शिमला। हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय ने एक विशेष मामले में पालमपुर के रेनबो पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल द्रम्मण की तीसरी कक्षा के छात्रा काशवी को उसी स्कूल में आठवीं कक्षा में दिन की पारी में अस्थाई तौर दाखिला देने के आदेश दिए है। आठ साल की काशवी अपनी उम्र के हिसाब से कहीं ज्यादा कुशाग्र बुद्धि की है
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने काशवी के पिता संतोष कुमार की ओर से उच्च न्यायालय में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किए।
12 मार्च 2014 को जन्मी काशवी रेनबो पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल द्रम्मण में तीसरी कक्षा में पढ़ रही है।उसके पिता ने याचिका में कहा था कि काशवी एक असाधारण, असाधारण और बौद्धिक रूप से बेहतर बच्ची है। वह चीजों को जल्दी से पकड़ व समझ लेती है। तीन साल की नन्हीं उम्र में काशवी को भारतीय राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों और पड़ोसी देशों की राजधानी के नाम याद हो गए थे। इस बावत उसका पहला वीडियो उसके पिता की ओर से द्वारा यूट्यूब पर अपलोड किया गया था।
2019 में काशवी को सौर मंडल और राष्ट्रीय ध्वज, महत्वपूर्ण दिनों, हिमाचल प्रदेश के जिलों, भारत में सबसे बड़े और सबसे लंबे पुल, सड़कों, झीलों आदि को याद कर लिया था। जबकि 2020 में इसने भारत के राष्ट्रीय उद्यानों, क्रियाओं के 50 सबसे महत्वपूर्ण अनियमित रूपों, क्रियाओं के नियमित और अनियमित रूपों, भारत और विश्व संगठनों, नदियों और विश्व जीके, केंद्र शासित प्रदेशों के नए लोक और शास्त्रीय नृत्य और आईटीओ जीके के बारे में जानकारी थी। कक्षा 5, 6, 7 के लिए श्रृंखला, और ये वीडियो इंटरनेट पर उपलब्ध हैं और कई लोगों द्वारा देखे और पसंद किए जा रहे हैं।
काशवी के माता-पिता राज्य शिक्षा विभाग में शिक्षक के रूप में कार्यरत बताए जाते हैं। उसके पिता ने पहले भी वर्ष 2021 में उसकी ओर से एक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें काशवी को आयु मानदंड में ढील देने के बाद विशेष मामले के रूप में एसओएस 8वीं कक्षा की परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
जिस स्कूल में काशवी को तीसरी कक्षा में प्रवेश दिया गया था, उसके प्रधानाध्यापक ने अदालत के सामने पेश होकर इस तथ्य को स्वीकार किया कि काशवी तुलनात्मक रूप से एक असाधारण बच्चा था।
जबकि 2021 में इसने भारत के तमाम राष्ट्रीय पार्कों, क्रियाओं के विभिन्न रूपों, दंनिया व भारत के तमाम संगठनों, नदियों और दुनिया के सामान्य ज्ञान तमाम तरह के लोक व शस्त्रीय नृत्यों के अलावा आटीओ जीके पांचवी, छठी व सतावी कक्षा के लिए तैयार की गई श्रृंखलाओं को याद कर लिया था। काशवी के पिता ने याचिका में कहा है कि यह तमाम वीडियो इंटरनेट पर मौजूद हैं। । उन्होंने 2021 में भी एक याचिका कर नियमों में रियायत देकर एसओएस विशेष मामला बनाकर आठवीं कक्षा की परीक्षा देने की मंजूरी मांगी थी।
स्कूल के प्राधानाचार्य ने सुनवाई के दौरान अदालत में पेश होकर माना था कि तीसरी कक्षा में पढ़ रही काशवी अपनी उम्र के बच्चों की तुलना में असाधारण है। प्राधनाचार्य ने कहा कि आठवी कक्षा के परीक्षा देने की मंजूरी देने से काशवी के दिमाग पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ सकता है व एक शिक्षाविद होने के नाते वह इस नन्हीं बच्ची के ओर से अभिभावकों के आग्रह को मानने के पक्ष में नहीं है।
