शिमला। प्रदेश पुलिस महकमे में हो रही एक 1063 कांस्टेबलों की भर्ती के लिए आवेदन करने वाले तीन हजार से ज्यादा युवक व युवतियों को पुलिस महकमे और बैंकों के चक्रव्यूह की वजह से भर्ती प्रक्रिया से बाहर होने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। न तो जयराम सरकार का पुलिस महकमा कुछ करने को तैयार है और न ही बैंक अपने स्टैंड से पीछे हट रहे है। सजा पुलिस में भर्ती के लिए मेहनत कर रहे युवक व युवतियों को भुगतनी पड़ रही है। ऐसे में जो युवक व युवतियां फीस जमा कराने के सबूत महकमे को दिखा रहे है, उन्हें भर्ती प्रक्रिया में शामिल न कराके पुलिस महकमा सवालों में आ गया है व ये भर्ती प्रक्रिया व इसके इंतजाम विवादों में आ गए है। इस बेरोजगारी के दौर में इन युवकों व युवतियों के पैसे तो गए ही साथ ही नौकरी हासिल करने का एक मौका भी हाथ से चला गया है।
पुलिस महकमे ने अप्रैल महीने में 1063 कांस्टेबल के पदों के लिए आनलाइन आवेदन मांगे थे। प्रदेश भर से करीब 90 हजार से ज्यादा युवक व युवतियों ने इन पदों के लिए आनलाइन आवेदन किए व आनलाइन ही फीस भी जमा कराई।
आचार संहिता हटने के बाद पुलिस महकमे ने भर्ती प्रक्रिया के तहत ग्राउंड टेस्ट के की प्रक्रिया शुरू की व आवदेन कर्ताओं से कहा कि व अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर ले। लेकिन बहुत से युवक व युवतियों के एडमिट कार्ड जब आनलाइन नहीं आए तो उन्होंने संबधित एसपी कार्यालयों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। वहां पता चला कि इनकी तो फीस ही जमा नहीं हुई है।
शिमला की रहने वाली युवती संगीता ने कहा कि एसपी कार्यालय से उसे भराड़ी डीआइजी के पास भेज दिया। लेकिन वहां भी कुछ नहीं हुआ। इसके बाद जब वह बैंक गई तो बैंक ने उन्हें बताया कि उनकी फीस पुलिस के खाते में जमा हो चुकी है। वह बैंक से पासबुक में एंट्री कर के भी लाई। जिसमें दर्शाया गया है कि उसकी फीस जमा हो चुकी है। पास बुक को लेकर वह आज पुलिस मुख्यालय गई वह उन्हें पासबुक दिखाई जिसमें 26 अप्रैल को उसके खाते से फीस काटी हुई है।
पुलिस मुख्यालय ने उसे अपने सिस्टम दिखाया व कहा कि उनके सिस्टम में उसकी फीस नहीं आई है। ऐसे में वह कुछ नहीं कर सकते । संगीता ने कहा किया उसका आखिरी मौका है व वह पिछल्ले दो महीनों से कड़ी मेहनत भी कर रही है। सवाल यह है कि अगर ये फीस पुलिस के खाते में नहीं गई तो कहां गई। उनके खाते में वापस तो नहीं आई है। इसका जवाब पुलिस महकमे का पास नहीं है। इसी तरह का मामला हितेश कुमार का भी है उसने पेटीएम के जरिए फीस जमा कराई थी। उसके खाते से पैसे पुलिस के खाते में चले भी गए। लेकिन एडमिट कार्ड नहीं मिला। जब पुलिस मुख्यालय में मिले तो वह पर उनके सिस्टम में फीस जमा ही नहीं थी। हितेश कहते है कि उनकी गलती कहां है। एक अन्य युवक मनजीत ने कहा कि ये बेराजगार युवाओं व युवतियों के साथ घोखा है।
शिमला में युवतियों के ग्रांउड टेस्ट 27 व 28 को रखे गए है जबकि युवकों के लिए ये ग्राउंड टेस्ट 22 तारीख से शुरू हो गए। । लेकिन जिनके पास एडमिट कार्ड नहीं है उन्हें ग्राउंड टेस्ट नहीं देने दिया जा रहा है। अब लोग अदालत का दरवाजा खटखटाने की सोच रहे है।
इस बावत पुलिस महानिरीक्षक हिमांशु मिश्रा ने कहा कि जिनकी फीस जमा नहीं हुई है उन्हें ग्राउंड टेस्ट कैसे दिला सकते है। 86 हजार युवक व युवतियों ने इन 1063 पदों के लिए सफलता पूर्वक आवेदन किया है। ये पूछे जाने पर कि पासबुक में तो पुलिस के नाम फीस की एंटी दिखाई जा रही है। ऐसे में इन युवक व युवतियों की क्या गलती है। उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत से युवक मुख्यालय आ रहे है व पुलिस महकमा उन्हें अपना सिस्टम दिखा रहा है जिसमें फीस जमा नहीं हुई है। ये पूछे जाने पर की महकमे की ओर से कोई रास्ता है जिसके तहत यह युवक व युवतियां प्रक्रिया में शामिल हो सके।
हिमांशु मिश्रा ने कहा कि वह सरकार नहीं है। उन्होंने कहा कि फीस एनएसडीसी के पेमेंट गेटवे से होती है। यह केंद्र सरकार का गेटवे है। पुलिस का गेटवे नहीं है। ऐसे में उनके हाथ में तो कुछ भी नहीं है।
उन्होंने कहा कि ऐसे भी मामले है कि कई युवकों व युवतियों ने साइबर कैफे में जाकर साइबर वालों को पैसे दिए व उन्हें कहा कि वह अपने डेबिट कार्ड से फीस जमा करा दे। साइबर कैफै वालों ने कुछ की फीस जमा कराई व कुछ की नहीं कराई। ये पूछे जाने पर कि ऐसे कितने मामले में है जिनके साथ ऐसा हुआ है। आइजी मिश्रा ने कहा कि उनके पास ऐसा कोई डाटा नहीं है। लेकिन विभाग के आंतरिक सूत्र बताते है कि ये आकड़ा तीन हजार से ज्यादा है।
(0)