शिमला।भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संदीपनी भारदवाज ने AMPCशिमला-किन्नौर में घपले के सबूत का दावा तो किया है लेकिन सबूत होने के बावजूद एफआइआर करने या मामले को लोकायुक्त के पास ले जाने को वो तैयार नहीं हैं।
संदीपनी भारदवाज ने आज राजधानी में एक संवाददाता सम्मेलन में AMPCशिमला-किन्नौर में घपले के सबूत होने का दावा किया जब उनसे पूछा कि वो इस मामले को लेकर एफआइआर क्यों दर्ज नहीं करा रहे है या लोकायुक्त के समक्ष मामले को लेकर क्यों नहीं जा रहे।
संदीपनी भारदवाज ने दिलचस्प जवाब दिया और कहा कि ”मैं ही जब थानेदार हूंगा और मेरा भाई चोर होगा तो कोई क्यों एफआइआर करेगा।जब यही थानेदार है और उसका भाई चोर है तो वो क्यों एफआइआर करेगा। बताओ मुझे। हम तो इसे हाइलाइट करके, हम तो एविंडेंस भी… कागज हमारे कुछ मित्रों ने सहयोग देकर आरटीआइ में कागज निकाल करके जानकारियां व कागज एकत्रित किए । इनका बस चलता तो ये तो कागजों में भी आग लगा देते।”
संदीपनी भारदवाज ने कहा कि एफआइआर दर्ज कराने का काम तो प्रदेश के मुखिया का है।अगर वो इतना ईमानदार है तो यहां डाक्युमेंट है, इस पर एफआइआर करे।
भारदवाज ने सिराज में सुक्खू के मंत्री जगत सिंह नेगी के साथ हुई स्थानीय लोगों की तनातनी के मामले का संकेत करते हुए कहा कि उन लोगों पर तो एफआइआर कर देते है जो लोकल डिजास्टर के दौरान मंत्री के साथ तनाव होता है तो सेकंड में 200 लोगों पर एफआइआर कर देते हैं। इस मसले पर एफआइआर कर देखे न।
प्रदेश व देश की राजनीति में नेताओं ने अब नया चलन चला दिया है । चाहे नेता वो भाजपा के हो या कांग्रेस के । वो इल्जाम लगाते है और किनारे हो लेते है। जबकि अगर किसी भी नागरिक के पास सबूत है तो उसे कायदे से एफआइआर दर्ज करानी चाहिए या मुकदमा दायर करना चाहिए। भाजपा जैसे ताकतवर पार्टी भी ऐसे भागने लगेगी तो साफ है कि उसकी भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रतिबद्धता को लेकर जमीन खिसकने लगी है।
संदीपनी भारदवाज ने ये लगाए इल्जाम
भारदवाज ने कहा कि एमपीएमसी ने शिलारू,पराला और टूटू की मंडियों में अपने रिश्तेदारों को दुकानें आवंटित कर दी। शिलारू में दुकान नंबर 27 को एपीएमसी के सचिव ने अपने रिश्तेदार को आवंटित कर दिया।
बाकी दुकानें भी कौडि़यों के भाव आवंटित कर दी।पराला में दुकानों के लिए 52 आवेदन आए इनमें से 18 आवेदनों को रदद कर दिया। वहां 34 दुकानें थी व सब चहेतों को आवंटित कर दी।यही नहीं बेस प्राइस भी 45 सौ के करीब रखा व 4600रुपए में दुकानें आवंटित कर दी।
उनने दावा किया कि भाजपा राज में ये ही दुकानें 20 से 80 हजार रुपए में आवंटित होती थी। इसी तरह टूटू में आठ दुकानों के लिए 17 आवेदन आए और इनमें से 9 आवेदनों को रदद कर दिया। इन्हें क्यों रदद किया इसका किसी को कुछ पता नहीं हैं।
यहां व शिलारू में भी बेस प्राइस के आसपास ही चहेतों को दुकानें आवंटित कर दी। भाजपा प्रवकता ने इन तमाम आवंटनों को रदद करने की मांग कर दी।
उन्होंने कहा कि एपीएमसी की अपनी अधिसूचना है जिसमें दुकानों को विभिन्न वर्गों को अलग -अलग फीसद में आवंटित करने का प्रावधान है। लेकिन इस बार इस अधिसूचना का भी उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा कि ये टेंडर प्रक्रिया ही गलत थी व इसे सिरे से खारिज कर देना चाहिए।
भरदवाज ने पराला के सीए स्टोर को लुधियाना की किसी पार्टी को औने-पौने भाव पर लीज पर देने का इल्जाम लगाया। इसका बेस प्राइस 3करोड़ 35 लाख रखा गया था व इसे 3 करोड़ 36 लाख रुपए में लीज पर दे दिया। यहां टेंडर में तीन बार समयावधि को स्थगित किया गया। उन्होंने कहा कि अभी ये पता नहीं है है कि दस फीस सिक्योरिटी मनी ली है या नहीं या बिना इसके ही ये करोउ़ों की संपति लुधियाना की इस पार्टी को थमा दी है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मंडियों के डिजीटाइजेशन में सुक्खू सरकार ने पैसा बनाने का रास्ता निकाल दिया है। जबकि इसका सारा पैसा केंद्र सरकार से मिलना है।
ये पूछे जाने पर कि ये पैसा अगर केंद्र से आ रहा है और इसमें घोटाला कर दिया है तो फिर भाजपा केंद्र सरकार से जांच क्यों नहीं करवाती। संदीपनी भारदवाज ने सुर बदलते हुए कहा कि सुक्खू सरकार को पता है कि केंद्र सरकार इसकी निगरानी करेगी तो वो ये पैसा ले ही नहीं रही है।
बहरहाल, जो भी हो भाजपा प्रवक्ता के पास घोटाले के इतने सारे सबूत है तो ऐसी क्या शक्ति है जो उन्हें विजीलेंस के पास जाने से रोक रही है।
याद रहे कि बीते रोज पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर ने भी इसी तरह के भ्रष्टाचार के संगीन इल्जाम लगाए थे जबकि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर तो रोजाना ही इल्जामों की झड़ी लगाते रहे है। लेकिन न तो ये नेता विजीलेंस के पास जाते है और न ही लोकायुक्त के सामने अपने दावे पेश करते है।
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