शिमला। कोटखाई के गुडिया गैंगरेप और मर्डर मामले में बैजनाथ के नीलू नामक एक चिरानी को गिरफतार कर सीबीआई ने इस मामले को सुलझाने का दावा किया है। हालांकि सीबीआई के दावे पर कोई भरोसा नहीं किया है। सीबीआई के मुख्य सूचना अधिकारी अभिषेक दयाल के मुताबिक नीलू के खून और वीर्य के नमूनों का मिलान हो गया है। ऐसे में एक आरोपी तो उसकी गिरफत में है ही। यह गैंगरेप है या नहीं इस पर सीबीआई जुबान खोलने को तैयार नहीं है। न ही यह बताने को तैयार है कि क्या नीलू ने रेप करने के बाद अकेले की गुडिया की हत्या की और उसकी लाश को ठिकाने लगा दिया। इसके अलावा सीबीआई यह भी बताने को तैयार नहीं है कि गुडिया के जिस्म में कितने बाहरी डीएनए मिले थे। दयाल कहते है कि अभी इन सब बातों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता । मामले की जांच जारी है व कभी भी कुछ भी सामने आ सकता है।
सीबीआई ने कहा कि वाररदात के बाद आरोपी नीलू ने मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना बंद कर दिया व वह अपने परिवार से संपर्क में नहीं था। वह जगह जगह घूमता रहा । हाटकोटी के जिस गांव से उसे पकड़ा गया है वहां वह चार दिन पहले ही किसी के पास खेत में काम करने का आया था। इसके अलावा सीबीआई ने उन लोगां पर निगाह रखी जिनसे वह संपर्क कर सकता था। सीबीबाई ने दावा किया कि उसने करीब एक हजार लोगां से पूछताछ की और अढाई सौ लोगों के खून के नमूने लिए जिनका संदेहास्पदों मिलान किया गया । सीबीआई की टीमें हिमाचल के अलावा ,उतराखंड और कशमीर में भी गई । सीबीआई की ओर से जारी विज्ञप्ति में दावा किया गया है कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की ओर से इस मामले की पहले ही दिन से निगरानी की जाती रही और जांच से खुश है।
दिलचस्प यह है कि सीबीआई ने इस मामले को सुलझा लेने के बाद राजधनी शिमला में इस मामले का पर्दाफाश नहीं किया। उसने दिल्ली के मीडिया को ब्रीफ किया। वहां के मीडिया को इस मामले की ज्यादा जानकारी ही नहीं है। ऐसे में वह सवाल भी नहीं पूछ सके। सीबीआई का यह कारनामा दिलचस्प रहा। यही नहीं सीबीअई की ओर से 13 अप्रैल को पकड़े गए आरोपी नीलू का आज सीबीआई ने पुलिस रिमांड भी नहीं मांगा ऐसे. में सेशन जज वीरेंद्र सिंह ने उसे 7 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसे कैथू जेल भेजा गया है।
सीबीआई ने बेशक मामला सुलझा लेने का दावा किया हो कि प्रदेश हाईकोट इस जांच से संतुष्ट नजर नहीं आ रहा है। आज की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सीबीआई के निदेशक से आठ मई तक हलफनामा दायर कर पूरा ब्योरा मांगा है। हाईकोर्ट ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को न मई को अदालत में पहले ही तलब कर रखा है। सीबीआई ने आज अदालत से कहा भी कि अब मामला सुलझ गया है ,ऐसे में निदेशक को अदालत में हाजिर होने की जरूरत नहीं है। लेकिन अदालत ने कहा कि आठ मई को निदेशक की ओर से हलफनाम दायर करो उसके बाद अगला फैसला किया जाएगा।
