शिमला। विधानसभा चुनावों से पहले इस बार भी भाजपा ने 2012 की तरह ही मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के भ्रष्टाचार के इर्द गिर्द अपनी चुनावी जंग रखने का संकेत दिया हैं। 2012 में मौजूदा वित मंत्री अरुण जेटली ने पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के प्रदेश के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार धूमल के साथ जुंडली बनाकर वीरभद्र सिंह पर स्टील या वीबीएस घोटाले का लेकर हमला बोला था। तब बीजेपी चुनावों में हार गई थी।
इसी तरह बीजेपी ने इस बार अरुण जेटली तो नहीं लेकिन अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा को आगे कर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को निशाने पर लिया हैं।पात्रा ने वीरभद्र सिंह के साथ-साथ सोनिया गांधी व राहुल गांधी को भी लपेट लिया हैं।लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जिस घोटाले को लेकर अरुण जेटली ने वीरभद्र सिंह को लपेटा था। उस घोटाले में न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अधीन सीबीआई ने उन्हें अरेस्ट किया और न ही अरुण जेटली के अधीन इडी ने उन्हें आज तक गिरफ्तार किया हैं। जबकि वीरभद्र सिंह के एलआइसी एजेंट आनंद चौहान पिछले एक साल से जेल में बंद हैं।ये जिस पार्टी के प्रवक्ता सबिंत पात्रा हैं, उस पार्टी की सरकार के अधीन जांच एजेंसियों सीबीआई और इडी पर बड़ा सवाल हैं कि असली मुलजिम सरकार चला रहा हैं और मुंशी जेल में हैं। इडी की धीमी जांच व वीरभद्र सिंह को अरेस्ट न करने को लेकर पूछे सवाल पर पात्रा ने कहा कि वो टिप्पणी नहीं कर सकते।चूंकि वो स्वायत संस्थाएं हैं।अपना काम करती रहती हैं। सीबीआई व इडी कितनी स्वायत हैं ये सबको मालूम हैं।
सबको मालूम है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त हैं व पार्टी में ये भी सबको मालूम है जब प्रधानमंत्री से धूमल को मिलने का समय नहीं मिल रहा था तो वीरभद्र सिंह मोदी से मिल आए थे। उधर,जब से केंद्र में मेादी सरकार सतासीन हुई हैं,उसके बाद धूमल व वीरभद्र सिंह में याराना हुआ। यही नहीं केंद्र के स्तर पर किसी डील की जानकारियां भी बाहर आती रही हैं। यही कारण हैं कि जांच एजेंसियां वीरभद् सिंह,उनके परिवार के सदस्यों व उनके सहयोगियों वक्कामूला चंद्र शेखर जैसे लोगों को अरेस्ट नहीं कर पाई हैं।
पात्रा ने वकामूला का भी जिक्र किया व कहा कि इन्हीं के साथ वीरभद्र सिंह का कारोबार चलता हैं ।दिल्ली में कई जगह फार्महाउस हैं। उन्होंने वक्कामूला को हाइड्रो प्रोजेक्ट देने का भी जिक्र किया। इस प्रोजेक्ट को वीरभद्र सरकार ने रदद कर दिया था लेकिन वक्कामूला इसके खिलाफ हिमाचल हाईकोर्ट में अपील में हैं। वहां न तो धूमल कुछ बोलते हैं न ही उनके बेटे और न ही भाजपा। लेकिन वकामूला को भी वीरभद्र व उनके परिवार के सदस्यों की तरह न तो सीबीआई और न ही इडी ने गिरफ्तार किया। केवल आनंद चौहान जेल में हैं।क्या ये बिना मिलीभगत और लेने देन के संभव हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने ‘हिमाचल मांगें हिसाब’ नामक अभियान का आगाज करते हुए बेशक वीरभद्र सिंह पर हमला किया व पिछले पौने पांच सालों में हुए क्रप्शन का हिसाब मांगा। लेकिन पात्रा वीरभद्र सिंह के मामलों में मोदी सरकार की भूमिका का हिसाब देना भूल जाते हैं। याद दिला दें,दिल्ली हाईकोर्ट में सालिस्टिर जनरल ने जो थोड़ा बहुत विरोध किया भी , बताते है कि वो भी किसी वरिष्ठ आईएएस अफसर ने कराया था।
