नई दिल्ली/शिमला।वित मंत्री अरुण जेटली के बेहद करीबी व हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटेे अनुराग ठाकुर को दुनिया की सबसे अमीर संस्था बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया हैं। यह बर्खास्तगी देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने की हैं। अनुराग के साथ ही बीसीसीआई के सचिव अजय शिर्के को भी उनके पद से हटा दिया गया हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने हमीरपुर से भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर के सामने कानूनी ही नहीं राजनीतिक तौर पर भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बीसीसीआई को सुधारने के लिए गठित की गई जस्टिस लोढ़ा़ समिति की सिफारिशों को न मानने के लिए उन्हें इस पद से हटाया गया हैं ।अनुराग ठाकुर के लिए ये बड़ा झटका हैं । उनके खिलाफ हिमाचल में भी एचपीसीए को लेकर कई मामले चले हुए हैं जो अदालतों में लंबित पड़े है।
इससे पहले अनुराग ठाकुर को भाजपा के शंहशाह अमित शाह ने भाजयुुमोे के अध्यक्ष पद से हटा दिया था। उम्मीद जताई जा रही थी कि मोदी सरकार में उन्हें कोई सम्मानजनक जिम्मेदारी मिलेगी लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है।
अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई का पक्ष रखने के लिए कपिल सिब्बल को तैनात किया था। लेकिन राहत नहीं मिली । गौरतलब हो कि कपिल सिब्बलमुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सीबीआइ्र व इडी के मामलों में वकील रहे हैै।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ‘प्रशासकों की समिति बीसीसीआई के कामकाज को देखेगी!उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अध्यक्ष का काम बीसीसीआई का सबसे वरिष्ठ उपाध्यक्ष और सचिव का काम संयुक्त सचिव संभालेगा!इसके साथ ही बीसीसीआई के सभी पदाधिकारियों और राज्य संघों को लोढ़ा समिति की सिफारिशों का पालन करने के लिये शपथपत्र देना होगा।
इसके अलावा लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को मानने से इन्कार करने वाले बीसीसीआई और राज्य संघों के सभी पदाधिकारियों को भी अपना पद छोड़ना होगा।
इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘सत्तर साल से अधिक उम्र, मानसिक तौर पर असंतुलित व्यक्ति, मंत्री, सरकारी कर्मचारी, दोषी व्यक्ति और नौ साल तक पद पर रहने वाले व्यक्ति पदाधिकारी नहीं बन सकते।
15 दिसंबर को हुई पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए और नाराज़गी जताते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया आपने (अनुराग ठाकुर) कोर्ट की अवमानना की है।
इससे पहले अनुराग ठाकुर ने आईसीसी को चिट्ठी लिखी थी जिसमे उन्होंने आईसीसी से कहा था कि वो एक चिट्ठी जारी करें जिसमे लिखें की अगर बीसीसीआई ने सीएजी नियुक्त किया तो आईसीसी उसकी मान्यता रदद् कर सकता है. इस हिसाब से ये कोर्ट के आदेश के साथ धोखाधाडी है और क्यों न अनुराग ठाकुर के खिलाफ ‘झूठी गवाही’ का मामला चलाया जाए।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अनुराग ठाकुर से कहा था कि आपको इस तरह का धोखा करने के लिए माफी मांगनी चाहिए1 आप इस तरह की हरकत करके सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बनाना चाहते हैं।
पिछली सुनवाई में नौबत यहां तक आ गयी थी कि बीसीसीआई के वकील कपिल सिब्बल को कोर्ट से कहना पड़ा की आप अगर बीसीसीआई के सदस्यों को हटाते भी हैं उससे समस्या कहां कम हो पाएगी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए बीसीसीआई के नियम कानून में बदलाव होना ज़रूरी है ओर वो तब ही हो सकता है जब 2/3 सदस्य उसके लिए तैयार हों।
लोढा समिति के वकील ने पिछली सुनवाई में बीसीसीआई और अनुराग ठाकुर पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2016 में आदेश जारी किया पर उस पर अभी तक अमल नहीं हुआ। जिसे लेकर आज कोर्ट ने ये बड़ा फैसला लिया
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