शिमला/नई दिल्ली/धर्मशाला। आय सेअधिक संपति व भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई व ईडी के शिकंजे में फंसे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को दिल्ली की सीबीआई कोर्ट ने उनकी ओर से एफआईआर से जुड़े सारे दस्तावेजों को मांगने के आग्रह को खारिज कर दिया है।दिल्ली की सीबीआई कोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई थी।
सीबीआई के स्पेशल जज विनोद कुमार ने मुख्यमंत्री वीरभद्र व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह की उस याचिका को खारिज करदिया जिसमें उन्होंने सीबीआई की ओरसे दर्ज पीई से जुड़े दस्तावेज मांगे थे।इसके बाद सीबीआई ने 23 सिंतबर को इस मामले में एफआईआर दर्ज कर दी।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आब्जर्व किया कि पीई केवल इसलिए दर्ज की गई थी ताकि ये पता लगाया जा सके कि ये मामला एफआईआर के लिए फिट हैं या नहीं।एफआईआर शुरूआती चरण है। अगर किसी दस्तावेज को एफआईआर का हिस्सा नहीं बनाया गया तो उसे आरोपी को नहीं दिया जा सकता।
समझा जाता है कि सीबीआई ने दलील दी बहुत से दस्तावेज दिल्ली हाईकोर्ट में सील्ड कवर में दिए जा चुके है।ऐसे में दस्तावेजों को नहीं दे सकते।उधर सुप्रीम कोर्ट से हिमाचल हाईकोर्ट से वीरभद्र सिंह को जो राहत भरा आदेश दिया व जिसे सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को हिमाचल हाईकोर्ट से दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया था,उसकी सुनवाई अब 14 दिसंबर को होगी। आज इस मामले की सुनवाई के मौके पर वीरभद्र सिंह की ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ। दिल्ली हाईकोर्ट में कल वीरवार को पहले से चल रहे मामले की सुनवाई होनी है।
उधर, आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के दो दावेदारों नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल व मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नडडा ने वीरभद्र सिंह के खिलाफ हाथ मिला लिए है।
आज भाजपा के इन दोनों नेताओं ने धर्मशाला में वीरभद्र सिंह हटाओं,हिमाचल बचाओ अभियान के तहत की जनसभा में वीरभद्र सिंह का इस्तीफा मांगकर वीरभद्र सिंह के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। नाटकीय अंदाज में इस रैली में भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार शामिल नहीं हुए।साथ ही धूमल के करीबी पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा की गैरमौजूदगी भी हैरान करने वाली रही। बरागटा ने आज खड़ा पत्थर में रैली रखी थी।
यहां ये उल्लेखनीय है कि नडडा व शांता कुमार वीरभद्र सिंह के विपक्ष में राजनीतिक दोस्त माने जाते है।रैली में धूमल ने तो एलान करदिया किपार्टी आगामी मार्च तक विधानसभा चुनावों के लिए तैयार रहे। वो व उनका खेमा ये पिछले तीन सालों से एलान करता आयाहै। बीते रोज उनका ओकओवर में मुख्समंत्री वीरभद्र सिंह के घर जाकर गुप्त मुलाकात करना उनके करीबियों के बीच संदेह पैदा कर गया है।
इस सारे घटनाक्रम के बीच वीरभद्र सिंह सरकार की ओर से धूमल की संपतियों की जांच आगे नहीं बढ़ पाई है। शिमला के एसपी व वीरभद्र सिंह के खास सिपाहियों में शुमार डीडब्ल्यू नेगी इस जांच को शुरू नहीं कर पाए है। वो कब तक ये जांच शुरू कर पाते है, ये देखना है।
उधर, बताते है कि ईडी ने वीरभद्र सिंह के प्रधान निजी सचिव सुभाष आहलुवालिया पर पिछले तीन दिनों से शिकंजा कसा हुआ है।
(0)