लेकिन इडी की धीमी जांच पर वो कोई जवाब नहीं दे पाए।उन्होंने आड़ लेते हुए कहा कि ये स्वायत संस्थाएं हैं ,कोई टिप्पणी नहीं करेगी।इसी तरह दिल्ली हाईकोर्ट की जजमेंट जिसमें अदालत ने कहा है कि वीरभद्र सिंह ने 2012 में जो शपथपत्र चुनाव आयोग को दिया है वो गलत हैं,इस बावत चुनाव आयोग को भी चिटठी चली गई हैं लेकिन भाजपा इस मामले को आगे नहीं बढ़ा रही है।इस पर उन्होंने कहा कि वो मामले को देखेंगे।
बहरहाल,संबित पात्रा ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की मौजूदगी में वीरभद्र सरकार के शासन काल के भ्रष्टाचारों की चार पन्नें की फेहरिस्त मीडिया को जारी करते हुए कहा कि वीरभद्र सिंह हिमाचल में डायरेक्ट लूट मचा रखी हैं। इसी वजह से वो बेल पर हैं। यही नहीं उनके आलाकमान सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी बेल पर हैं।पात्रा ने वंशवाद की नई की परिभाषा गढ़ दी। उन्होंने कहा कि अगर पिता राजनीति में हैं और पुत्र भी राजनीति मे आ जाता हैं तो ये वंशवाद नहीं हैं। कांग्रेस में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री,और पार्टी अध्यक्ष चुने नहीं जाते उनका अवतरण होता हैं। वहां एक परिवार ये सब तय करता हैं ये वंशवाद हैं। कांग्रेस में सोनिया गांधी के बाद अध्यक्ष कौन होगा सबको पता है लेकिन भाजपा में कोई नहीं जानता की अमित शाह के बाद अध्यक्ष कौन होगा।
खनन माफिया से लेकर ड्रग्स माफिया तक के सारे इल्जाम उन्होंने वीरभद्र सिंह पर लगा दिए।वो बोले वीरभ्ज्ञद्र सिंह के शासन में खनन माफिया की वजह से सरकार के खजाने को 2400 करोड़ का नुकसान हुआ। राज्य में करीब 900 करोड़ का ड्रग्स का कारोबार हैं। ये आंकड़ा वो कहां से लाए किसी को पता नहीं हैं।उन्होंने एचआरटीसी के आर एम से पकड़े चिटटे का हवाला दिया कि इसे बाद में बेकिंग सोडे में बदल दिया। इस तरह सरकार ड्रग्स माफियाओं संरक्षण दे रही हैं।उन्होंने वन माफिया से लेकर बिल्डर माफिया तक के केस उछाले। कैग रिपोर्ट और ठेकेदार राज का भी जिक्र किया। उनकी ओर से जारी चार सफों की फेहरिस्त में दिलचस्प तरीके से जंगी थोपन पावर प्रोजेक्ट का भी जिक्र किया हैं। ये वही जंगी थोपन प्रोजेक्ट हैं जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी कारोबारी अदाणी की कंपनी के 280 करोड़ रुपए बतौर अप फ्रंट मनी फंसे हुए हैं। अदाणी की ओर से इस पैसे को लौटाने के लिए दर्ज फरियादी चिटिठयां वीरभद्र सिंह को दी जा चुकी हैं।