इस पर खंडपीठ ने प्राधानाचार्य की राय के साथ सहमति जताते हुए कहा कि सात साल की बच्ची को आठवीं कक्षा की परीक्षा दिलाना उस पर अनुचित दबाव डालने जैसे होगा।
लेकिन अगर भविष्य में वह इसी तरह की कुशाग्रता का लगातार परिचय देती है तो वह इस अदालत और अधिकारियों का दरवाजा खटखटाने के लिए पूरी तरह से आजाद है। लेकिन इस समय अभिभावकों के आग्रह से सहमति नहीं जताई जा सकती।
काशवी के माता पिता ने काशवी को आठवी की परीक्षा दिलाने की मुहिम के चलते काशवी का 16 अक्तूबर 2021 को धर्मशाला के जोनल अस्पताल में आइ क्यू टेस्ट कराया व इस टेस्ट में उसका आइक्यू 154 आंका गया। डाक्टरों ने राय दी कि यह बच्ची बौद्धिक तौर पर असाधारण है और अत्यंत कुशाग्र बुद्धि की है।
इस आकलन के बाद काशवी के पिता ने आठवीं की परीक्षा दिलाने की मंजूरी देने के लिए शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों को चिटिठयां लिखी लेकिन कहीं से कुछ नहीं हुआ।
इसके बाद उसके पिता ने उच्च न्यायालय में यह याचिका दायर कर दी व अदालत से आग्रह किया कि अधिकारियों को इस बच्ची के मामले को विशेष मामला लेते हुए आठवीं की परीक्षा लेने के आदेश दें। अदालत की ओर से मांगे के जवाब में प्रदेश शिक्षा बोर्ड ने कहा कि आठवीं तक की सभी कक्षाओं की परीक्षाएं शिक्षा विभाग की ओर से तय किए गए नियमों के तहत नियमित होती है।
इसके बाद प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देशों पर दो मार्च को आइजीएमसी के प्राधानाचार्य की ओर से तीन विशेषज्ञों का एक मेडिकल बोर्ड गठित किया गया और टेस्ट किया गया जिसमें उसका औसत आइक्यू 128 आंका गया।
खंडपीठ ने कहा कि अगर इस समय उसे आठवीं कक्षा की परीक्षा देने की इजातत दे दी जाती है तो तो अदालत के जेहन में यह बात पूरी तरह से बैठी हुई है इस स्थिति में काशवी अपने साथ के बच्चों के दबाव के अलावा भावनात्मक और शरीरिक तनाव से रूबरू हो सकती है।
इसके अलावा भविष्य में भी काशवी को कई कुछ झेलनाा पड़ सकता जिसके बारे में उसने व उसके माता पिता की ओर से आज सोचा भी नहीं गया हो। लेकिन अदालत यह भी समझती है कि काशवी कुशाग्र व बौद्धिक स्तर पर बहुत श्रेष्ठ हो सकती है
ऐसे में तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अदालत ने काशवी को सीधे ही आठवीं की परीक्षा देने की इजाजत नहीं देना उचित समझती है लेकिन पढ़ाई व चीजों को समझने की उसकी काबलियत को ध्यान में रखते हुए स्कूल के प्राधानचार्या को इस बच्ची को आठवीं कक्षा में दिन की पारी में दाखिला देने के आदेश देती है।
दिन की पारी में आठवीं में अस्थाई दाखिला लेने पर स्कूल के अध्यापकों की ओर से काशवी की ओर से की जाने वाली प्रगति की लगातार निगरानी करनी होगी। उसे कक्षा आठवीं के तमाम टेस्टों, तिमाही व छमाही परीक्षाओं और स्कूल की तमाम अन्य गतिविधियों में शामिल होने की इजाजत दी जाती है।
अदालत ने प्रदेश शिक्षा बोर्ड के सचिव और रेनबो पब्लिक वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल द्रम्मण को निर्देश दिए कि वह काशवी की ओर से सभी क्षेत्रों में खेलों, शिक्षा , अन्य गतिविधियों के अलावा उसके भावनात्मक , शारीरिक और बेहतर दिमागी तौर पर दुरुस्तता को लेकर अगली सुनवाई से पहले रपट अदालत में सौंपें ।अदालत की ओर से उस समय प्रति रिपोर्ट का आकलन करने के बाद अगला आदेश पारित किया जाएगा।
मामले की अगली सुनवाई अदालत ने 28 अप्रैल को निर्धारित की है।
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