शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज कर देने के बाद भ्रष्टाचार के मामले में विजीलेंस व भ्रष्टाचार निरोध िब्यूरो से भागते फिर रहे प्रदेश के सहायक दवा नियंत्रक निशांत सरीन को विजीलेंस ने हाईकोर्ट के बाहर दबोच लिया।
निशांत की ओर से दायर अंतरिम जमानत की अर्जी को प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने आज दोपहर बाद खारिज कर दिया।
आज सुबह न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की अदालत में सहायक दवा नियंत्रक निशांत सरीन की जमानत याचिका पर सुनवाई शुरू हुई। इस पर न्यायमूर्ति ने संदीप शर्मा ने कहा कि आरोपी कहां है। इस पर सरीन की ओर से पेश हुए वकीलों ने कहा कि इस समय वह अदालम में हाजिर नहीं हो सकता।
अगर उसे अदालत में हाजिर करने के लिए लाया गया तो विजीलेंस उसे बाहर से ही गिरफतार कर लेगी। इस पर अदालत ने कहा कि उसे अदालत में तो हाजिर होना ही पड़ेगा। अदालत ने विजीलेंस विभाग के जांच अधिकारी डीएसपी विजय कुमार को निर्देश दिए कि आरोपी को अदालत में हाजिर होने दे। इसके बाद दोपहर बाद तीन बज कर 20 मिनट पर वकीलों के साथ सरीन अदालत में पेश हुए।
अदालत में दोनों पक्षों की ओर से दलीलें दी गई। सरीन की ओर से वरिष्ठ वकील सत्येन वैद्य ने कहा कि विजीलेेंस झूठा मुकदमा बना रही है। इस मामले में 2015 से जांच चल रही है और एफआइआर 2019 में दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि उनके बहुत से दुश्मन है,वह उसे फंसाना चाहते है।
उनकी दलीलों का विजीलेंस की ओर से जमकर विरोध किया व कहा कि विजीलेंस के पास बहुत सारे सबूत है। इसके अलावा बड़े घपले की लीड़ मिल चुकी है और बहुत से मामलों में लीड मिलने की संभावना है। ऐसे मेें जांच एजेंसी को सरीन की कस्टडी चाहिए। विजीलेंस की ओर से पी चिंदम्बरम की जमानत को खारिज करने वाली सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट को भी अदालत में रखा गया। जिसमें कहा गया था कि आर्थिक अपराधों में अदालत को जमानत नहीं देनी चाहिए।
दोनों ओर की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने सरीन की जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके बाद वह बाहर आ गए और बाहर विजीलेंस की टीम ने उन्हें गिरफतार कर लिया। आइजी विजीलेंस ने कहा कि सरीन के खिलाफ मामला दर्ज था ऐसे में उन्हें गिरफतार कर लिया गया है।
याद रहे कि सरीन के बददी,पंचकूला,चंडीगढ़,के कई ठिकानों पर 23 अगस्त और उसके बाद छापेमारी की थी। इसके अलावा सरीन के बिलासुपर के घ्ज्ञर पर भी छापेमारी की थी। सरीन की सत्र अदालत से अंतरिम जमानत खारिज हो गई थी। उसके बाद वह भूमिगत हो गया था।
इससे पहले सरीन पर 2005 में पहले भी इल्जाम लगे थे व एफआइआर दर्ज हुई थी। लेकिन वीरभद्र सिंह सरकार में उन्हें अभियोजन चलाने के लिए मंजूरी लहीं दी थी। इस पर प्रदेश हाईकोर्ट ने 2007 में उनके खिलाफ चल रहे मुकदमें को रदद कर दिया था।
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