नई दिल्ली/शिमला।मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को आय से अधिक संपति मामले में हिमाचल हाईकोर्ट की ओर से दी गई राहत के खिलाफ सीबीआई को को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल मनमाफिक आदेश नहीं मिला है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि वीरभद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई की ओर से दर्ज मामले में हिमाचल हाईकोर्ट की ओर से दिए गए राहतों भरे अंतरिम आदेश को स्टे किया जाए। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एफ एम आइ कालीफुला व जस्िटस उदय उमेश ललित की खंडपीठ ने फिलहाल इस आदेश को स्टे नहीं किया।
मोदी सरकार के अटार्नी जनरल मुकुल रोहतागी ने खंडपीठ के समक्ष दलीलें दी कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को हिमाचल हाईकोर्ट की ओर से दिए राहत भरे आदेशों से उसकी जांच प्रभावित हो रही है।वो कायदे से जांच नहीं कर सकती।रोहतागी ने कुछ अखबारों की खबरों हवाला देते हुए कहा कि हिमाचल के हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने पहले उनके मामलों को सुनने से इंकार कर दिया था लेकिन एक अक्तूबर को उनके मामले को सुन लिया गया।सूत्रों के मुताबिक मुकुल रोहतागी ने जस्टिस राजीव शर्मा के उन आदेशों को भी रिकार्ड पर लाया जिनमें उन्होंने वीरभद्र सिंह से जुड़े मामलों को सुनने से इंकार कर दिया था। इस पर दोनों जजों की पीठ ने कहा कि ये जस्टिस पर है कि वो मामले को सुने या न सुने।इस बिंदु पर दोनों पक्षों की ओर से कई देर तक दलीलें दी जाती रही।
इस पर मुख्यमंत्री वीरभद्र व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, पी चिंदबंरम,राजीव धवन,विवेक तन्खा,हीरेन रावल और श्रवण डोगरा ने कहा कि अखबारों की खबरों को अदालत के आदेश नहीं माने जा सकते। वीरभद्र सिंह के वकीलों के मुताबिक मोदी सरकार के अटार्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में पूरजोर दलीलें दी कि हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश सही नहीं है।इस पर हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री व उनकी पत्नी को पांच तारीख तक अपना पक्ष व अन्य कोई दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए है। अब इस महत्वपूर्ण मामले का निपटारा पांच नवंबर को हो जाएगा।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को यह वहले ही भान था कि सीबीआई हिमाचल हाईकोर्ट के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी । इसलिए इन दोंनों ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में केविएट फाइल कर रखी थी।
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