शिमला। देश भर में इवीएम का दुरुपयोग कर चुनाव जीतने का इल्जाम झेल रही भारतीय जनता पार्टी ने शिमला नगर निगम के चुनावों से पहले प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर निगम चुनावों से पहले वोटर लिस्ट में गड़बड़झाला करने का इल्जाम लगाया हैं। बीजेपी प्रवक्ता राजीव बिंदल ने भी वामपंथियों की तरह ही प्रदेश की वीरभद्र सरकार को इस मसले पर घेर लिया हैं।
उन्होंने राजधानी में संवाददाता सम्मेलन में इल्जाम लगाया कि वोटर लिस्ट में व्यापक स्तर पर धांधली हुई हैं। नगर निगम के 34 वार्डों के लिए चुनाव मई-जून माह में संभावित है, लेकिन सरकार और प्रशासन ने इसे लेकर कोई तैयारी नहीं की है। प्रशासन द्वारा प्रकाशित वोटर लिस्ट में 20 फीसदी लोगों के नाम गायब हैं और यह तादाद 18 हजार के करीब है, जिससे साफ जाहिर होता है कि वोटर लिस्ट तैयार करने में बहुत बड़ा गड़बड़झाला हुआ है।
बिंदल ने कहा कि भाजपा का एक प्रतिनिधिमण्डल इस मसले पर सोमवार को जिला उपायुक्त से मिलकर वोटर लिस्ट की खामियां निर्धारित अवधि के भीतर ठीक करने की मांग करेगा। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, तो भाजपा कानूनी पहलुओं पर विचार करेगी।
बिंदल ने कहा कि प्रशासन द्वारा जारी अनेक वार्डों की वोटर लिस्ट में हजारों वोटरों के नाम ढूंढने पर भी नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान वार्ड नंबर-16 जाखू में 3233 मतदाता थे, लेकिन अब यहां 1847 वोटर रह गए हैं। यह भी दिलचस्प है कि जाखू वार्ड में डीलिमिटेशन भी नहीं हुई है।
बिंदल ने कहा कि इसी तरह वार्ड नंबर 19 संजौली के बूथ नंबर 19/5 में 425 वोटर हैं जबकि 19/1 बूथ में एक भी वोटर नहीं है। वार्ड नंबर 34 कनलोग का बूथ नंबर 34/4 पूरा खाली है। इस वार्ड की पुरानी वोटर लिस्ट में 3300 वोटर थे, जबकि नए वार्ड में 2230 वोटर रह गए हैं।
बिंदल ने कहा कि 7 हजार आबादी वाले मल्याणा वार्ड की वोटर लिस्ट में महज 171 वोटर हैं। उन्होंने हैरानी जताई कि वार्ड नंबर-6 के टूटू वार्ड की लिस्ट से वर्तमान उपमहापौर का नाम भी गायब है। वार्ड नंबर 24 सांगटी की लिस्ट से 800 वोटरों के नाम गायब हैं और इसी वार्ड में रहने वाले भाजपा के बूथ अध्यक्ष का नाम भी लिस्ट में नहीं मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार भोरंज उपचुनाव में मिली हार को नहीं पचा पा रही है और अब उसे शिमला निगम चुनाव मे भी हार का भय सता रहा है। इसलिए कांग्रेस ने सोची समझी साजिश के तहत मतदाता सूचियां तैयार करने में अनियमितताएं की है, ताकि इसका राजनीतिक लाभ उठाया जा सके।
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