पेशे से चिरानी सांवले रंग व छोटे कद के 27 साल के नीलू को सीबीआई ने 13 अप्रैल को गिरफतार किया था और जिला अदालत से 25 अप्रैल तक सीबीआई रिमांड पर लेने के बाद उसे पूछताछ के लिए दिल्ली ले गई थी। देर शाम को सीबीआई की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि वाररदात के बाद आरोपी नीलू ने मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना बंद कर दिया व वह अपने परिवार से संपर्क में नहीं था। लेकन सीबीआई ने उन लोगों पर निगाह रखी जिनसे वह संपर्क कर सकता था। इसके बाद आरोपी पर निगाह रखी गई और हाटकोटी के समीप एक गांव से गिरफतार किया गया। सीबीबाई ने दावा किया कि उसने करीब एक हजार लोगों से पूछताछ की और अढाई सौ लोगों के खून के नमूने लिए जिनका संदेहास्पदों मिलान किया गया ।
अदालत ने आज मामले को लेकर मीडिया में सारी जानकारी के लीक हो जाने को लेकर भी सीबीआई को फटकार लगाई व कहा कि सब कुछ मीडिया में पहले ही आ चुका है। इस पर सीबीआई की ओर से कहा गया कि आरोपी को मौका ए वारदात पर ले जाया गया था। वहां पर उसकी शिनाख्त कराई गई। ऐसे में स्थानीय लोगों को सब कुछ पता लग गया है। सीबीआई ऐसे में किसी को नहीं रोक सकती थी।
याद रहे कोटखाई की 16 साल की गुडिया के चार जुलाई से लापता होने व छह जुलाई को स्कूल के समीप ही इसकी अर्धनग्नावस्था में लाश मिली थी। इस मामले में लोगों के आक्र ोश को देखते हुए तब की सरकार ने आईजी की कमानमें 10 जुलाई को एसआईटी गठित की थी। एसआईटी ने चार दिनों के भीतर छह युवकोें को पकड़कर इस मामले को सुलझाने का दावा किया था। लेकिन इनमें से एक कि 18 व 19 जुलाई की रात को कोटखाई थाने के लाकअप में हत्या कर दी गई थी। इसके बाद प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों के बाद मामले को सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया।
सीबीआई ने पुलिस लाकअप मामले में मारे गए आरोपी सूरज की हत्या के आरोप में एसआईटी के मुखिया आईजी जहूर हेदर जैदी,तब शिमला के एसी डोंडुप वांग्याल नेगी ,डीएसपी मनोज जोशी समेत नौ पुलिस अधिकारियों और कर्मियों को गिरफतार कर उनके खिलाफ चालान भी पेश कर दिया है। सीबीआई ने एसआईटी की ओर से पकड़े गए सभी आरोपियों को क्लीन चिट देकर उन्हें छोड़ दिया था।
आइजी जैदी व बाकियों की न्यायिक हिरासत 1 मई तक बढ़ी
गुडिया सामूहिक दुष्कर्म और कत्ल मामले में पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार की ओर से जांच के लिए गठित एसआइटी की ओर से पकड़े आरोपी सूरज की पुलिस लाकअप में कत्ल के इलजाम में जेल में चल रहे एसआइटी मुखिया जहूर हेदरजैदी,निलंबित एसपी डोंडुप वांग्याल नेगी समेत सभी नौ पुलिस अधिकारियों और कर्मियों की न्यायिक हिरासत 1 मई तक बढ़ा दी गई है। सीबीआई ने इन सभी आरेपियों को सीजेएम रंजीत सिंह ठाकुर की अदालत में पेश किया।
आरोपियों ने चालान की प्रति दोबारा मुहैया कराने का आग्रह किया। इन आरोपियों की ओर से कोई भी वकील पैरवी नहीं कर रहा है।
गुडिया न्याय मंच ने जताया चिरानी की गिरफतारी पर उठाया सवाल
गुडिया न्यायमंच ने सीबीआई की ओर से मामले में चिरानी नीलू की गिरफतारी को लेकर सीबीआई को कटघरे में खड़ा किया है। एक चिरानी को गिरफतार कर इस मामले को सुलझाने का सीबीआई का दावा किसी के गले नहीं उतर रहा है। मंच ने सवाल उठाया कि क्या चिरानी दस महीने तक सीबीआई व पुलिस को बेवकूफ बनाता रहा मंच के सह-संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि पुलिस की तरह ही सीबीआई की जांच भी शुरूो ही संदेह के घेरे में रही। उन्होंने कहा कि मंच अभी भी इस बात पर कायम है कि इस मामले में प्रभावशाली लोग शामिल है व उन्हें बचाने की कोशिश होती रही।
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