नई दिल्ली/शिमला।मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित व सरकारी नौकरी में रहते क्रप्शन के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी को दबोचनेे के मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नडडा समेत बाकियों केे प्रयासों को केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने अंगूूठा दिखा दिया है। ट्रिब्यूनल का संजीव चतुर्वेदी के पक्ष में दिया फैसला कम से कम नडडा के मुंह पर सीधा तमाचा है और प्रधानमंत्री मोदी की केंद्र सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर देता है।जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश में हल्ला मचा रखा है कि ‘न खाउंगा और न खाने दूंगा’। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग ही नजर आ रही है। कैट ने एम्स की ओर से चतुर्वेदी के खिलाफ जारी व नडउा की ओर से मंजूर डिस्प्लेजर मेमोरेंडम्ज को रदद कर दिया है।
हिमाचल में 2017 में विधानसभा चुनावों में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदार जगत प्रकाश नडडा देश के साढ़े पांच सौ सांसदों में से एकमात्र ऐसे सांसद रहे है जो एम्स में क्रप्शन के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले चर्चित आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी को दबोचने में एक अरसे से लगे है।
मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद एम्स के निदेशक ने संजीव चतुर्वेदी के खिलाफ 17 जनवरी 2016 को एक डिस्प्लेजर मेमोरेंडम जारी किया। जिसमें निदेशक ने उनकी कार्यप्रणाली पर असंतोष व्यक्त किया और इसे उनकी पर्सनल फाइल में जोड़ दिया। इसके बाद 30 मार्च 2016 को एक और आर्डर रिकार्ड पर लाया जिसमें इस डिस्प्लेजर मेमोरेंडम को नडडा नेभी मंजूर कर दिया। ये सब चतुर्वेदी काापक्षसुने बगैर किया गया। एक तरफ चतुर्वेदी प्रशासनिक सेवाएं में रहते हुए बेहतर काम करने के लिए मैग्सेसे अवार्ड हासिल कर रहे थे तो दूसरी ओर मोदी सरकार उनको दबोचने जुटी हैं।
ये रहा 17 जनवरी 2016 का चतुर्वेदी के खिलाफ निदेशक एम्स का मेमोरेंडम-:
इसके बाद 30मार्च 2016 को संजीव चतुर्वेदी के खिलाफ एक आर्डर रिकार्ड पर लाया जिसमें लिखा था कि’ The Director AIIMS had placed on record his displeasure on insubordination,Indiscipline and lack of work ethics of shri sanjeev chaturvedi, Deputy secretary AIIMS, during the winter session of parliament 2015 vide memorandum of even number date 17 .1 .2016.
संजीव चतुर्वेदी ने एम्स के निदेशक को लिखा कि वो इस मेमोंरेंडम को वापस ले लें अन्यथा वो कानूनी कार्यवाही करेंगे। एम्स ने इस रिप्रेजेंटेंशन को रिजेक्ट कर दिया।30 मार्च को नडडा ने एम्स के बतौर प्रेजिडेंट निदेशक के उपरोक्त मेमोरेंडम को मंजूर कर दिया। आर्डर में लिखा गया है कि’ The President AIIMS has upheld and reiterated displeasure memorandum issued on insubordination,Indiscipline and lack of work ethics of shri sanjeev chaturvedi, Deputy secretary AIIMS, during the winter session of parliament 2015 .
