रूही शर्मा
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को गिरफ्तार करने की मांग करने वाले कांग्रेसी नेता मेजर विजय सिंह मनकोटिया को ठिकाने लगाने के लिए आगे किए केवल सिंह पठानिया की ओर से शाहपुर में आयोजित जनसभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ ऐसे नेता हैं जो कि सुरक्षित जगह की तलाश में वफादारी तक ताक पर रख देते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग खुद वफादार नहीं हैं वह समाज के प्रति वफादार कैसे हो सकते हैं। उन्होंने इसमें कई और दलबदलुओं को भी जोड़ा।
वीरभद्र सिंह ने मनकोटिया को पिछली बार भी छुटकू नेता केवल सिंह पठानिया को मोहरा बना कर विधानसभा चुनाव में पिटवा दिया था। इस बार भी पठानिया ने गजब की जुगत भिड़ा रखी है और वीरभद्र सिंह के चेले बने हुए हैं। मनकोटिया को उम्मीद थी कि वीरभद्र सिंह पठानिया का साथ छोड़ देंगे व शाहपुर से कांग्रेस का टिकट उन्हें मिलेगा। लेकिन पठानिया इतने जुगतु निकले कि उन्होंने वीरभद्र सिंह के दम पर मनकोटिया को टिकट की दावेदारी से बाहर कर दिया है। ऐसे में मनकोटिया ने वीरभद्र सिंह के खिलाफ हमला बोल दिया और अब दोनों में जंग चली हुई है। इस जंग में पठानिया के मजे हैं। इससे पहले वीरभद्र सिंह ने परिवहन मंत्री जी एस बाली को ठिकाने लगाने के लिए पठानिया को आगे किया था व उन्हें एचआरटीसी का वाइस प्रेजिडेंट बनाया था। लेकिन बाली, वीरभद्र सिंह की चाल से वाकिफ हो गए और उन्होंने पठानिया को एचआरटीसी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
शायद कम ही लोगों को मालूम है कि पठानिया दिल्ली से जब हिमाचल आए थे तो वो वीरभद्र सिंह की तब की राजनीतिक विरोधी विद्या स्टोक्स के वफादार रहे थे। लेकिन बाद में उन्हें वफादारी बदल ली और वीरभद्र सिंह के वफादारों की लिस्ट में शुमार हो गए।
बहरहाल, पठानिया में शहपुर में वीरभद्र सिंह की रैली करा दी और इस मौके पर विभिन्न परियोजनाओं की घोषणाएं करने तथा आधारशिलाएं रखने के बाद शाहपुर में जनसभा को संबोधित किया । इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला करते हुए कहा कि कुछ नेता चुनावों के नज़दीक आते ही समाज को जाति, धर्म और क्षेत्र के नाम पर बांटने लग जाते हैं ताकि वह चुनावों में जीत सुनिश्चित कर सकें। वीरभद्र सिंह ने कहा कि फूट डालना भाजपा नेताओं की कार्यप्रणाली का एक अहम हिस्सा बन गया है।
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा सत्र का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेता सदन की अस्मत को तार-तार कर देते हैं और इस सही तरीके से चलने नहीं देते हैं। यही नहीं भाजपा के नेताओं द्वारा अभद्र भाषा का प्रयोग करना सदन की गरिमा को और छोटा करता है। वीरभद्र सिंह ने कहा कि विपक्ष लोकतंत्र का एक अभिन्न हिस्सा है लेकिन विधानसभा सत्र के समय को धरने प्रदर्शन और नारेबाजी में गवा देना लोकतंत्रिक परंपरा का गला घोटने के समान है।
चुनावी आहट
हिमाचल प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों का आहट सुनाई दे रही है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिहं ने इसको देखते हुए विभिन्न परियोजनाओं के उद्घाटन और अाधारशीलाओं को रखने का सिलसिला तेज कर दिया है। वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी अपने चुनावी अभियान की शुरुआत वॉल पेंटिंग्स के जरिए कर दी है, इनमें कहा गया है कि “अबकी बार भाजपा सरकार”।
शाहपुर विधानसभा हलके से इस बार कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर केवल सिंह पठानिया को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। पठानिया मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के काफी करीबी माने जाते हैं।
स्कूली बच्चे और नेताओं की राजनीतिक रोटियां
अपने आकाओं को खुश करने के लिए छोटे नेता या यूं कहें चुनावों में अपना टिकट पक्का करने की फिराक में बैठे नेता कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। शाहपुर में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के लिए इस जनसभा का आयोजन वन निगम के उपाध्यक्ष केवल सिंह पठानिया ने करवाया था। मुख्यमंत्री के सामने भीड़ इकट्ठी करने के लिए शाहपुर कांग्रेस इकाई ने यहां सरकारी स्कूल के बच्चों को भी कड़ी धूप में भूखे-प्यासे बैठाए रखा। क्या इसे राजनीतिज्ञों के द्वारा करवाया गया कक्षाओं का सामूहिक बहिष्कार ना माना जाए। बच्चों की पढ़ाई में हुई इस दखलंदाजी और नुकसान का कौन जिम्मेदार है? चलिए यहां तक तो ठीक था, लेकिन स्कूली बच्चों से नारेबाजी करवाना और जय-जयकार करवाना किस आचार-संहिता का हिस्सा है। हमारे संवाददाता ने जब शाहपुर के सरकारी स्कूल के बच्चों से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि प्रिंसिपल ने उन्हें मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए भेजा है। साथ ही उन्हें कार्यक्रम की समाप्ति तक रुकने के आदेश दिए गए थे। छात्र तो मजबूरी में इस जनसभा में उपस्थित हुए थे लेकिन अध्यापक भी इसमें क्रमबद्ध तरीके से “राजा साहब” और उनके मुंह बोले “युवराज” की इस जनसभा में हाथ जोड़कर खड़े मिले।
रंग में भंग
मुख्यमंत्री की इस सभा के दौरान उन्हें कुछ लोगों के गुस्से का भी सामना करना पड़ा। भीड़ में से कुछ लोगों ने पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने के नारे लगाए। इस पर केवल सिंह पठानिया जिन्होंने इस जनसभा का आयोजन किया था आगबबुला होते दिखे। उनका गुस्सा होना भी लाज़मी था, क्योंकि उन्हें रंग में भंग पढ़ने का अंदाजा जो नहीं था।
डेस्क इनपुट के साथ कंटेट व सभी फोटो रूही शर्मा के सौजन्य से
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