ये वही प्रोजेक्ट था जो 2007 में हुए विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा की चार्जशीट में शुमार था। लेकिन जब धूमल सरकार सता में आई तो चार सौ बीसी सामने आने के बावजूद धूमल सरकार ने इस प्रोजेक्ट को ब्रेकल को ही आवंटित रखा ।यही नहीं ये धूमल सरकार के दौरान ही हुआ था कि इस प्रोजेक्ट के आवंटन की समीक्षा के लिए जब कमेटी आफ सेक्रेटरीज की बैठक हुई थी तो उस कमेटी में अदाणी की कंपनी के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे थे। ऐसे में क्या सबिंत पात्रा अदाणी के खिलाफ कार्रवाई करवा पाएंगे।
पात्रा ने वीरभद्र पर चहेतों को नौकरिया देने का इल्जाम भी लगाया व कहा कि सरकार को टायर्ड, हायर्ड और रिटायर्ड लोग चला रहे हैं। इन्हें इसलिए लगाया गया है कि लूट जारी रखी जा सके।हालांकि जब उनसे ये पूछा गया कि मोदी सरकार ने भी रिटायर्ड अफसरों को मंत्री बनाया हैं। इस पर वो कोई जवाब नहीं दे पाए।
लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इस तरह संगीन इल्जामों की चार्जशीटें भाजपा 1998 व 2007 के विधानसभा चुनावों से पहले भी लगा चुकी है लेकिन धूमल शासन के उन दस सालों में एक भी भ्रष्टाचारी नहीं पकड़ा गया । ऐसे में भाजपा की ओर से जारी भ्रष्टाचारों की ऐसी फेहरिस्तों के कोई मायने ही नहीं हैं अगर सता में आने के बाद भ्रष्टाचारियों के साथ कोई डील होनी हैं।
बहरहाल सबिंत पात्रा ने धारा 118 का जिक्र भी किया और कहा कि वीरभद्र सिंह सरकार ने प्रियंका गांधी को जमीन दे दी हैं।उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सोनिया गांधी व राहुल गांधी ने उन्हें इसीलिए सीएम पद पर बिठा रखा है कि वो हिमाचल को लूटते रहे व लूट का हिस्सा दस जनपथ भी पहुंचाते रहे। लेकिन असलियत ये है कि प्रियंका गांधी को जमीन का आवंटन व कई मंजूरियां धूमल सरकार में मिली हैं।ये विधानसभा में पूछे प्रश्नों से पहले ही साफ हो चुका हैं।
उन्होंने वीरभद्र सिंह के क्रप्शन के मामलों में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल, पी चिंदबरम और सिंघवी की ओर ये उनके मामलों की पैरवी करने पर भी आपति जताई व कहा कि इनको लाखों की फीस जा रही हैं व ये फीस उद्योग विभाग संयुक्त निदेशक तिलक राज जिसे सीबीआई ने पकड़ा था जैसे लोग एकत्रित कर रहे हैं।
सबिंत पात्रा ने बेशक वीरभद्र सिंह के क्रपशन के मामलों को लेकर चुनावी आगाज किया हो लेकिन असलियत ये है कि भाजपा भ्रष्टाचारियों को पकड़ने के बजाए इन मसलों पर 2012 की तरह राजनीतिक लाभ लेना चाहती हैं अन्यथा सीबीआई और इडी ने वीरभद्र सिंह व उनकी जुंडली को कभी का जेल में डाल दिया होता और वीरभद्र सिंह सता से बाहर हो चुके होते। लेकिन मोदी सरकार के साढ़े तीन साल के शासन में ऐसा नहीं हो पाया। केवल हल्ला मचता रहा और अब दोबारा चुनाव का मौसम है तो भाजपाइयों ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया हैं।
हिमाचल में इस बार ये दुभार्ग्यपूर्ण है कि कांगेस व बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री का ऐसा कोई चेहरा सामने नहीं हैं जो कुछ नया करने की उम्मीद जताए।
बीजेपी की ओर से तो सीएम का चेहरा भी अभी सामने नहीं आय हैं। संबित पात्रा ने कहा कि चुनाव भाजपा के नाम से लड़ा जाएगा।
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