शिमला, 24 अप्रैल: प्रदेश के नए नवेले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सबसे धनी वर्ग, उद्योगपतियों, के लिए प्रदेश में निवेश व बेरोजगारों को रोजगार देने के नाम पर एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उत्तर पूर्व राज्यों की तर्ज पर औद्योगिक पैकेज की मांग की है।
मुख्यमंत्री दिल्ली के दौरे पर हैं और वह वहां पर प्रधानमंत्री के अलावा कई केंद्रीय मंत्रियों से मिले हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के लिए औद्योगिक पैकेज तो मांग लिया लेकिन शायद वह प्रधानमंत्री मोदी से यह मांग करने से पहले कैग की 2015 की रिपोर्ट को जेहन में रखना भूल गए।
कैग की इस रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ था। रिपोर्ट में कहा गया था कि 2009 से 2014 तक औद्योगिक घरानों को 35 हजार करोड़ रुपयों की विभिन्न करों में छूट दी गई थी। अगर ये कर प्रदेश सरकार के खजाने में आ जाते तो प्रदेश कर्ज मुक्ति के मुहाने पर होता। हालांकि प्रदेश सरकार और प्रदेश का उद्योग विभाग इस आंकड़े को मानने को तैयार नहीं है। लेकिन सेंट्रल एक्साइज टैक्सेशन विभाग का दावा है कि प्रदेश के जिन उद्योगों ने करों में छूट के लिए केंद्र व राज्य सरकार के दावे भेजे थे, उसमें उन उद्योगों ने त्रैमासिकी रिटर्न दायर की हुई है। केंद्र व राज्य सरकार ने इन्हीं रिटंर्स के आधार पर इन उद्योगों को करो में ये 35 हजार करोड़ रुपयों की छूट 2009 से 2014 तक दी थी। उद्योगों ने जो रिटर्स भरी थी वह कितनी सही, कितनी गलत थी इसका किसी ने आंकलन नहीं किया है।
चूंकि राजनीतिक दलों व नेताओं को उद्योगों से चंदा व बाकी रास्तों से पैसा मिलता है। ऐसे में कोई भी पार्टी उद्योगों के किए पर सवाल नहीं करती। इस तरह के पैकेज दिए ही इसलिए जाते हैं ताकि ये उद्योग इन दलोें को बाद में मदद करें।
बहरहाल, कैग ने इस मामले को अलग संदर्भ में उठाया हुआ है। कैग ने अपनी रपोर्ट में कहा हुआ है कि जिस हिसाब से प्रदेश में उद्योगों ने निवेश दर्शाया उसी अनुपात में रोजगार नहीं मिला। उद्योगों ने करों में ये रियायत रोजगार देने की आड़ में ही हासिल की थी। कैग ने पैकेज को लेकर तीखी टिप्पणियां की हुई है। बावजूद इसके पिछली सरकार की तरह ही जयराम सरकार ने भी औद्योगिक घरानों के दबाव में पैकेज की मांग एक बार फिर कर डाली है।
2019 में लोकसभा के चुनाव है, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या करेंगे ये किसी को पता नहीं है। देश के अधिकांश उद्योगपतियों की वैसे भी प्रधानमंत्री व उनके कुनबे की दोस्ती है। ऐसे में उद्योगों के लिए सरकारी खजाने की कीमत पर कुछ घोषणाएं हो जाए तो अचरज नहीं हैं।
प्रदेश में नोटबंदी और जीएसटी से पहले ही औद्योगिक दर गिर चुकी है अब उद्योग हर तरह से रियायतें हासिल करने के लिए जुगाड़ कर रहे है।
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