महिला व युवा वर्ग बुरी तरह से प्रभावित होंगे।
चौहान ने माकपा की ओर से बस किराए वृद्धि के फैसले को तुरन्त वापस लेकी मांग करते हुए कहा कि विश्वभर में परिवहन सेवा के निजीकरण के अच्छे परिणाम नहीं देखे गए हैं। जिसके चलते कई देशों मे अब परिवहन को निजी कंपनियों से लेकर इसको सार्वजनिक क्षेत्र में चलाया जा रहा है।
याद रहे लोकसभा चुनावों में माकपा ने कांग्रेस का साथ दिया था।
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