शिमला। कांगड़ा संसदीय हलके में तीन दिन पहले तक चुनाव प्रचार में लगे भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार का टिकट कट गया है। भाजपा आलाकमान ने बीती रात ही शांता कुमार को इस बावत अवगत करा दिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को उनके पास भेजा गया और उनसे चुनाव लड़ने से इंकार कर देने को मनाया गया । इसके बाद शांता कुमार ने चुनाव न लड़ने का एलान किया।
इसके बाद आज सुबह शांता कुमार ने मीडिया आकर में कहा कि उन्होंने कभी भी किसी से मांगा नहीं है। वह कभी भी पार्थी नहीं रहे हैं। ये उनके जीवन का उसूल रहा है। वह मंदिर मे भी आभारी बन कर गए है कभ्री मांगने नहीं गए। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी चुनाव नहीं लड़ा है। जनता ने ही चुनाव लड़वाया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए शांता कुमार ने कहा कि उनके साथ व्यक्तिगत संबंध थे। जब उनकी सरकार बनी तो बहुत से लोगों ने कहा कि वाजपेयी से मिलना चाहिए। शांता ने कहा कि वह मंत्री पद पाने के लिए कभी नहीं मिले ।
उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले ही कह दिया है कि उन्होंने बहुत चुनाव लड़े है। चुनाव लड़ने का वह आनंद ले चुके है अब वह चुनाव लड़वाने का आनंद लेना चाहते है। कोई और चुनाव लड़े । मीडिया की ओर से यह पूछे जाने पर कि वह किस को चुनाव लड़वाना चाहते है। इस बावत उन्होंने कहा कि इस बावत सब से मिलजुल कर विचार किया जाएगा। इसके अलावा पार्टी ने खुद भी कई सर्वे किए है।
पार्टी कोई सही फैसला कर प्रत्याशी घोषित करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा का हर कार्यकर्ता नए प्रत्याशी को जिताने के लिए एक जुट हो जाएगा और कांगड़ा ही नहीं सभी चारों संसदीय हलकों से भाजपा प्रत्याशी जीत हासिल करेेंगे। यह पूछे जाने पर कि मुख्यमंत्री से क्या बात हुई। शांता ने कहा कि वह यह कैसे बता सकते हे।
इस बावत पार्टी अध्यक्ष सतपाल सती ने भी कहा कि अब शांता कुमार संभवत: नहीं चुनाव नहीं लड़ेंगे । पार्टी प्रत्याशियों का नामों को अंतिम रूप देने के लिए भाजपा अध्यक्ष सतपाल सती, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर,संगठन मंत्री पवन राणा, पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल व शांताकुमार तीन दिनों से से दिल्ली में डेरा डाले हुए है। लेकिन शांता कुमार की ही टिकट कट गई ।
शांता का टिकट कटने से भाजपा में उथल -पुथल मच गई है। याद रहे शांता की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी ज्यादा नहीं बन रही थी। उन्हें मोदी सरकार में मंत्रिपद भी नहीं दिया गया था। इसके अलावा धूमल खेमा उनके पीछे बुरी तरह से पड़ा हआ था। लेकिन अगर वह कांगडा सीट से प्रत्याशी नहीं है तो इस सीट पर भाजपा को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
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