शिमला।नई नवेली सरकार के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नए साल की पूर्व संध्या पर अनोखा धमाका कर दिया। जो काम वीरभद्र सिंह, धूमल और जयराम नहीं कर पाए सुक्खू ने वह कारनामा कर डाला।
सुक्खू ने नए साल की पूर्व संध्या की रात को 1987, 1988 और 1989 बैच के वरिष्ठ अधिकारियों को नजरअंदाज कर 1990 बैच के आइएएस अधिकारी प्रबोध सक्सेना को प्रदेश का मुख्य सचिव बना डाला।
प्रबोध सक्सेना से पहले राम सुभग सिंह 1987 बैच के आइएएस अधिकारी है। उनके बाद इसी बैच की अधिकारी निशा सिंह भी हैं। इसके बाद 1988 बैच के आइएएस अधिकारी संजय गुप्ता हैं। जयराम ठाकुर ने इन तीनों वरिष्ठ अधिकारियों को नजरअंदाज कर 1988 बैच में सबसे कनिष्ठ अधिकारी राम दास धीमान को मुख्य सचिव बनाया था। उनका कार्याकाल पांच छह महीने का ही था। धीमान की खातिर जयराम ने राम सुभग सिंह,निशा सिंह और संजय गुप्ता को सलाहकार बना दिया था।हालांकि सक्सेना को तब भी मुख्य सचिव बनाने की मुहिम चली थी लेकिन वह मुहिम सफल नहीं हो पाई थी। तब भी नौकरशाही में हडकंप मचा था और नौकरशाहों में जमकर घमासान छिडा था।
अब सुक्खू ने राम सुभग सिंह, निशा सिंह और संजय गुप्ता के अलावा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में अली राजा रिजवी के अलावा 1989 बैच आइएएस अधिकारी के संजय मूर्ति को दरकिनार कर 1990 बैच के आइएएस सक्सेना को मुख्य सचिव बना कर नौकरशाही के मोर्चे में घमासान छेड दिया हैं। अगर एक आध बैच की कनिष्ठता का मसला होता तो चल भी सकता था । नौकरशाहों में एक ही बैच में भी कनिष्ठता व वरिष्ठता का खयाल रखा जाता हैं। सुक्खू ने यह फैसला क्या लिया यह समझ से परे हैं।
राम सुभग सिंह को विशेष मुख्य सचिव बनाकर उन्हें बिजली महकमा दिया गया है साथ ही बिजली बोर्ड का अध्यक्ष भी नियुक्त किया हैं जबकि संजय गुप्ता को रोप वे निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया हैं। इन दोनों को मुख्य मंत्री को ही सीधे रिपोर्ट करना होगा। जब उन्हें ये सब महकमे देने ही थे तो इन में से मुख्य सचिव भी तो बनाया जा सकता था।
इन लोगों के खिलाफ तो कोई एफआइआर भी नहीं हैं। न ही अदालतों में मामले में लंबित हैजबकि प्रबोध सक्सेना के खिलाफ सीबीआइ ने आइएनएक्स मीडिया के 250 करोड के घोटाले में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदबंरम के साथ सह आरोपी बनाया हैं। उनके खिलाफ सीबीआइ की अदालत में ओरोप निर्धारित होने हैं।
अगर उनके खिलाफ अदालत में आरोप निर्धारित हो गए तो सुक्खू फिर क्या करेंगे । तब तो सक्सेना दागी अधिकारियों की सूची में शामिल हो जाएंगे। ऐसा होता है तो सुक्खू के पास सक्सेना को मुख्य सचिव के पद से हटाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचेगा। इसमें सुक्खू व कांग्रेस सरकार की फजीहत भी होगी।
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