नई दिल्ली। 2जी व कोल ब्लाक घोटालों के आरोपियों से अपने सरकारी आवास में मुलाकातें करने के मामले में घिरे सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि प्रशांत भूषण इस तरह का हथकंडा इस अदालत से अपने पक्ष में फैसला लेने के लिए अपना रहे है।सीलबंद लिफाफे में दिए हलफनामे के अलावा सिन्हा ने शनिवार को एक और नौ पेज का हल्फनामा दायर किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से प्रशांत भूषण पर अर्जी को भारी कॉस्ट के साथ खारिज करने का आग्रह किया है।
साथ ही कहा कि सीलबंद लिफाफे में दायर किए हलफनामें कीपड़ताल करने के बाद येअदालत उनकी ओर से अदालत सारा मामला समझ जाएगी।सिन्हा ने कहा कि उन्होंने पहले ही इस अदालत में भूषण के खिलाफ परजरी का मुकदमा चलाने की याचिका दायर कर दी है।अगर अदालत चाहे तो वह उनके व प्रशांत भूषण के खिलाफ आईपीसी की धारा 193के तहतए फआईआर दर्ज कर सकती है।
सिन्हा ने अदालत से कहा कि प्रशांत भूषण को किस व्हीसल ब्लोआर ने दी उसका खुलासा किए बगैर वह इस तरह की याचिका दायर नहीं कर सकते।ये सुप्रीम कोर्ट के नियमो के आर्डर 11नियम 13 के अनुरूप नहीं है।वह डायरीगेट की सूचना देने वाले का खुलासा किए बगैर हलफनामा दायर कर याचिका में इस तरह के लांछन नहीं लगा सकते।
उन्होंने अपने हलफनामे में कहा है कि भूषण ने ये सूचना किसी व्हीसल ब्लोअर से देने की बात कही है। जबकि वहीस्ल ब्लोअर की अवधारणा बिलकुल साफ है। जिसके तहत व्हीसल ब्लोअर तभी अपना नामपता गुप्त रख सकते है जब उसे जान का खतरा हो।
प्रशांत भूषणने इस तरह के किसीखतरे काजिक्र नहीं किया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट इस मामले में तस्वीर पहले हीकई मामलों में साफ कर चुका है।उन्होंने कहा कि सीलबंद लिफाफे में अदालत को उस व्हीसल ब्लोआर को नाम बताया जा सकता है ताकि उसके बारे में जानकारी मिल सके।
सिन्हा ने हलफनामें में कहा कि भूषण ने अपने पक्ष मे फैसला लेने केलिए इस तरह के लांछन लगाए है जो दंडनीय ह और सात साल की सजा हो सकतीहै।सिन्हा ने कोल कांड मेंसीनियर पब्लिक प्रॉस्क्यिूटर के साथहुए पत्राचार को लेकर सवालउठाए जाए जाने पर कड़ा संज्ञान लिया और कहा कि विशेषधिकार में आता है।इस पत्राचार का रेफरेंस देने से पहले उनकी अनुमति जरूरी थी।
इस तरह रंजीत सिन्हा ने इस मामले में तकनीकी पेच फंसाने की कोशिश की है।जबकि सीलबंद लिफाफे में क्या लिखा है इसे बारेअदालत को ही संज्ञान लेना है।
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