नडडा यहीं नहीं रुके।उन्होंने इस मेमोरेंडम को केंद्रीय सचिव स्वास्थ्य व केंद्रीय सचिव वन व पर्यावरण जो कि संजीव चतुर्वेदी के केडर कंट्रोलिंग अफसर है को भी भिजवा दिया। इसके अलावा चतुर्वेदी को एम्स में अपना कार्याकाल पूरा कर उतराखंड सरकार में ज्वाइन करना था। सो ये मेमोरेंडम उतराखंड के चीफ सेेक्रेटरी को भी भिजवा दिया। इसके पीछे क्या मंशा थी ये एम्स के आला अफसर व नडडा ही बता सकते है।
इस आर्डर में हैं वो जिक्र जिसमें नडडा ने बतौर एम्स के प्रेसिडेंट के तौर पर चतुर्वेदी के खिलाफ displeasure memorandum को मंजूर किया-:
संजीव चतुर्वेदी ने दोनों आदेशों /मेमोरेंडम्ज को कैट में चुनौती दे दी। उन्होंने कहा कि उनका पक्ष ही नहीं सुना गया। इसके अलावा ये भी नहीं बताया गया कि उन्होंने किस अधिकारी कि आदेशों को नहीं माना व कौन सेे नियम व कानून का उल्लंघन किया।
इस पर कैट के मेंबर प्रशाासनिक पी के बाासू ने दोनों आदेशों /मेमोरेंडम्ज को रदद कर संजीव चतुर्वेदी को बड़ी राहत दे दी है।
यहां पढ़े कैट का संजीव चतुर्वेदी के पक्ष में दिया ये आदेश-:
कैट ने जो भी किया हो लेकिन बड़ा सवाल ये है कि नडडा आखिर क्यों एक अफसर के पीछे पड़े है। संजीव चतुर्वेदी से उनका क्या लेना देना है।
दिलचस्प ये है कि चतुर्वेदी ने एक दिन भी नडडा के अंडर काम नहीं किया है। जब नडडा के मातहत उन्होंने कोई काम ही नहीं किया तो नडडा ऐसे मेमोरेंडम को कैसे मंजूर कर सकते थे।उन्होंने कैसे जान लिया कि वो बड़े अफसरों के आदेशों को नहीं मानते।वो अनुशाासनहीनता करते है और उनमें एथिक्स की कमी है। अगर कुछ ऐसा था तो वो कायदे से वो सब कुछ रिकार्ड पर लाते।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री एम्स का प्रेसिडेंट भी होता है। ऐेस में वो एम्स के प्रेसिडेंट भी है। एम्स के निदेशक व नडडा के आदेशों/मेमोरेंडम्ज के खिलाफ कैट में दायर याचिका में चतुर्वेदी ने हिमाचल केडर के वरिष्ठ आईएएस अफसर व नडडा के करीबी विनीत चौधरी व एम्स में भ्रष्टाचार करने वालों को लेकर बहुत से चौंकानेे वाले खुलासे कर रखे है।विनीत चौधरी वीरभद्र सिंह सरकार की ओर से चीफ सेक्रेटरी न बनाए जाने के कारण अंडर प्रोटेस्ट छुटटी पर चल रहे हैंं।चौधरी के खिलाफ दो चार्जशीटें में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने मंजूर कर रखी है जिसकी जांच नडडा ने करवानी है। जांच का क्या हुआ किसी को कुछ पता नहीं है। इन चार्जशीटों को मंजूर करवाने में चतुर्वेदी का महत्वपूर्ण योगदान रहा था।
क्या नडडा ये सब विनीत चौधरी के खातिर कर रहे है । जब से चतुर्वेदी ने विनीत चौधरी के खिलाफ मोर्चा खोला था नडडा तभी से उनके खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं। बतौर सांसद उन्होंने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद को चिटिठयां लिखी कि चतुर्वेदी को एम्स के सीवीओ के पद से हटाया जाए।उनकी नियुक्ति अवैैध है। इसके बाद मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने हर्षवर्धन को चिटिठयां लिखी।नियुक्ति का ये मामला उन्होंने संसद में भी उठाया।अब वो खुद मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बन गए है।देश में इतनी सारी पार्टियां है व इन पार्टियों के लोकसभा व राज्यसभा में आठ सौ के करीब सांसद है। चतुर्वेदी के खिलाफ किसी ने कुछ नहीं बोला।केवल नडडा एक मात्र ऐसे नेता है जो इस मामले में उनके खिलाफ मुहिम छेड़े हुए है।ये अपने आप दिलचस्प है।
ऐसे में सवाल नडडा को लेकर है। उन्होंने क्रप्शन के खिलाफ लड़ने वाले अफसर के खिलाफ जाकर मोदी सरकार को ही विवादों में ला दिया है। वो हिमाचल में धूमल को दरकिनार कर 2017 के विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री का चेहरा बनने का सपना देख रहे है। लेकिन जिस तरह के करतब वो चतुर्वेदी के मामले में दिखा रहे हैं,तो ये करतब उन्हेंं राजनीतिक तौर पर महंगे पड़ सकते हैं।उधर,धूमल व उनके पुत्र ऐसा कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देंगे जो नडडा की राजनीतिक नैया डुबोता हो।
अगर चतुर्वेदी की कैट में दायर मामले की फाइल की पड़ताल की जाए तो उसमें साफ कहा गया कि नडडा भ्रष्टाचारियों को बचा रहे हैं।ये मोदी सरकार के पर बड़ी टिप्पणी है।इसके अलावा संजीव चतुर्वेदी के मामले में पीएमओ भी कटघरे में हैं।
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