शिमला। उद्योगपतियों के संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ ने राज्य में ट्रक यूनियन के एकाधिकार, संपत्ति कर व इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी जैसे गंभीर मुद्दों से निपटने के उपायों को बजट में शामिल करने का आग्रह किया हैं।इस बावत सीआईआई ने राज्य सरकार को सोमवार को ज्ञापन सौंपा।
सीआईआई हिमाचल प्रदेश स्टेट काउंसिल के चेयरमैन संजय खुराना ने कहा कि उद्योग राज्य में मैंटेनेंस तथा एक्स्ट्रा डेवलपमेंट चार्ज का विभिन्न विभागों को भुगतान करते हैं। हाल ही में म्यूनिसिपल कमेटी ने प्रोपर्टी टैक्स को उद्योगों पर लागू करने का फैसला लिया है जो पूरी तरह से गलत है। भारतीय उद्योग परिसंघ इसका विरोध करता है क्योंकि इसके चलते राज्य में उद्योगों के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी और ऐसे में उद्योगों को इस टैक्स की परिधि से बाहर रखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्य में ट्रक यूनियन के मुद्दे को लंबे समय से उठाता आ रहा है। बजट से पूर्व इस बारे में सीआईआई की ओर से कहा गया कि राज्य में ट्रक यूनियन के एकाधिकार को समाप्त किया जाए ताकि राज्य में उद्योग सही तरीके से पनप और बढ़ सके। यूनियन के कारण हिमाचल प्रदेश ब्रांड की छवि पहले ही खराब होती आ रही है। जिसके चलते राज्य में नया निवेश कम हो रहा है। खुराना आग्रह किया ि कि जो उद्योग अपने वाहन लगाकर इनके माध्यम से काम लेेना चाहते हैं उन्हें इसकी अनुमति दी जाए ताकि वे अपने कार्य को आसानी से कर सकें और इसमें कोई यूनियन बाधा न डाले।
सीआईआई हिमाचल प्रदेश स्टेट काउंसिल के वाइस चेयरमैन राजेश साबू ने कहा कि आने वाले बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए विशेष बजट प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि उद्योग क्षेत्र में मौजूद सड़कों को बेहतर बनाया जा सके। इसके साथ ही राज्य बिजली बोर्ड के माध्यम से इस प्रकार के प्रावधान किए जाएं कि सर्दियों के मौसम में बिजली की किल्लत से उद्योगों को न जूझना पड़े।
शिमला, मनाली, डलहौजी आदि महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में भी कई कई दिनों तक विद्युत आपूर्ति नहीं होती है जिसके कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सीआईआई ने सुझाव दिया कि राज्य बिजली विभाग ऐसे हर संभव कदम उठाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाएं जिससे सर्दियों में प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।
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