शिमला। वामपंथियों ने वीरभद्र सिंह सरकार पर साल से ज्यादा समय से शोंगटोंग पॉवर प्रोजेक्ट से निकाले मजदूरों की बहाली को लेकर हाईकोर्ट व लेबर कोर्ट आदेशों की पालना न करने पर हिमाचल पावर कारपोरोशन के कार्यालय में वार्ता के लिए गए वामपंथी नेताओं व कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर बसों व थानों में सादी वर्दी में पुलिस वालों से पिटवाने का बेहद संगीन इल्जाम लगाया हैं।
माकपा के प्रदेश सचिवालय सदस्य टिकेंद्र पंवर ने कहा कि ये खतरनाक प्रवृति हैं सिविल सोसायटी को इसका संज्ञान लेना चाहिए।उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि वो इस तरह की हरकतें कर क्या साबित करना चाहती हैं।टिकेंद्र पंवर बीते रोज हिमाचल पॉवर कारपोरेशन में गए वामपंंथी नेताओं राकेश सिंघा व बाकी कार्यकर्ताओं को अरेस्ट करने व सादी वर्दी में पुलिस के जवानों से इन्हें पिटवाने को लेकर वीरभद्र सिंह सरकार को आगाह कर रहे थे।टिकेंद्र पंवर ने कहा कि माकपा व सीटू इस जंग को गलियों तक ले जाएंंगी।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट व लेबर कोर्ट के आदेशों की अनुपालना नहीं की जा रही हैं व ये सब सरकार के इशारे के बिना संभव नहीं हैं।इस प्रोजेक्ट में कांगेस पार्टी ,सरकार व नौकरशाहों का गठजोड़ मजदूरों के हकों पर डाका डाल कर अपनी झोलियां भर रहा हैं। सरकार की ये मिलीभगत ये खतरनाक हैं। टिकेंद्र पंवर ने कहा कि प्रदेश की विभिन्न जेलों में महीनों से बंद 57 मजदूरों की रिहाई का इंतजार कर रहे हैं। आखिर उन्हें जेलों में क्यों रखा गया हैं,उन्होंने अपराध कौन सा किया हैं।कत्ल और रेप के आरापियोंं को जमानत मिल जाती हैं लेकिन ये महीनों से प्रदेश की अलग-अलग जेलों में पड़े हैं। उनके परिवारों का क्या हो रहा हैं क्या ये सरकार को मालूम हैं।
इस मौके पर माकपा सचिवालय के एक अन्य वरिष्ठ सदस्य कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि इस प्रोजेक्ट की 1006 करोड़ की डीपीआर बनी थी जबकि पटेल कंपनी इसकी बोली 1000 करोड़ रुपए लगाकर ठेका हासिल किया था।ऐसे में मजदूरों की मजदूरी पर कट लगाया जा रहा हैं।
मेयर व माकपा नेता संजय चौहान ने कहा कि बीते रोज पुलिस के दबाव में माकपा व सीटू नेताओं को उठा ले गए।सरकार आंदोलन को कुचलना चाहती हैं। वो इसमें कामयाब नहीं होगी।
उधर सीटू ने इस मसले पर आजडीसी ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया।सीटू नेताओं ने कहा कि श्रम कानूनों को लागू करवाना सरकार का दायित्व है। वहां पर कार्यरत मज़दूरों को न तो न्यूनतम वेतन दिया जाता है, न ई. पी. एफ. काटा जाता है और न ही कोई छुट्टी दी जाती है। ई. पी. एफ. आयुक्त व लेबर कमिशनर ने हाई कोर्ट को दिए हलफनामे में कहा है कि कम्पनी में श्रम कानून लागू नहीं हो रहा है। यहां तक कि प् सरकार की शह पर पटेल कम्पनी और एच. पी. सी. एल. 18 मई 2016 को लेबर कोर्ट व 20 सितम्बर 2016 के हाईकोर्ट के आदेश को भी नहीं मान रहे है। ऐसे में गिरफ्तारी तो इनकी होनी चाहिए।
एच. पी. सी. एल. के समयानुसार जब मजदूर व नेतृत्वकारी साथी बातचीत करने गए तो 5 घंटे तो उनको वहां पर बैठाकर रखा गया व उनसे कोई बातचीत नहीं की गई। मजबूर होकर मजदूरों को प्रदर्शन करना पड़ा।
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